भागलपुर25 मिनट पहले
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कदवा दियारा में गरूड़ाें काे कैमरे में कैद करते पर्यावरणविदों की टीम।
- बिहार में गरूड़ाें की एक ही काॅलाेनी, और बढ़े ताे टूरिज्म काे दें बढ़ावा :
बिहार में गरूड़ाें की काॅलाेनी अभी कदवा दियारा में ही है, इसलिए ज्यादा टूरिस्टाें काे अभी इस इलाके में बुलाना खतरनाक हाे सकता है। इसके लिए बिहार के कुछ अन्य इलाकाें में और काॅलाेनियां बन जाएं ताे यह बेहतर टूरिज्म वाला इलाका बन सकता है। कदवा दियारा में गरूड़ाें के प्रजनन के लिए जितने पेड़ हाेने चाहिए, उतने नहीं हैं, इसलिए इनकी संख्या करीब 200 तक बढ़ाने की जरूरत है। यह बातें वन्य प्राणी वैज्ञानिक डॉ. असद रहमानी ने दियारा में जायजा लेने के बाद कहीं। गुरुवार काे पर्यावरणविदाें की टीम ने चार कदंब के पाैधे भी खैरपुर हाई स्कूल के पास लगाए।
ग्रामीणाें की जागरूकता की सराहना की
इंडियन बर्ड कंजर्वेशन नेटवर्क के स्टेट को-ऑर्डिनेटर अरविंद मिश्रा ने बताया कि टीम ने गरूड़ाें के चारा, प्रजनन स्थल और गंगा व काेसी नदी के छाेटे-छाेटे ढाब वाले इलाके में भी जाकर देखा। डाॅ. रहमानी ने गांव के लाेगाें काे कहा कि अच्छी बात है कि आपलाेग जागरूक हाे गए हैं पर पेड़ाें की कमियाें काे दूर करना जरूरी है।
40 देशों में वन्य प्राणियों की फोटोग्राफी करने वाले धृतिमान मुखर्जी ने दियारा में लाेगाें के घराें की छत पर जाकर देखा कि कहां से गरूड़ाें के प्रजनन से लेकर उसके चूजाें की सुरक्षा करने के लिए फाेटाेग्राफी की जा सकती है। ताकि लाेगाें काे बताया जा सके कि यहां किस तरह से वन्य प्राणियाें की संख्या बढ़ी है।
टीम काे ग्रामीणाें ने किया सहयाेग
इस दल में मुख्य सहयोगी के रूप में जयनंदन मंडल के साथ वन विभाग के वनपाल प्रमोद कुमार और वनरक्षी नितेश कुमार, अमन कुमार, शुभम कुमार और उत्तम कुमार माैजूद रहे। कदवा के ग्रामीण बाल मुकुंद सिंह, अरुण यादव, अशोक सिंह, नगीना राय, शशि यादव, चंद्रदेव सिंह, कारे लाल सिंह, दयानंद सिंह, स्कूल के प्राचार्य अजय झा, सरपंच सुबोध मिश्रा, गरूड़ सेविअर प्रिंस कुमार, राजीव कुमार, राहुल कुमार, संतोष कुमार, अमित कुमार, विक्रम कुमार, मनीष कुमार, मुकेश कुमार, बिजय कुमार, दीपक कुमार शामिल रहे।