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फुलपरास/ मधुबनी9 मिनट पहले
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फुलपरास प्रखंड के सिजौलिया गांव अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र।
फुलपरास प्रखंड के सिजौलिया गांव में सरकार 14 वर्षों में भी एक अस्पताल नहीं बनवा सकी। निर्माण कार्य वर्षों से अधूरा रहने के कारण अब यह खंडहर में तबदील हो रहा है। अस्पताल में मवेशियों को बांधा जात है।
ग्रामीण मुकेश मिश्र, सरोज मंडल, लाल बिहारी सदाय, छोटू आदि का कहना है कि अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र का अधूरा भवन लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है। इस अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र का इस्तेमाल आसपास के लोग पशु रखने के काम में करते हैं। इस केंद्र पर दो ANM पदस्थापित है, जो दूसरे के दरवाजे पर टीकाकरण कर चली जाती हैं। अधूरे भवन का निर्माण नहीं होने से गांव व आसपास के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
चुनावी वादों का लगता रहता है मरहम
चुनाव के समय नेता अस्पताल निर्माण कार्य पूरा करने और डॉक्टर की पदस्थापना कराने का भरोसा दिलाकर अपना काम निकाल लेते हैं और चुनाव परिणाम आने के बाद वादा भूल जाते हैं। वर्ष 2007 में भवन निर्माण शुरू हुआ, तब से इसका काम आगे नहीं बढ़ा। भवन के अभाव में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसरकारी मकान में भाड़े पर 8 जुलाई 1989 से फुलपरास PHC के अधीन चल रहा है। इस बाबत PHC प्रभारी डॉ. करण कुमार ने बताया कि भवन अधूरा रहने के कारण अस्पताल अभी कृपानंद झा के घर में किराए पर संचालित है। यहां दो ANM कार्यरत हैं।
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