हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को हलफनामा दाखिल करने को कहा: राज्य सरकार ने कहा- सेवानिवृत जजों ने सरकारी बंगलों को खाली कर दिया है

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पटनाएक घंटा पहले

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प्रतीकात्मक तस्वीर।

पटना हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जजों से बंगला खाली कराने के मामले पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने को कहा है। जस्टिस राजन गुप्ता व जस्टिस मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने अधिवक्ता दिनेश की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश को पारित किया। हालांकि, सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता द्वारा मौखिक रूप से कोर्ट को जानकारी दी गई कि बंगलों को खाली कर दिया गया है।

उक्त मामले में याचिकाकर्ता का कहना था कि पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अंजना मिश्रा, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति प्रकाश चंद्र जायसवाल व सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आदित्य कुमार त्रिवेदी द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद भी सरकारी बंगला नहीं खाली किया गया। कोर्ट के समक्ष पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ता ने तेजस्वी प्रसाद यादव के मामले का भी हवाला दिया, जिसमें राज्य सरकार तेजस्वी प्रसाद यादव के उप मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद बंगला खाली करवाना चाह रही थी।

पटना हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा था कि उप मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद वे बंगला नहीं रख सकते हैं। याचिकाकर्ता ने अपनी इस जनहित याचिका के जरिए सरकारी बंगला में समय से अधिक अवधि तक रहने के एवज में किराया, बिजली बिल व पानी का बिल समेत अन्य चार्जों को भी देने के लिए आदेश देने का आग्रह किया है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि समय से अधिक अवधि तक सरकारी बंगला में रहकर उक्त सेवानिवृत्त जजों ने हाई कोर्ट जजेज रूल्स, 1956 के रूल्स 2 ए और 2 सी का उल्लंघन किया है। उक्त नियम के अनुसार हाई कोर्ट जज सेवानिवृत्ति के बाद एक महीने से ज्यादा की अवधि तक सरकारी बंगला में नहीं रह सकते हैं। नियम में आगे यह भी कहा गया है कि सेवानिवृत्ति के बाद एक महीने से ज्यादा की अवधि तक सरकारी बंगला में रहने की स्थिति में उस अवधि का किराए का भुगतान करना होगा।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि हाईकोर्ट के जज भारत के संविधान की रक्षा करने के लिए शपथ लेते हैं, इसलिए इनसे इस प्रकार की अपेक्षा नहीं कि जाती है। अपनी याचिका में कहा है कि यह एक अभूतपूर्व केस है, जहां सेवानिवृत्त जज राजनीतिज्ञों के कदम का अनुसरण कर रहे हैं। अब इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद कि जाएगी।

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