Home Bihar 75/144 की समीक्षा: बिहार में चुनावी नतीजों के 41 दिन बाद तेजस्वी-तेजप्रताप के साथ बैठेंगे RJD नेता, लालू भी रहेंगे मुद्दा

75/144 की समीक्षा: बिहार में चुनावी नतीजों के 41 दिन बाद तेजस्वी-तेजप्रताप के साथ बैठेंगे RJD नेता, लालू भी रहेंगे मुद्दा

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75/144 की समीक्षा: बिहार में चुनावी नतीजों के 41 दिन बाद तेजस्वी-तेजप्रताप के साथ बैठेंगे RJD नेता, लालू भी रहेंगे मुद्दा

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पटना35 मिनट पहले

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  • परंपरागत सीटें कैसे बचा कर रखें और कृषि कानून के विरोध की रणनीति पर होगी बात

विधान सभा चुनाव में सत्ता की कुर्सी से कुछ कदम दूर रह जाने की कसक की राजद अब समीक्षा करेगा। चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आये थे, अब 41 दिन बाद सोमवार 21 दिसंबर को दिन के 11 बजे प्रदेश कार्यालय में बैठक होगी। बैठक में चर्चा के मुख्य बिंदु राजद की हारी हुई सीटें और हारे हुए नेता रहेंगे। कांग्रेस को ज्यादा सीटें दिए जाने की भी समीक्षा होगी। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने तेजस्वी के हाथों क्या संदेश भिजवाया है, इसपर चर्चा होगी। इस बैठक से पहले ही पार्टी पूर्व सांसद, पूर्व विधायकों और जिलाध्यक्षों समेत भितरघात करने वाले कई नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।

राजद ने इस बैठक में सभी विधायकों, 2020 विधान सभा चुनाव के प्रत्याशियों, सभी जिलाध्यक्षों और जिलों के प्रधान महासचिवों को बुलाया है। तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव खास तौर से उपस्थित रहेंगे। प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अध्यक्षता करेंगे।

  • इन मुद्दों पर होगी खास बात

कांग्रेस को ज्यादा सीटें देना महंगा पड़ा

राजद नेता समीक्षा बैठक में इस बात पर चर्चा करेंगे कि कांग्रेस को ज्यादा सीटें देना किस तरह से घातक रहा। महागठबंधन में राजद ने 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारा था, जिसमें से 75 उम्मीदवारों की जीत हुई। गठबंधन धर्म निभाते हुए कांग्रेस को 70 सीटें दी गईं, जिसमें वो महज 19 सीटें ही जीत पाए।

अपनी हार-जीत की भी समीक्षा करेगी

चुनाव में राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, लवली आनंद और भोला यादव की हार हुई। राजद कई परंपरागत सीटें नहीं बचा पाई। हिलसा, मुंगेर, सहरसा, आरा में पार्टी की हार हुई। चंपारण में पार्टी का परफॉरमेंस काफी खराब रहा। समीक्षा में इस पर बात होगी कि परंपरागत सीटों को कैसे बचाया जाए। ये हाथ से क्यों निकलती जा रही हैं?

पटना महानगर की सीटें क्यों नहीं जीत पा रहे

पटना राजधानी है इसलिए महानगर की सीटें ज्यादा मायने रखती हैं। लेकिन इनपर भाजपा का कब्जा रहा है। राजद या महागठबंधन चाहकर भी भाजपा का यह चक्रव्यूह नहीं तोड़ पा रही। दीघा, बांकीपुर, पटना साहेब और कुम्हरार से भाजपा के विधायक ही फिर से जीत गए। शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को कांग्रेस का टिकट दिया गया, पर वे भी चक्रव्यूह नहीं तोड़ पाए। बैठक में इस पर भी बात होगी।

कृषि कानून पर चर्चा

समीक्षा बैठक का बड़ा एजेंडा केन्द्र का वह कृषि कानून भी है, जिस पर काफी बवाल है। नेता प्रतिपक्ष ने किसानों के सवाल पर गांधी मूर्ति के पास संकल्प लिया है। इसको लेकर आगे की रणनीति पर बात होगी कि कैसे इसे मजबूती दी जाए। लालू प्रसाद को किसी तरह की राहत नहीं मिल पा रही है। इसलिए राजद को अब केन्द्र सरकार से बहुत उम्मीद नहीं रह गई है। आगे राजद किस तरह से रिएक्ट करेगी, यह बैठक में तय होगा। कृषि कानून पर राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी, प्रेम कुमार मणि, जगदानंद सिंह, आलोक मेहता पहले ही बैठकर बात कर चुके हैं।

रोजगार का सवाल

तेजस्वी यादव ने चुनाव से पहले अपनी सभाओं में कहा था कि रोजगार का सवाल सबसे बड़ा सवाल है। उन्होंने सरकार बनने पर पहली कैबिनेट बैठक में 10 लाख युवकों को सरकारी नौकरी देने का वादा भी किया था, पर उनकी सरकार नहीं बन पाई। अब राजद की रणनीति है कि रोजगार के सवाल पर वह राज्य सरकार को घेरेगी। बैठक में इसकी रणनीति भी बनेगी।

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