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- Hemant Soren News; Along With CM, His Brother Vasant Soren And Minister Mithilesh Thakur Case Is Also Under Investigation.
पटना25 मिनट पहले
CM हेमंत सोरेन के करीबियों का शेल कंपनियों में निवेश पर हाईकोर्ट में सुनवाई का मामला मंगलवार तक टल गया है। अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग पर हैं। आयोग कभी भी CM की सदस्यता मामले में अपना फैसला सुना सकता है।
भारत निर्वाचन आयोग ने 10 मई तक अपना जवाब सब्मिट करने के लिए कहा था। जवाब में उन्होंने मां रूपी सोरेन की गंभीर बीमारी के इलाज में व्यस्तता का हवाला देते हुए समय मांगा था। आयोग की तरफ से उन्हें 20 मई तक का समय दिया गया था। इसके अलावा CM के भाई बसंत सोरेन और पेयजल आपूर्ति मंत्री मिथिलेश ठाकुर की सदस्यता पर तलवार लटक रही है।
चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को खुद के नाम पर खान लीज लेने के मामले में नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ना आपके खिलाफ कार्रवाई की जाए? इस मामले में आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9ए का उल्लेख करते अयोग्यता की कार्रवाई की बात कही थी। CM के अलावा उनके छोटे भाई और दुमका से विधायक बसंत सोरेन को भी चुनाव आयोग की तरफ से नोटिस भेजा गया है।
मंत्री मिथिलेश ठाकुर की सदस्यता पर भी लटक रही तलवार
राज्य के पेयजल आपूर्ति मंत्री मिथिलेश ठाकुर की सदस्यता पर भी तलवार लटक रही है। मिथिलेश ठाकुर के खिलाफ नामांकन फॉर्म में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में डीसी ने रिपोर्ट भी सौंपी है, जिसे राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने लौटा दिया है और दोबारा रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। फिलहाल मामले पर कार्यवाही जारी है।
क्या कहता है कानूनी पक्ष
वहीं, इस मामले में झारखंड के पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार कहते हैं कि अगर रिप्रेंजेटेशन ऑफ पीपुल एक्ट के धारा 9(A) के ऑब्जेक्टिव मीनिंग पर जाएंंगे तो ये गंभीर मामला है। आरोप सही पाए जाने पर ECI चाहे तो CM हेमंत सोरेन की सदस्यता को रद्द कर सकता है। ECI ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उनको नोटिस भी भेजा है। अब आगे की कार्रवाई उनके जवाब पर ही तय होगी।
क्या है पूरा मामला
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पोर्टल पर दर्ज दस्तावेज दिखाते हैं कि हेमंत सोरेन ने रांची जिले के अनगड़ा ब्लॉक में 88 डिसमिल में खनन पट्टे की मंजूरी के लिए आवेदन दिया था। खदान में उत्पादन 6 हजार 171 टन प्रति वर्ष दिखाया गया था और प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 26 लाख रुपये बताई गई थी। इसमें बताया गया था कि प्रस्तावित योजना 5 साल की है और खदान का अनुमानित जीवन 5 साल का था। हालांकि CM ने विवाद बढ़ता देख इसे सरेंडर कर दिया है।
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