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मुजफ्फरपुरएक घंटा पहलेलेखक: अरविंद कुमार
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मंजर से लदने लगे पेड़
दाे वर्ष बाद लाेग विश्वविख्यात शाही लीची व स्थानीय रसीले मालदह आम का खूब स्वाद ले सकेंगे। इस वर्ष लंबे समय तक पड़ी ठंड के बाद तापमान में जारी वृद्धि से मौसम शाही लीची और रसीले मालदह आम के मुफीद हो गया है। लीची व आम के पेड़ मंजर से लदने लगे हैं। इन मंजर काे किसानों ने बचा लिया व उसकी उचित देखभाल हुई तो शाही लीची के पेड़ों में बेहतर फल होगा।
जिससे देश-विदेश में इस बार फिर से शाही लीची की धूम मचेगी। अत्यधिक ठंड के बाद मौसम के अनुकूल रहने से आम एवं लीची के बागानों में वर्ष 1962 की भांति खूब मंजर निकले हैं। फरवरी में तापमान के बढ़ने के साथ ही बागानाें में निकले मंजर में अब फूल खिलने लगे हैं।
जिससे किसानों में नई आस जगी है। इस अनुकूल मौसम में आम का भी अधिक उत्पादन होने की संभावना है। बता दें कि पिछले दो वर्षों में कभी कोरोना वायरस तो कभी अत्यधिक बारिश के कारण लीची का उत्पादन तथा व्यापार काफी प्रभावित हुआ है।
इसलिए बेहतर उत्पादन की संभावना : लीची काे 200 घंटों तक मिला है सात डिग्री से कम तापक्रम समय से निकली फ्लसिंग
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके पूर्वे ने बताया कि लीची में बेहतर मंजर के लिए जरूरी 200 घंटे तक सात डिग्री से कम तापक्रम पाैधों काे मिला। वहीं, गत वर्ष अच्छी बारिश के पश्चात लीची की तुड़ाई के बाद पाैधों में समय से फ्लश व पत्ता निकला। इसके बाद तापक्रम कम हाेने से स्वस्थ पाैधों में अच्छा मंजर निकला है। आम के पेड़ों में भी मौसम के साथ देने से अधिक मंजर निकला है। इसकाे देखते हुए इस वर्ष लीची आम के पेड़ों में अधिक फल लगने का अनुमान है।
ज्यादा बारिश से 20% बाग सूखे
पिछले दाे वर्ष के दौरान हुई अत्यधिक बारिश के कारण खासकर जिले के बाेचहां व मीनापुर प्रखंड में लीची के बाग 20 फीसदी तक सूख गए हैं। दस फीसदी पाैधाें का जड़ सूख जाने से पत्ता सूख कर गिर गया है। लीची किसान भोलानाथ झा ने बताया कि निरोग पेड़ में जहां खूब मंजर निकले हैं, वहीं सूखने से बचाए गए बाकी पाैधों में अधिक फल लगने के बाद भी इस बार जिले में लीची के उत्पादन में 30 फीसदी तक कमी आने की संभावना है।
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