Home Bihar हर महीने वाहनाें के डीजल पर 32 लाख रुपए खर्च: वाहन में डीजल नहीं होने का बहाना बना मायागंज अस्पताल से शव लेकर शंभुगंज जाने को तैयार नहीं हुआ ड्राइवर

हर महीने वाहनाें के डीजल पर 32 लाख रुपए खर्च: वाहन में डीजल नहीं होने का बहाना बना मायागंज अस्पताल से शव लेकर शंभुगंज जाने को तैयार नहीं हुआ ड्राइवर

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हर महीने वाहनाें के डीजल पर 32 लाख रुपए खर्च: वाहन में डीजल नहीं होने का बहाना बना मायागंज अस्पताल से शव लेकर शंभुगंज जाने को तैयार नहीं हुआ ड्राइवर

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भागलपुरएक घंटा पहले

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मरीज व परिजनाें काे समय पर नहीं मिलती है सुविधा। - Dainik Bhaskar

मरीज व परिजनाें काे समय पर नहीं मिलती है सुविधा।

शव वाहन में डीजल नहीं है, इसलिए नहीं जा सकते। नेटवर्क डाउन है इसलिए बात नहीं हाे सकती। कुछ एेसे ही बहाने जिले के सरकारी अस्पतालाें में तैनात एंबुलेंस व शव वाहन वाले आमताैर पर मरीजाें व परिजनाें के साथ हर दिन बनाते रहते हैं। चाहे वह अस्पताल के हेल्थ मैनेजर की अाेर से कहा जाए या परिजनाें की आरजू-मिन्नतें हाें, लेकिन इन हेल्थ वर्कराें का अगर मूड जाने का नहीं हाे ताे क्या मजाल कि आप उससे काम ले पाएं। साेमवार की रात 12 बजे मायागंज अस्पताल में एक ऐसा ही मामला आया। बार-बार कहने के बाद भी एक शव वाहन का ड्राइवर बांका के शंभुगंज जाने काे तैयार नहीं हुआ। बाद में परिजन शव को निजी वाहन से लेकर गए। जबकि हर महीने जिले के 43 एंबुलेंस व तीन शव वाहनाें के डीजल पर करीब 32 लाख रुपए खर्च हाेते हैं। लेकिन जरूरतमंदाें काे समय पर इसकी सुविधा नहीं मिल रही है। शंभुगंज की 50 वर्षीया कविता देवी काे किडनी की बीमारी पहले से थी। शुक्रवार काे सांस लेने में तकलीफ हुई ताे मायागंज अस्पताल में भर्ती किया गया। इलाज के दाैरान साेमवार की रात 11 बजे उनकी माैत हाे गई। इसके बाद शव काे घर ले जाने के लिए रात 11.30 से एक बजे तक अस्पताल की नर्स से लेकर हेल्थ मैनेजर पवन पांडेय ड्राइवर से कहकर थक गए पर वह जाने काे तैयार नहीं हुअा।

जानिए, कितने वाहन है

  • एडवांस लाइफ सपाेर्ट एंबुलेंस 10
  • बेसिक लाइफ सपाेर्ट एंबुलेंस 33
  • शव वाहन 03

शव ले जाने के लिए न डीजल की व्यवस्था हुई, न सुपरवाइजर ने फोन उठाया
मैनेजर ने शव वाहन के ड्राइवर से शंभुगंज जाने काे कहा ताे बताया कि डीजल खत्म हाे गया है। जब उसे कहा कि अपने सुपरवाइजर से बात कराे ताे कहा कि वे फोन रीसिव नहीं कर रहे हैं। जब पटना कंट्राेल रूम से बात करने काे कहा ताे बताया कि सर्वर डाउन है। आखिरकार न ताे डीजल की व्यवस्था हुई न सुपरवाइजर ने बात की। जबकि हर गाड़ी के ड्राइवर काे प्रतिदिन 25 लीटर डीजल खरीदने का पेट्राे कार्ड दिया गया है। जिससे पेट्राेल पंप पर डिजिटल पेमेंट कर वाहनों में डीजल भरा जाता है।

डीजल पर खर्च का ये है गणित
एक लीटर डीजल की कीमत 94.56 पैसे है, ऐसे में एक गाड़ी पर प्रतिदिन के हिसाब से 25 लीटर डीजल खपत करने की स्वीकृति है। जिले में कुल 43 वाहनाें काे मिलाकर प्रतिदिन एक लाख 8744 रुपए खर्च हाे रहे, जबकि 30 दिन में यह राशि 32 लाख 62 हजार 320 रुपए हाे जाता है।

सुपरवाइजर बोले, नेटवर्क डाउन हाेने से हुई दिक्कत
एंबुलेंस व शव वाहन के संचालन काे तैनात सुपरवाइजर मुकेश कुमार ने बताया कि कभी-कभी नेटवर्क डाउन हाेने से पेट्राेल पंप पर कार्ड स्वैप नहीं हाेता है। मुझे भी पता चला था कि रात में नेटवर्क डाउन हाेने से परेशानी हुई।

102 एंबुलेंस व शव वाहन के संचालन के लिए आउटसाेर्स एजेंसी काे राज्य स्तर पर काम मिला है। स्थानीय स्तर पर हमलाेग उसे काम देते हैं पर काेई इसमें लापरवाही करता है ताे शिकायत एजेंसी से की जाएगी। -डाॅ. उमेश शर्मा, सिविल सर्जन

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