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स्पेडेक्स मिशन: इसरो की नई उपलब्धि | ISRO

Source : PTI

स्पेडेक्स मिशन: इसरो की नई उपलब्धि | ISRO

स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) इसरो का एक महत्वपूर्ण और अद्वितीय मिशन है, जो अंतरिक्ष में उपग्रहों को आपस में जोड़ने (डॉकिंग) की तकनीक विकसित करने और परीक्षण करने पर केंद्रित है। इसरो ने इस मिशन के तहत दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में 3 मीटर की दूरी तक लाने में सफलता हासिल की है। यह परीक्षण भारत के लिए उपग्रह मरम्मत, ऑन-ऑर्बिट असेंबली और अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन जैसी तकनीकों में आगे बढ़ने की दिशा में एक अहम कदम है।


स्पेडेक्स मिशन के उद्देश्य

  1. ऑर्बिट में डॉकिंग:
    • पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में दो उपग्रहों को स्वायत्त रूप से जोड़ने की क्षमता का प्रदर्शन।
    • उच्च-प्रेसिजन नियंत्रण प्रणाली और सटीक नेविगेशन तकनीकों का परीक्षण।
  2. उपग्रहों की मरम्मत:
    • ऑन-ऑर्बिट सर्विसिंग के माध्यम से उपग्रहों को ईंधन भरने या उनकी मरम्मत करके उनका जीवनकाल बढ़ाना।
  3. ऑर्बिट में असेंबली:
    • बड़े अंतरिक्ष स्टेशन, दूरबीन या अन्य संरचनाओं को अंतरिक्ष में असेंबल करने की तकनीक विकसित करना।
  4. अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन:
    • पुराने और निष्क्रिय उपग्रहों को नियंत्रित तरीके से हटाने में मदद करना।
  5. मानव अंतरिक्ष उड़ान में सहयोग:
    • भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन और अन्य मानवयुक्त अभियानों के लिए मॉड्यूल असेंबली और पुनः आपूर्ति का आधार तैयार करना।

तकनीकी विशेषताएं

1. दो उपग्रह प्रणाली:

2. प्रमुख तकनीकें:

3. प्रयोग का विवरण:


इसरो के लिए स्पेडेक्स मिशन का महत्व

  1. अंतरिक्ष में स्थिरता:
    • जब उपग्रह ईंधन खत्म होने या तकनीकी खराबी के कारण निष्क्रिय हो जाते हैं, तो डॉकिंग तकनीक उनकी मरम्मत या ईंधन भरने में मदद कर सकती है।
  2. अंतरिक्ष कचरे में कमी:
    • सक्रिय डॉकिंग से पुराने उपग्रहों को नियंत्रित तरीके से हटाने में मदद मिलेगी, जिससे अंतरिक्ष में मलबा कम होगा।
  3. लागत प्रभावशीलता:
    • ऑन-ऑर्बिट मरम्मत और उन्नयन के माध्यम से नए उपग्रहों के प्रक्षेपण की आवश्यकता कम होगी, जिससे मिशन अधिक किफायती बनेंगे।
  4. रणनीतिक आत्मनिर्भरता:
    • डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करना भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में लाएगा जो उन्नत ऑर्बिटल सर्विसिंग क्षमताओं से लैस हैं।
  5. मानव अंतरिक्ष उड़ान का समर्थन:
    • इसरो के गगनयान मिशन और भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए डॉकिंग तकनीक आवश्यक होगी।

स्पेडेक्स मिशन के अगले चरण

  1. डॉकिंग प्रदर्शन:
    • अगले चरण में, इसरो दो उपग्रहों को भौतिक रूप से जोड़ने (डॉकिंग) का प्रदर्शन करेगा।
  2. लंबी अवधि की योजनाएं:
    • उपग्रहों को ईंधन भरने वाले मिशन में डॉकिंग तकनीक का उपयोग।
    • 2030 के दशक तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की असेंबली और संचालन में डॉकिंग का उपयोग।
    • गहरे अंतरिक्ष अभियानों में मॉड्यूल असेंबली के लिए तकनीकी विकास।
  3. वैश्विक सहयोग:
    • अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और निजी कंपनियों के साथ साझेदारी करके उन्नत तकनीकों का विकास।

चुनौतियां और समाधान

  1. सटीकता और विश्वसनीयता:
    • अंतरिक्ष के कठोर वातावरण में डॉकिंग के लिए उच्च विश्वसनीयता वाली प्रणालियों और गहन परीक्षण की आवश्यकता होती है।
  2. टकराव का जोखिम:
    • निकटता संचालन के दौरान टकराव का खतरा रहता है, जिसे तकनीकी निगरानी और उन्नत एल्गोरिदम से नियंत्रित किया जाएगा।
  3. लागत और स्केलेबिलिटी:
    • डॉकिंग तकनीक के विकास में उच्च निवेश की आवश्यकता होती है। इसे व्यावसायिक रूप से लागू करने के लिए लागत को कम करना महत्वपूर्ण है।
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