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नालंदा16 मिनट पहले
मछली पालन ने कई लोगों की किस्मत सवार दी है। इसी क्रम में अब रंगीन मछलियों के पालन का क्रेज भी बढ़ रहा है। नालंदा के मत्स्यपालक प्रोफेसर कवीन्द्र कुमार मौर्य रंगीन मछलियों का पालन कर रहे हैं। इन्हें बेंच कर वो हर माह करीब 40 हजार रुपए कमा रहे हैं। वो कहते हैं कि रंगीन मछलियों का बाजार 80 से 90 करोड़ रुपए का है। ध्यान यह रखना है कि पहले इसकी ट्रेनिंग लेकर ही शुरुआत करें। इससे नुकसान होने का डर नहीं रहता है।
जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से 12 किलोमीटर दूर नूरसराय के चरुईपर के मत्स्यपालक कवीन्द्र कुमार मौर्य रंगीन मछलियों के उत्पादन कर नालंदा का मान बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि वह दिन दूर नहीं, जब नालंदा रंगीन मछलियों के उत्पादन का हब बन जाएगा। कवीन्द्र कुमार मौर्य खाने वाली मछलियों के उत्पादन में पिछले 20 साल से जुड़े हैं। अब रंगीन मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं।
प्रोफेसर कवीन्द्र कुमार मौर्य कहते हैं कि बिहार में रंगीन मछलियों का हर साल 80 से 90 करोड़ का बाजार है। लेकिन, राज्य में इसका उत्पादन बहुत कम होने के कारण सारा पैसा बंगाल, चेन्नई और केरल चला जाता है। वजह है कि वहां रंगीन मछलियों का उत्पादन बहुत होता है। बदलते परिवेश में लोग अपने घरों में फीस एक्यूरियम के प्रति जागरूक हुए हैं। यही कारण है कि रंगीन मछलियां घरों को सजाने के साथ ही वास्तु शास्त्र से भी जुड़ गई है।
प्रोफेसर कवीन्द्र कुमार मौर्य।
पालन के साथ ब्रीडिंग भी
कवीन्द्र कुमार मौर्य मछली की कुछ प्रजातियों की ब्रीडिंग कराकर बीज भी बेच रहे हैं। वर्तमान में इनकी नर्सरी में कई प्रजातियों की मछलियां हैं। इनमें गोल्ड फीस, मौली, गच्ची, स्वाटटेल, प्लेटी, टाइगरवार, ऐंजल जैसी मछलियां हैं। खास यह कि वो इनमें से कई प्रजातियों की सफल ब्रीडिंग करा चुके हैं। उनके बच्चे बाजार में आ चुके हैं। शेष प्रजातियों की मदर फीस उनके पास है। वे बताते हैं कि उचित समय आने पर इन प्रजातियों की भी ब्रीडिंग कराएंगे। साथ ही आने वाले दिनों में देसी मांगूर, सींघिल, रंगीन, कोमन क्रॉम की ब्रीडिंग की योजना है।
8 लाख से बनाई है नर्सरी
करीब आठ लाख की लागत से रंगीन मछलियों के उत्पादन के लिए नर्सरी बनवायी है। इस पर 40 फीसद अनुदान मत्स्य विभाग से मिला है। वर्तमान में उनकी नर्सरी से नालंदा, पटना, मुज्जफरपुर, भागलपुर समेत अन्य जिलों में मछलियां भेजी जा रही हैं। विभाग द्वारा लगातर किसानों की नर्सरी को देखने के लिए भेजा जा रहा है। अब तक किशनगंज, पूर्णिमा, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, नवादा, शेखपुरा, जहानाबाद, शिवहर, गोपालगंज, सारण, सीतामढ़ी, पश्चिम चंपारण आदि जिलों के किसान यहां आ चुके हैं।
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