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पटना37 मिनट पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद
नीतीश कुमार के लिए राजद ही सहारा है! विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की 71 सीटें घटाकर 43 कर दी गईं। चिराग पासवान ने खुद को नरेन्द्र मोदी का हनुमान कह-कह कर यह खेल कर दिया। दूसरा खेल आरसीपी सिंह करने वाले थे। जदयू के आठ विधायकों पर नजर थी। भाजपा ने नीतीश कुमार को कम सीटों के बावजूद मंत्री जरूर बनाया, लेकिन वह लगातार आगे बढ़ने में, खुद को मजबूत करने में लगी रही।
भाजपा के रथ को रोकने के लिए अब नीतीश कुमार के पास राजद का सहारा लेने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। नीतीश कुमार ने 2013 में भाजपा के सभी मंत्रियों को बर्खास्त कर और 2017 में त्यागपत्र देकर भाजपा का रथ रोका था। लेकिन जब राजद का दबाव बढ़ा तो उन्होंने उसे भी त्यागा। अब महागठबंधन के सामने सबसे बड़ा एजेंडा यह है कि किसी भी तरह भाजपा को बिहार में हटाया जाए ताकि इसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़े।
राजद एक्शन के लिए तैयार, नीतीश की हरी झंडी का इंतजार
महागठबंधन की पार्टियां राजद, कांग्रेस और लेफ्ट नीतीश का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार हो गई हैं। इन पार्टियों के नेताओं से हुई बातचीत यही बता रही है। पहले राजद की जिद तेजस्वी यादव को सीएम बनाने की थी लेकिन वह जिद अब हटती दिख रही है।
कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां तो नीतीश के नेतृत्व में सरकार को समर्थन देने को तैयार हैं। राजद की ओर से आधिकारिक घोषणा बाकी है। इस बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास ने सोमवार की देर रात राबड़ी आवास जाकर तेजस्वी यादव से मुलाकात भी की।
महागठबंधन के सामने सबसे बड़ा एजेंडा यह है कि किसी भी तरह भाजपा को बिहार में हटाया जाए।
तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की बात भी कराई गई है। इस सबके बावजूद ज्यादा संभव है कि राजद ऐसी कोई घोषणा नहीं करे और एक्शन मोड में नीतीश कुमा्र से हरी झंडी मिलने के बाद काम करे। राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कह दिया है कि ‘अगर नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़ देते हैं तो इसके बाद हमारे पास उन्हें गले लगाने के सिवा और क्या विकल्प है !’ आज मंगलवार को राजद विधायकों की बैठक होनी है। नीतीश कुमार अभी की स्थिति में सीएम पद छोड़ेंगे ऐसा कम लग रहा। अभी वे सीएम का पद छोड़ेंगे तो केन्द्र सरकार उन्हें बुरी तरह से घेर सकती है!
राजनीतिक अस्थिरता राज्य के विकास के लिए ठीक नहीं- ध्रुव कुमार
राजनीतिक विश्लेषक ध्रुव कुमार कहते हैं कि हर पार्टी अपना दांव खेलने को तैयार है। राजनीतिक अस्थिरता जैसी स्थिति में बिहार की विकास प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। नीतीश कुमार को इस पर स्टैंड लेकर स्थिति साफ करनी चाहिए। उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के बयान से साफ है कि एनडीए में स्थिति ठीक नहीं है। हर दो-तीन साल पर इस तरह का राजनीतिक प्रकरण बिहार में हो रहा है। नीतीश कुमार की खामोशी के बड़े संकेत हैं।
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