Home Business प्राकृतिक गैस के दाम 62% बढ़े, CNG-रसोई गैस हो सकती है महंगी

प्राकृतिक गैस के दाम 62% बढ़े, CNG-रसोई गैस हो सकती है महंगी

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प्राकृतिक गैस के दाम 62% बढ़े, CNG-रसोई गैस हो सकती है महंगी

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गुरुवार को प्राकृतिक गैस (NG) की कीमत 62 प्रतिशत बढ़ा दी है. इस गैस का इस्तेमाल फर्टिलाइजर, बिजली उत्पादन में, सीएनजी के रूप में वाहन ईंधन और खाना पकाने के लिए रसोई गैस के रूप में होता है. अप्रैल 2019 के बाद कीमत में यह पहली वृद्धि है. मानक माने जाने वाले अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम में तेजी के कारण गैस के दाम बढ़े हैं.

1 अक्टूबर से लागू होंगे नए रेट

पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (PPAC) ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) और ऑयल इंडिया लि. को आबंटित फील्डों से प्रोड्यूस्ड प्राकृतिक गैस की कीमत 1 अक्टूबर से अगले छह महीने के लिए 2.90 डालर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट होगी. वहीं, गहरे समुद्र जैसे कठिन क्षेत्रों से उत्पादित गैस की कीमत 6.13 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट होगी. फिलहाल यह दर 3.62 डालर प्रति यूनिट है. यह अधिकतम मूल्य है जो रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. और उसकी भागीदार बीपी पीएलसी केजी-डी6 जैसे गहरे समुद्र में स्थित ब्लॉक से उत्पादित गैस के लिए प्राप्त करने की हकदार होगी. 

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10-11% तक बढ़ेंगे CNG-PNG के दाम

उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, गैस के दाम बढ़ने से दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सीएनजी और पाइप के जरिए घरों में आपूर्ति होने वाली रसोई गैस की कीमत में 10-11 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इस वृद्धि से ईंधन के रूप में गैस का उपयोग करने वाले बिजली संयंत्रों से उत्पादित बिजली की लागत भी बढ़ेगी. हालांकि, इससे ग्राहकों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि गैस बेस्ड प्लांट से उत्पादित बिजली की हिस्सेदारी ज्यादा नहीं है. इसी प्रकार, फर्टिलाइजर प्रोडक्शन की लागत भी बढ़ेगी. लेकिन सरकारी सब्सिडी से दरों में वृद्धि की आशंका नहीं है. 

ONGC को सालाना 5200 करोड़ का फायदा

इससे पहले, अप्रैल में की गई समीक्षा में ओएनजीसी को दी गई 1.79 डॉलर प्रति यूनिट में कोई बदलाव नहीं किया गया था, जबकि गहरे समुद्र में स्थित क्षेत्रों से उत्पादित गैस के दाम 4.06 डॉलर प्रति यूनिट से कम कर 3.62 रुपये प्रति यूनिट कर दिए गए थे. सूत्रों के अनुसार गैस के दाम में एक डॉलर की वृद्धि से ओएनजीसी के सालाना राजस्व में 5,200 करोड़ रुपये की वृद्धि का अनुमान है. कर और अन्य शुल्क हटाने के बाद यह 3,200 से 3,300 करोड़ रुपये बैठता है. इससे पहले, अप्रैल 2019 में गैस के दाम बढ़ाए गए थे. उसके बाद वैश्विक मानक दरों में कमी से इसमें गिरावट ही आती रही.

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31 मार्च 2022 तक नहीं बदलेंगे दाम

सरकार ONGC को नामांकन के आधार पर आबंटित फील्ड से उत्पादित गैस के लिए मूल्य तय करती है. साथ ही छमाही आधार पर उन क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिए अधिकतम मूल्य तय करती है, जिसे परिचालकों ने लाइसेंस दौर के तहत हासिल किया है. सूत्रों के अनुसार कंपनियां यूजर्स से मूल्य के साथ बोलियां आमंत्रित करती है. लेकिन कीमत सरकार द्वारा घोषित मूल्य सीमा पर निर्भर करती है. PPAC ने कहा, ‘घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत एक अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक 2.90 डॉलर प्रति यूनिट होगी. जबकि गहरे जल क्षेत्र और उच्च दबाव, उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में स्थित गैस क्षेत्रों से उत्पादित गैस की कीमत 6.13 डॉलर प्रति यूनिट होगी.’

हर 6 महीने में बदलते हैं गैस के दाम

प्राकृतिक गैस की कीमत हर छह महीने पर 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को तय की जाती है. यह दर अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस संसाधन अधिशेष वाले देशों में एक तिमाही के अंतर के साथ एक साल की कीमत के आधार पर तय की जाती है. यानी एक अक्टूबर से 31 मार्च के लिए कीमत जुलाई 2020 से जून 2021 के दौरान के मूल्य के आधार पर तय होगी.

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