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राष्ट्रपति मुर्मू की बग्गी और पहला त्रि-सेवा झांकी: गणतंत्र दिवस परेड की प्रमुख झलकियां

राष्ट्रपति मुर्मू की बग्गी और पहला त्रि-सेवा झांकी: गणतंत्र दिवस परेड की प्रमुख झलकियां

74वें गणतंत्र दिवस परेड ने कर्तव्य पथ पर भारत की सांस्कृतिक विविधता, सैन्य शक्ति और तकनीकी प्रगति का भव्य प्रदर्शन किया। यहां परेड की चार सबसे खास झलकियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत है:

 


1. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ऐतिहासिक एंट्री

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने पहले गणतंत्र दिवस परेड में पारंपरिक शाही बग्गी में सवार होकर भव्यता का परिचय दिया। यह बग्गी भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है और परेड में एक खास आकर्षण बनी। राष्ट्रपति मुर्मू का यह पल ऐतिहासिक था, क्योंकि वह भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं। बग्गी से दर्शकों का अभिवादन करते हुए उनका दृश्य गौरव और समावेशिता का प्रतीक बना।


2. पहली बार दिखी त्रि-सेवा झांकी

इस साल की परेड में पहली बार त्रि-सेवा झांकी प्रस्तुत की गई, जिसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त शक्ति और समन्वय को दर्शाया गया। झांकी में स्वदेशी रक्षा तकनीकों और आधुनिक हथियारों को प्रमुखता दी गई। इसमें आईएनएस विक्रांत, तेजस लड़ाकू विमान और अग्नि मिसाइल सिस्टम जैसे भारत के रक्षा क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियों को दिखाया गया। यह झांकी ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत आत्मनिर्भर भारत के रक्षा क्षेत्र की क्षमता का प्रतीक बनी।


3. सांस्कृतिक विविधता की झलक

परेड में 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, साथ ही 6 मंत्रालयों और विभागों की झांकियों ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत किया। हर झांकी ने अपने क्षेत्र की इतिहास, परंपराओं और उपलब्धियों को दर्शाया। कुछ प्रमुख झांकियां थीं:

इन झांकियों के साथ हुए सांस्कृतिक नृत्य और संगीत ने परेड को और रंगीन और उत्साहपूर्ण बना दिया।


4. भारतीय वायुसेना का शानदार फ्लाईपास्ट

परेड का समापन भारतीय वायुसेना के अद्भुत फ्लाईपास्ट से हुआ, जिसमें 50 से अधिक विमानों ने भाग लिया। फ्लाईपास्ट की प्रमुख झलकियां थीं:

5. गणतंत्र दिवस परेड में पहला इंडोनेशियाई दल

भारत के गणतंत्र दिवस परेड में कभी-कभी विदेशी सैन्य दल शामिल होते हैं, आमतौर पर मुख्य अतिथि के देश से। इस परंपरा की शुरुआत 2016 में हुई थी, जब फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।

इस अवसर पर फ्रांसीसी सेना की 35वीं इंफैंट्री रेजिमेंट, जो फ्रांस की सबसे पुरानी रेजिमेंट्स में से एक है, का 76-सदस्यीय दल कर्तव्य पथ पर मार्च करता नजर आया। उनके साथ 48 सदस्यों का द म्यूज़िक ऑफ द इंफैंट्री, एक औपचारिक बैंड जो ल्यों, फ्रांस से है, ने परेड में दो सैन्य धुनें बजाईं, जिससे कार्यक्रम और भव्य हो गया।

यह गणतंत्र दिवस परेड के इतिहास में एक नया अध्याय था, जिसने भारत और फ्रांस के बीच दोस्ती और सहयोग का प्रतीक बनकर अन्य देशों के सैन्य दलों को परेड में शामिल करने की परंपरा की शुरुआत की।

फ्लाईपास्ट का समापन ‘त्रिशूल’ फॉर्मेशन से हुआ, जिसमें विमानों ने आकाश में तिरंगे के रंग बिखेरकर दर्शकों के दिलों में गर्व और उत्साह भर दिया।

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