Home Bihar सेंकेड डोज में भी फस्ट हुआ बिहार का बनकटवा प्रखंड: पूर्वी चंपारण के इस प्रखंड की 100 फीसदी आबादी ने ले लिया है टीका

सेंकेड डोज में भी फस्ट हुआ बिहार का बनकटवा प्रखंड: पूर्वी चंपारण के इस प्रखंड की 100 फीसदी आबादी ने ले लिया है टीका

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सेंकेड डोज में भी फस्ट हुआ बिहार का बनकटवा प्रखंड: पूर्वी चंपारण के इस प्रखंड की 100 फीसदी आबादी ने ले लिया है टीका

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पटना21 मिनट पहले

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बनकटवा प्रखंड के स्थानीय  लोग। - Dainik Bhaskar

बनकटवा प्रखंड के स्थानीय लोग।

कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए वैक्सीन मुख्य हथियार है । देश में वैक्सीनेशन अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। बिहार के पूर्वी चंपारण के बनकटवा प्रखंड ने एक बार फिर इस मामले में मिसाल पेश की है । टीके के फस्ट डोज में पूरे देश में आगे रहे इस प्रखंड ने सेकेंड डोज में भी 100 फीसदी टीकाकरण करा लिया है ।

बनकटवा की पूरी आबादी ने ले लिया है टीका का दोनों डोज

बिहार के पूर्वी चंपारण रे बनकटवा प्रखंड ने राज्य के सामने एक मिसाल पेश की है। अक्टूबर में देश का पहला 100 फीसदी टीकाकरण वाला प्रखंड बनने के बाद अब इस प्रखंड ने टीके के दूसरे डोज पर भी जीत हासिल कर ली है । बनकटवा प्रखंड बिहार का ऐसा पहला प्रखंड बन चुका है जहां की पूरी आबादी ने टीके के दोनों डोज ले लियें हैं । इस प्रखंड की इस उपलब्धि को यहां के सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी सोशल मीडिया के जरिये साझा किया है । बनकटवा हालांकि पूर्व चंपारण जिले का प्रखंड है लेकिन संसदीय क्षेत्र के लिहाज से ये पश्चिमी चंपारण संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है । यही वजह है कि पश्चिमी चंपारण के सांसद संजय जायसवाल इस प्रखंड की इस उपलब्धि को लोगों से साझा कर रहे हैं ।

फस्ट डोज के मामले में बना था देश का पहला प्रखंड

बनकटवा प्रखंड के 10 पंचायतों में 100 से ज्यादा गांव हैं । यहां 18 प्लस उम्र वालों की तकरीबन 62000 की आबादी है । इसी प्रखंड में 6600 आबादी वाला बीजबानी पंचायत भी है जहां मुस्लिम समुदाय के 1200 लोग भी हैं । टीकाकरण को लेकर सबसे बड़ी चुनौती इसी को लेकर थी क्योंकि अधिकतर मुस्लिम आबादी वाले गांव में लगभग सभी प्रकार के टीकाकरण कार्यक्रमों का बहिष्कार किया गया था। लेकिन जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और सिविल सोसाइटी के साथ-साथ पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों ने आपसी तालमेल के जरिये इस समस्या को सुलझा लिया। संपूर्ण टीकाकरण के लिए यहां जो रणनीति अपनाई गई वो थी गांव गांव में न केवल टीकाकरण कैंप लगाया गया बल्कि डोर टू डोर टीकाकरण कार्यक्रम चलाया गया जिसके कारण यह उपलब्धि इस प्रखंड को हासिल हुई है ।

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