स्वास्थ्य विभाग का एक और कारनामा: 14 साल से एक क्लर्क को मलाई वाली कुर्सी पर बैठाया, 30 हजारी कोर्ट से आई शिकायत तो मचा हड़कंप

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पटना3 मिनट पहले

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  • अब विभाग ने जारी किया आदेश, क्लर्क को हटाने की कवायद

स्वास्थ्य विभाग में आला अफसरों ने जिस पर हाथ रख दिया वह अंगद के पांव की तरह एक ही कुर्सी पर स्थापित हो जाता है। ऐसे लोगाें के लिए नियम कानून भी दर किनार कर दिए जाते हैं। पटना के सुल्तानगंज स्थित स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय के क्लर्क के लिए भी नियम तोड़ दिया गया है।

अधिकतम 3 साल की तैनाती के बजाए 14 साल से कर्मचारी को एक ही कुर्सी पर बैठाया गया है। इस गंभीर मामले में जब दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट से शिकायत आई तो स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। एडवोकेट ने कार्रवाई नहीं होने पर मामले को पटना हाईकोर्ट में ले जाने की बात कही है।

अफसर मेहरबान हुए तो 14 साल से नहीं हिली कुर्सी

दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट के वेस्टर्न विंग के चैंबर नंबर 44 B के एडवोकेट अविषेक कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, BMSICL के एमडी प्रदीप कुमार झा और राज्य स्वास्थ्य समिति के ED को भेजे पत्र में कहा है कि सुल्तानगंज स्थित स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय निदेशक सर्कल में तैनात क्लर्क कौशलेंद्र कुमार पिछले 14 साल से तैनात हैं।

एक ही स्थान पर 14 साल से तैनात कौशलेंद्र पर करप्शन और पद का दुरुपयोग करने का आरोप है। सरकारी कर्मचारी एक स्थान पर एक ही पद पर 3 वर्ष से अधिक नहीं रह सकता है। ऐसा अपवाद होता है लेकिन वर्तमान में स्थिति विचित्र है, क्योंकि संबंधित क्लर्क को उक्त पद पर तैनात करने का कोई विशेष कारण नहीं बन रहा है।

अफसरों ने तोड़ा सेवा का नियम

एडवोकेट अविषेक कुमार ने पत्र में कहा है कि सेवा में नियमों के खिलाफ क्लर्क को 14 साल से एक ही कुर्सी पर रखना गंभीर मामला है। क्लर्क एक ही पद पर इतने लम्बे समय तक तैनात रहते हुए अपने सरकारी कर्तव्यों का दुरूपयोग करते हुए अपने लोगों को लाभ पहुंचा रहा है। एक पद पर तैनात रहने के लिए उक्त कर्मी लोगों को लाभ भी पहुंचा रहा है। मांग की गई है कि स्वास्थ्य विभाग के ऐसे अफसरों के खलाफ कार्रवाई की जाए जो ऐसे कर्मियों को 14 साल से एक ही स्थान पर रखने के लिए जवाबदेह हैं।

दोषी अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच के साथ कार्रवाई की मांग की गई है। जांच में मामले को लंबित करने वाले दोषी अफसरों पर भी कार्रवाई की जाए। निष्पक्ष जांच के लिए संबंधित कर्मी को पहले दूसरे पद ट्रांसफर करना चाहिए। इस मामले में अनुरोध किया गया है कि सरकार के स्वास्थ्य विभाग के दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

जांच में हो रही लीपापोती पर कार्रवाई की मांग

एडवोकेट अविषेक कुमार ने स्वास्थ्य विभाग से जांच के लंबित रहने के कारण संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। मामले की जांच कराकर 60 दिनों में कार्रवाई करने की मांग की गई है। एडवोकेट का कहना है कि इस पत्र पर कार्रवाई नहीं होती है तो वह इस मामले को पटना उच्च न्यायालय ले जाएंगे, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, BMSICL के एमडी प्रदीप कुमार झा और राज्य स्वास्थ्य समिति के ED को जिम्मेदार बनाएंगे।

उप सचिव ने डीएम को जारी किया पत्र

राज्य स्वास्थ्य समिति के उप सचिव और मानव संसाधन विभाग के प्रभारी राजेश कुमार ने पटना डीएम को 22 अगस्त 2021 को जारी पत्र में कहा है कि तीस हजारी कोर्ट के अधिवक्ता अविषेक कुमार के परिवाद में स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय सुल्तानगंज में तैनात लिपिक कौशलेंद्र कुमार के 14 साल से एक ही पद पर तैनात रहने का उल्लेख है। इस मामले में जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने की बात कही गई है।

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