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पटना33 मिनट पहले
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पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम की तैयारी में लगे अधिकारी और कर्मचारी।
राजधानी में यदि कोई आपात स्थिति आ जाए और लोगों को इसकी सूचना तुरंत देनी हो तो, इसके लिए अभी कोई प्रभावशाली सिस्टम नहीं है। लेकिन अब इसके एक बड़ी प्लानिंग शुरू की जा रही है।
शहर के 50 प्रमुख इलाकों व स्थानों पर लोगों को किसी भी आपात स्थिति से अवेयर करने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगाने की तैयारी है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में हाईपावर लाउडस्पीकर सिस्टम लगाए जाएंगे।
पूरी तकनीक को एक कंट्रोल रूम से संभाला जाएगा। पटना स्मार्ट सिटी की ओर से इस तरह का सिस्टम डेवलप करने का काम शुरू हुआ है। अफसरों के मुताबिक पब्लिक एड्रेस सिस्टम के माध्यम से किसी भी संबंधित इलाके की जनता तक सूचना कुछ ही सेकेंड में भेज सकते हैं। आमजन तक किसी आम व शासकीय सूचना को भी आसानी से पहुंचाया जा सकेगा। इसके साथ ही शहर के बड़े हिस्से में इमरजेंसी कॉल बॉक्सेज (ईसीबी) भी लगाए जाएंगे।
मदद के लिए कॉल करने की भी सुविधा
पब्लिक एड्रेस सिस्टम के तहत कंट्रोल रूप से शहर के किसी भी इलाके में जनता को संबोधित कर सकेंगे। उदाहरण के तौर पर शहर के किसी हिस्से में कोई हादसा होने के दौरान आम लोगों को सचेत करने के लिए तुरंत वहां की जनता तक जानकारी पहुंचा दी जाएगी, ताकि वे सावधानी व सतर्कता बरत सकें। विभिन्न परिस्थितियों में पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग किया जा सकेगा।
इसके अलावा सुविधा के लिए लगाए जाने वाले इमरजेंसी कॉल बॉक्स का लिंक सीधे कंट्रोल रूम से रहेगा। शहर का कोई भी नागरिक किसी इमरजेंसी के दौरान टॉल फ्री नंबर पर कॉल करके मदद मांग सकता है या फिर किसी तरह की जानकारी दे सकता है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कई तरह की नई तकनीक से शहर को अपग्रेड करने का काम शुरू किया गया है। अगले साल 14 जनवरी तक प्रोजेक्ट के तहत कई बड़ी सुविधाएं शुरू होने का दावा किया गया है।
नई तकनीक से निगरानी : 30 स्थानों पर लगाया जाएगा एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम
ट्रैफिक सिस्टम को नए सिरे से दुरूस्त करने की कवायद शुरू होगी। कोई भी वाहन कहीं से ट्रैफिक नियम तोड़ते हुए निगरानी की जद में आएगा, इसके लिए पूरा सिस्टम तैयार होगा।
पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, आईसीसीसी के तहत बड़ी प्लानिंग को मूर्त रूप दिया जाएगा। शहर के 30 स्थानों पर एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम लगाने की योजना है।
इस नई तकनीक के जरिए पूरी राजधानी को आधुनिक कैमरे की निगरानी व जद में रखा जाएगा। सभी प्रमुख चौक-चौराहों पर चौबीसों घंटे निगरानी होगी और इसके लिए कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग होगी। हालांकि अभी भी मुख्य चौक-चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे से ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लेने की कार्रवाई हो रही है।
लेकिन अब इसे और पुख्ता बनाने की दिशा में तैयारी शुरू हो गई है। पटना में उच्च तकनीकों पर आधारित यातायात-प्रबंधन को लागू करने पर जोर दिया है। अफसरों के मुताबिक पटना शहर पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी भारत के लिए द्वार की भूमिका निभाता है। ऐसे में शहर को स्मार्ट बनाने के लिए यातायात प्रबंधन को बेहतर करने की बात उन्होंने कही।
आईसीसीसी के तहत पूर्ण होने वाले प्रोजेक्ट को 4 चरणों में किया जाएगा पूरा
आईसीसीसी के तहत पूर्ण होने वाले प्रोजेक्ट को चार चरणों में पूरा किया जाएगा। पूरी परियेाजना को अगले साल के शुरूआत में ही पूर्ण करने का लक्ष्य है। मिली जानकारी के मुताबिक शहर में 30 स्थानों पर एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (एटीसीएस), 15 स्थानों पर वैरिएबल मैसेज साइन बोर्ड (वीएमडी), 50 स्थानों पर पब्लिक एड्रेस सिस्टम एवं इमर्जेंसी कॉल बॉक्सेज (ईसीबी), 10 स्थानों पर स्पीड वायलेशन डिटेक्शन (एसवीडी), 25 स्थानों पर ऑटोमेटिक नम्बर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) तथा 5 स्थानों पर इंवायरमेंटल सेन्सर लोकेशन (ईएसएल) प्रणाली संस्थापित किया जाना है।
1,244 की संख्या में सिटी सर्विलेंस सिस्टम लगाया जाना है। इसके साथ ही 220 किमी में ओएफसी केवल नेटवर्क बिछाया जाना है। कार्य के स्कोप के अनुसार कुल 2,588 कैमरा को अधिष्ठापित किया जाना है। सुगम ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर मोबाइल एप विकसित किया जा रहा है।
कंट्रोल रूम में कई विभाग करेंगे काम
पटना के लाेगों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने के लिए इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के भवन में ही बड़े कंट्रोल की स्थापना की जा रही है। भवन के ग्राउंड फ्लोर पर एक बड़ा स्क्रीन या मॉनिटर लगेगा, जिसपर शहर की विभिन्न गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी।
इस कंट्रोल रूम में आपादा, आपात, सुरक्षा, संरक्षा, निर्माण, प्रशासन आदि से जुड़ी विभिन्न टीमें काम करेंगी। यह एक बड़ा डेटा सेंटर हाेगा, जहां से पूरी राजधानी के चप्पे-चप्पे को मॉनिटर किया जाएगा। स्मार्ट सिटी के अफसरों ने बताया कि तेजी से हो रहे शहर के विकास को देखते हुए उच्च तकनीक का इस्तेमाल जरूरी हो गया है।
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