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भागलपुर30 मिनट पहले
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शिविर में चालकों की आंखों की जांच करते डॉक्टर।
शहर की सड़कों पर दौड़ रहे स्कूली वाहनों को चलाने वाले 52 प्रतिशत ड्राइवर पास की नजर कमजोर होने से ग्रसित हैं तो 10 प्रतिशत ड्राइवर बच्चों की जिंदगी दांव पर लगाकर वाहन चला रहे हैं।
उनसे कभी भी काेई बड़ा हादसा हो सकता है। इन चालकों की दूर की नजर कमजोर है व ये चश्मा भी नहीं लगाते। इन्हें जांच के दौरान सदर अस्पताल रेफर किया गया है। निजी स्कूली वाहनों पर परिवहन विभाग ने नकेल कसनी शुरू कर दी है। रविवार को जिला परिवहन कार्यालय के सभागार में स्कूल वाहन चलाने वाले चालकों के लिए नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया गया।
सदर अस्पताल के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. सत्यदीप गुप्ता ने चालकों के आंखों की जांच की। शिविर में 95 चालकों के आंखों की जांच की गई। जांच में 35 प्रतिशत ही चालकों की आंखें सही पाई गईं। वहीं 10 प्रतिशत चालक ऐसे मिले जो बगैर चश्मे के वाहन चलाने के योग्य ही नहीं हैं। जबकि 55 प्रतिशत चालकों में पास की नजर कमजोर पाई गई है।
35 वर्ष से कम आयु वर्ग के चालक मायोपिया से ग्रसित
निकट दृष्टि दोष को चिकित्सीय भाषा में मायोपिया कहते हैं, इसमें दूर की चीजों को स्पष्ट रूप से देखने में परेशानी होती है। शिविर में ज्यादातर 35 वर्ष से कम आयु वर्ग के चालक मायोपिया से ग्रसित पाए गए।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि बढ़ती उम्र के साथ पास की नजर कमजोर होना एक आम समस्या है पर शिविर में ज्यादातर युवा चालकों की दूर की दृषि कमजोर पाई गई। दूर की नजर युवाओं में कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण इलेक्ट्रानिक गैजेट्स है।
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