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- Bihar News; Tejashwi Said Will Decide On July 25 Whether To Go To The Legislative Assembly Or Not, ML Leaders Decided To Attend The Session On 16
पटना42 मिनट पहले
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26 जुलाई को मानसून सत्र शुरु होने वाला है।
बिहार में बजट सत्र में महागठबंधन की पार्टियों के साथ जिस तरह से दुर्व्यवहार किया गया उसकी काफी आलोचना हुई थी। उसके बाद महागठबंधन की पार्टियों के नेताओं कहा था कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी और माफी नहीं मांगी जाएगी वे विधानसभा नहीं जाएंगे। भास्कर ने 12 जुलाई को महिला विधायकों से बात करते हुए सवाल उठाया था कि क्या कार्रवाई हुई? उसके बाद 13 जुलाई को नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर पूछा कि बताएं अब तक क्या कार्रवाई हुई? इसके बाद प्रेस कांफ्रेस में तेजस्वी यादव ने कहा कि वे 25 जुलाई को तय करेंगे कि विधान सभा जाएंगे कि नहीं। 26 जुलाई को विधान मंडल का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। दूसरी तरफ भाकपा माले ने 25 जुलाई को महागठबंधन की बैठक से पहले 16 जुलाई को ही कहा है कि वह मानसून सत्र में भाग लेगी। माले विधायक दल के नेताओं ने यह तय किया है।
पहले दिन गुनाहों को याद कराया जाएगा
माले नेताओं ने कहा है कि लोकतांत्रिक मूल्यों व संवैधानिक परंपराओं का तकाजा तो यह था कि सरकार व विधानसभा अध्यक्ष उस शर्मनाक घटना के लिए खेद व्यक्त करते। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है। बहरहाल, माले विधायक दल ने तय किया है कि सत्र के पहले दिन इसी विषय पर प्रतिवाद दर्ज किया जाएगा और सरकार और विधानसभा अध्यक्ष को उनके कभी न माफ हो सकने वाले गुनाहों की याद दिलाई जाएगी। भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल और माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने संयुक्त प्रेस बयान जारी करके ये बातें कही हैं।
कोविड से हुई मौतों को छिपाने की साजिश सफल नहीं होने देंगे
माले नेताओं ने कहा है कि भाजपा-जदयू और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष यह न समझें कि विगत बिहार विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों का जो अपमान हुआ था, उसे बिहार की जनता भूल गई है। यह सही है कि हमने माफी न मांगने तक विधानसभा सत्र के बहिष्कार की बात कही थी, लेकिन कोविड काल में आज बिहार की जनता जो त्रासदी झेल रही है, स्वास्थ्य व्यवस्था की जो नाकामी उजागर हुई है।
कोविड से हुई मौतों को छिपाने की जो साजिशें चल रही हैं, मुआवजा देने से जो भागने की कोशिश हो रही है, ऐसी स्थिति में सरकार को खुली छूट नहीं दी जा सकती। चूंकि यह सत्र छोटा है, इसलिए पुरजोर कोशिश होगी कि कोविड के दौर में हुई मौतों के आंकड़ों को छिपाने की सरकारी साजिश को बेनकाब किया जाए और तमाम मृतक परिजनों को 4 लाख रु. मुआवजा अविलंब प्रदान करने के लिए सरकार को बाध्य किया जाए।
उस अपमान को कभी नहीं भूल सकते
राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि उस अभूतपूर्व घटना ने बिहार को पूरी दुनिया में बदनाम किया था। सुशासन का दंभ भरने वाले नीतीश कुमार ने सारी लोकतांत्रिक मर्यादाओं का गला घोंटकर ड्रैकोनियन पुलिस ऐक्ट पास करवाया था। जब पूरी दुनिया में सरकार की थू-थू हुई, तब उसने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कही थी। यदि वह आगामी विधानसभा सत्र में विपक्ष के भाग लेने संबंधी निर्णय से यह नतीजा निकाल रही है कि हम उस अपमान को भूल चुके हैं, तो वह बड़ी गलतफहमी में है। उस अपमान को हम क्या पूरा बिहार कभी भी नहीं भूल सकता है।
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