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बेतियाएक घंटा पहले
अफ्रीका और साउथ अमेरिका में पाई जाती है माउथ कैट फीस
बेतिया जिला के सिकटा प्रखंड के बलथर गांव के समीप एक पोखरा में मछली मारने के दौरान मैंनाटाड़ थाना क्षेत्र के रामनगरी गांव निवासी अंकुर साह नामक मछुआरे के जाल में दो अजीबो-गरीब मछली फंस गई, जिसको देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई, जिसको देखकर मछुआरा भी हैरत में पड़ गया। एक मछली का वजन 500 ग्राम और दुसरे मछली का वजन 200 ग्राम था। अब यह मछली लोगों मे कौतूहल का विषय बन चुकी है, क्योंकि इस मछली के चार आंख है और इसका रंग व बनावट दोनों सामान्य मछली से भिन्न है।
बलथर गांव के समीप एक पोखरा में मिली माउथ कैटफीश
अफ्रीका और साउथ अमेरिका में पाई जाती है मछली
इस मछली के विषय में पूछे जाने पर डब्ल्यूटीआई व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरीय अधिकारी डॉ समीर के सिन्हा व वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पदस्थापित बांकेलाल प्रजापति ने बताया कि यह मछली माउथ कैटफीश है। यह मछली अमेरिका के दक्षिणी अमेजॉन नदी में पाई जाती है। इसको अमेजॉन स्मेल एक्जॉटिक कैट फीस के नाम से जाना जाता है, जो कि आरमोरेड कैटफिश फैमिली से है। इसका हमारे क्षेत्रों में मिलना चिंता की बात है। यह मछली एक्यूरिअम में लोग पालते है, जो शीशे पर जमे काई और मछलियों की गंदगी को साफ करती है। उन्होंने बताया कि माउथ कैटफिश साउथ अफ्रीका और साउथ अमेरिका में अधिकतर पाई जाती है। लोग इसे घरों में शोभा के लिए पालने को लाए थे। बाद में कुछ लोगों ने इसे नदियों में छोड़ दिया। इस मछली का प्रजनन अधिक तेजी से होता है।
जलीय जीव के लिए है खतरनाक
इस मछली को वर्ष 2003- 04 में गंगा नदियों में सर्वे के समय पहली बार देखा गया था। वर्तमान में यह मछली गंगा, गंडक आदि नदियों में भी मौजूद है। यहां से 15000 हजार किलोमीटर दूर अमेरिका के अमेजॉन में रहने वाली इस मछली का तलाब में मिलना शोध का विषय है। यह मछली दुर्लभ प्रजाति की है। इसका मिलना शुभ संकेत नहीं माना जाता है। क्योंकि यह एक मांसाहारी प्रजाति की मछली है। यह जल में रहने वाले जलीय जीवो के लिए खतरनाक साबित होती है।
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