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मुंबई: रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट से अर्णब को आज राहत नहीं मिली है. जमानत अर्जी पर अगली सुनवाई कल यानी कि शुक्रवार दोपहर तीन बजे होगी. बता दें कि अर्णब गोस्वामी ने इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अपनी गिरफ्तारी को ‘गैरकानूनी’ बताते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में इसके खिलाफ एक याचिका दायर की है. उन्होंने महाराष्ट्र में अलीबाग पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द किए जाने की अपील की है. न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एम.एस. कर्णिक की एक खंडपीठ ने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई की.
उधर, रायगढ़ की अलीबाग कोर्ट में पुलिस ने रिव्यू अर्जी दाखिल कर दी है. ये अर्जी अर्णब की पुलिस रिमांड हासिल करने के लिए दी गई है. बुधवार को कोर्ट ने पुलिस रिमांड की जगह गोस्वामी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. इसके खिलाफ अलीबाग पुलिस ने कोर्ट में रिव्यू अर्जी दाखिल की है. कोर्ट ने इस अर्जी को स्वीकार कर लिया है जिसपर 7 नवंबर को सुनवाई होगी.
रायगढ़ पुलिस अधीक्षक को भेजा समन
महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के मामले में रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक को शुक्रवार को सुबह 11 बजे पेश होने को कहा है. आयोग की तरफ से कहा गया है कि अर्णब की गिरफ्तारी से संबंधित सभी दस्तावेजों के साथ आयोग के समक्ष हाजिर हों. बता दें कि अर्णब की तरफ से शिकायत दी गई थी कि उनकी गिरफ्तारी के दौरान मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ.
क्या है मामला
आर्किटेक्ट एवं इंटिरियर डिजाइनर अन्वय नाइक को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गोस्वामी को मुंबई के लोअर परेल स्थित उनके घर से बुधवार को गिरफ्तार कर पड़ोसी रायगढ़ जिले की अलीबाग पुलिस स्टेशन ले जाया गया था. इसके बाद, अलीबाग की एक अदालत ने इस मामले में गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. गोस्वामी को अभी एक स्थानीय स्कूल में रखा गया है, जिसे अलीबाग कारागार का कोविड-19 केंद्र बनाया गया है.
अर्णब ने महाराष्ट्र पुलिप पर लगाए ये आरोप
गोस्वामी ने याचिका में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए, उसे ‘गैरकानूनी’ बताया और मामले की जांच पर तुंरत रोक लगाने के साथ ही, पुलिस को उन्हें तत्काल रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. याचिका में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की भी मांग की गई है. उसमें यह भी आरोप लगाया है कि बुधवार को पुलिस उनके घर में घुसी और पुलिस दल ने उन पर हमला भी किया.
याचिका में कहा, ‘उन्हें एक प्रेरित, झूठे और बंद किए जा चुके मामले में गलत और गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया गया. यह याचिकाकर्ता और उनके चैनल की राजनीतिक रूप से छवि खराब करने और प्रतिशोध का मामला हैय’ इसमें कहा गया है, ‘गिरफ्तारी याचिकाकर्ता (गोस्वामी) के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों और उनकी गरिमा का उल्लंघन करते हुए की गई. जब गोस्वामी को गिरफ्तार किया गया तो याचिकाकर्ता और उनके बेटे पर हमला किया गया और पुलिस वैन में धकेला गया.’
याचिका के अनुसार, मामले की जांच पिछले साल ही बंद कर दी गई थी और उसकी रिपोर्ट दाखिल की गई थी, जिसे 16 अप्रैल, 2019 के एक आदेश द्वारा अलीबाग अदालत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा स्वीकार कर लिया गया था.
याचिका में कहा, ‘यह चौंकाने वाली बात है, कि एक ऐसा मामला जो निर्णायक रूप से बंद कर दिया गया था, उसे शक्ति के दुरुपयोग, तथ्यों को मनमाने तरीके से पेश करने तथा प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता से महाराष्ट्र में सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करने वाली उनकी समाचार कवरेज का बदला लेने और उनकी गिरफ्तारी के लिए दोबारा खोला गया.’
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