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IGIMS में फर्जी नियुक्ति का मामला: ऑर्थो के डॉक्टर कुमार चंदन की बहाली अवैध, डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से किया इनकार

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IGIMS में फर्जी नियुक्ति का मामला: ऑर्थो के डॉक्टर कुमार चंदन की बहाली अवैध, डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से किया इनकार

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पटना15 मिनट पहले

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IGIMS में कार्यरत थे डॉक्टर चंदन कुमार। - Dainik Bhaskar

IGIMS में कार्यरत थे डॉक्टर चंदन कुमार।

पटना हाई कोर्ट ने IGIMS के ऑर्थो विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली को लेकर दिए गए एकलपीठ के फैसला पर रोक लगाने से इंकार करते हुए फैसला के आलोक में कार्रवाई करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने डॉ कुमार चंदन की ओर से दायर अपील पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है। न्यायमूर्ति पी के झा की एकलपीठ ने डॉ पवन कुमार कश्यप की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद माना कि डॉ कुमार चंदन को गलत तरीके से साक्षात्कार में ज्यादा अंक देकर असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया गया, जबकि डॉ चंदन को 46 अंक ही मिलना चाहिए था, लेकिन उन्हें 62 अंक दे दिया गया। कोर्ट ने ऑर्थो के डॉक्टर कुमार चंदन की बहाली को अवैध करार देते हुए उनकी बहाली को रद्द कर दिया। एकलपीठ के फैसला को अपील दायर कर चुनोती दी गई।

IGIMS में ऐसे किया गया था फर्जीवाड़ा

अप्रैल 2018 में IGIMS के ऑर्थो विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर वैकेंसी निकाली गई थी। इसमें 22 कैंडिडेट्स ने आवेदन किया था। आवेदकों में डॉ. पवन कुमार भी शामिल थे जो वर्ष 2017 से IGIMS में संविदा पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे थे। IGIMS ने 3 जुलाई 2018 को ऑर्थो विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए इंटरव्यू लिया। इसमें संस्थान के निदेशक डॉ. एन आर विश्वास और डीन के साथ विभाग के HOD शामिल हुए। असिस्टेंट प्रोफेसर की वैकेंसी में सामान्य वर्ग के लिए 3 पद थे और डॉ. पवन इकलौते सामान्य कैंडिडेट थे। सितंबर माह में IGIMS ने चौंकाने वाला रिजल्ट जारी करते हुए डॉ. पवन को वेटिंग लिस्ट में डाल दिया। कम नंबर पाने वाले डॉ. कुमार चंदन को टॉप पर कर दिया। इस चौंकाने वाले परिणाम पर सवाल उठाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं की गई और कम नंबर पाने वाले डॉ. कुमार चंदन को ज्वाइन करा दिया गया।

IGIMS में फर्जीवाड़े के खिलाफ चले गए कोर्ट

असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली में धांधली के खिलाफ डॉ. पवन पटना हाईकोर्ट चले गए। उन्होंने 5 अक्टूबर 2018 को पटना हाईकोर्ट में केस कर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश कुमार और सीनियर एडवोकेट उमेश प्रसाद सिंह ने IGIMS में हुए गड़बड़झाले को कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया था। इस मामले में शुरू से ही IGIMS का केस कमजोर पड़ने लगा। इसके बाद भी IGIMS ने अधिवक्ताओं को बदला और काफी प्रयास किया लेकिन केस नहीं जीत पाया। जिस कैंडिडेट को IGIMS ने 62 नंबर देकर टॉप किया था उसे पटना हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया है। हाईकोर्ट ने संबंधित कैंडिडेट को 46 नंबर बताया है। पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में टॉप पर रहने वाले डॉक्टर कुमार चंदन की नियुक्ति को अवैध बताते हुए वाद दाखिल करने वाले डॉ. पवन का अप्वाइंटमेंट करने का आदेश दिया था। डॉ. कुमार चंदन की नियुक्ति में धांधली के इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले से फर्जीवाड़े का खुलासा एक बार फिर हुआ था। ऐसा कर IGIMS ने एक तरफ सीट का नुकसान किया है दूसरी तरफ सरकारी धन की भी बर्बादी की गई है।

नहीं मानी गई MCI की गाइडलाइन

डॉ. पवन कुमार को वेटिंग में रखकर IGIMS ने MCI की गाइडलाइन तोड़ने का काम किया गया है। डॉ. पवन कुमार के पास टीचिंग का अनुभव अधिक था और उनके रिसर्च पेपर भी ज्यादा पब्लिश हुए थे। इतना ही नहीं डॉ. कुमार चंदन को स्पाइन फेलोशिप के लिए भी टीचिंग एक्सपीरियंस IGIMS के निदेशक ने दे दिया जो MCI नियमों के विरुद्ध है। डॉ. चंदन की तरह एक अन्य एप्लिकेंट डॉ. अर्णव भी ऑर्थो में DNB थे लेकिन IGIMS प्रशासन ने उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए अयोग्य माना और डॉ. कुमार चंदन को योग्य मान लिया। ऐसे में 2018 और 2020 में ऐसी ही कई नियुक्तियों की जांच IGIMS का बोर्ड कर रहा है। IGIMS में डॉक्टरों की नियुक्ति में हुए फर्जीवाड़े को दैनिक भास्कर ने कई बार उजागर किया है।

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