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GDP Growth Rate: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने फाइनेंशियल ईयर 2025 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर (GDP) के अनुमान को 30 बेसिस प्वाइंट बढ़ा दिया है. इसके साथ ही जीडीपी (GDP) का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया गया है. इस हिसाब से भारत दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली इकोनॉमी बना हुआ है. आईएमएफ (IMF) की तरफ से यह बदलाव वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) को अपडेट करते हुए किया गया है. जीडीपी के अनुमान में यह बढ़ोतरी मजबूत घरेलू मांग को देखते हुए की गई है. हालांकि, आईएमएफ (IMF) का यह अनुमान सरकार के 7 प्रतिशत के अनुमान से कम है.
चीन की ग्रोथ रेट 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान
इस दौरान चीन की इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है. आईएमएफ (IMF) ने ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य’ (World Economic Outlook) के हालिया संस्करण में कहा, ‘भारत में ग्रोथ रेट साल 2024 में 6.8 प्रतिशत और 2025 में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. घरेलू मांग में लगातार मजबूती और कामकाजी उम्र की बढ़ती आबादी से इसे मजबूती मिली है.’ आईएमएफ ने यह रिपोर्ट मुद्रा कोष और वर्ल्ड बैंक की सालाना बैठक से पहले जारी की है.
5.6 प्रतिशत से घटकर 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान
रिपोर्ट के अनुसार, उभरते और विकासशील एशिया में ग्रोथ रेट पिछले साल के अनुमानित 5.6 प्रतिशत से घटकर 2024 में 5.2 प्रतिशत और 2025 में 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. यह अनुमान जनवरी में जताए गए पिछले अनुमान से बेहतर है. आईएमएफ ने जनवरी रिपोर्ट में 2024 के लिए भारत की ग्रोथ रेट 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. इसके साथ ही आईएमएफ ने चीन में ग्रोथ रेट 2023 के 5.2 प्रतिशत की तुलना में सुस्त पड़कर इस साल 4.6 प्रतिशत और 2025 में 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.
रियलएस्टेट में सुस्ती को जिम्मेदार बताया
ग्रोथ रेट में सुस्ती के लिए महामारी के बाद खपत बढ़ने और राजकोषीय प्रोत्साहन जैसे असर कम होने और रियलएस्टेट में सुस्ती को जिम्मेदार बताया है. रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक वृद्धि साल 2024 और 2025 में भी पुरानी रफ्तार से जारी रहने का अनुमान है. 2023 में अनुमानित वैश्विक वृद्धि 3.2 प्रतिशत रही है. आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गॉरींशेस ने कहा, ‘निराशाजनक अनुमानों के बावजूद ग्लोबल इकोनॉमी मजबूत बनी हुई है. स्थिर वृद्धि और महंगाई करीब उतनी ही तेजी से धीमी हो रही है, जितनी तेजी से बढ़ी थी.’
गॉरींशेस ने कहा, ‘अमेरिकन इकोनॉमी पहले ही अपने महामारी-पूर्व रुझान से आगे निकल चुकी है. लेकिन हमारा आकलन है कि कम आमदनी वाले विकासशील देशों को ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि इनमें से कई देश अब भी महामारी और जीवनयापन की लागत के संकट से उबरने की जद्दोजहद में लगे हैं.’ (भाषा से भी)
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