[ad_1]
नई दिल्ली: टैक्सपेयर्स के लिए अच्छी खबर है. आयकर विभाग (Income Tax) ने गुरुवार को बड़ा ऐलान करते हुए असेसमेंट ईयर 2021-22 की पर्सनल इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) भरने की मियाद को बढ़ा दिया है. पहले इसकी डेडलाइन 31 जुलाई 2021 थी, जिसे अब बढ़ाकर 31 सितंबर 2021 कर दिया गया है.
15 जुलाई तक देना होगा Form-16
विभाग ने सर्कुलर जारी करते हुए बताया कि कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के मद्देनजर सरकार ने ये फैसला किया है. इसके साथ ही सर्कुलर में ये कहा गया है कि अब नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों को फॉर्म-16 पंद्रह जून के बजाय 15 जुलाई तक मुहैया कराना होगा. आपको बता दें कि फॉर्म 16 आयकर रिटर्न दाखिल करने में मदद करता है. साथ ही इसका इस्तेमाल इनकम के सबूत के तौर पर होता है. ये एक तरह का सर्टिफिकेट है, जो कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है. इसमें कंपनी द्वारा कर्मचारी की सैलरी से काटे गए TDS (स्रोत पर कर कटौती) को सर्टिफाई किया जाता है.
ये भी पढ़ें:- अब कोरोना टेस्ट के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं, घर बैठे खुद करें जांच, 15 मिनट में पाएं रिपोर्ट
टैक्स ऑडिट की समय सीमा भी 30 नवंबर तक बढ़ी
इसके अलावा इनकम टैक्स ऑडिट (Income for Tax Audit Assesses) की आखिरी तारीख को भी 31 अक्टूबर 2021 से बढ़कर 30 नवंबर 2021 कर दिया गया है. वहीं, टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइनल करने की अंतिम तारीख 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी गई है. जबकि बिलेटेड/रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की डेडलाइन को 31 दिसंबर, 2021 से बढ़ाकर 31 जनवरी 2022 कर दिया गया है. बता दें कि बिलेटेड आईटीआर आयकर अधिनियम, 1961 के सेक्शन 139(4) के तहत फाइल किया जाता है. वहीं, रिवाइज्ड आईटीआर को सेक्शन 139 (5) के तहत दाखिल किया जाता है.
ये भी पढ़ें:- Royal Enfield की इन बाइक्स में हो सकता है शॉर्ट सर्किट, कंपनी ने वापस मंगाई 2.36 लाख यूनिट
शैलेष कुमार ने फैसले को लेकर कही ये बाात
इसके अलावा, वित्तीय संस्थानों के लिए वित्तीय लेनदेन विवरण (SFT) रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय सीमा 31 मई, 2021 से बढ़ाकर 30 जून कर दी गई है. नांगिया एंड कंपनी एलएलपी भागीदार शैलेष कुमार ने कहा कि आयकर रिटर्न के मामले में समयसीमा बढ़ाये जाने से टैक्सपेयर्स को कर नियमों के अनुपालन के मामले में थोड़ी राहत मिलेगी. हालांकि, ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए, जिनकी संपूर्ण आयकर देनदारी टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) और अग्रिम कर के जरिए नहीं चुकाई जाती है और टैक्स लायबिलिटी में 1 लाख रुपये से अधिक का अंतर है, उन्हें आयकर कानून की धारा 234A के तहत ब्याज शुल्क से बचने के लिए संबंधित मूल देय तिथि के भीतर अपना आईटीआर दाखिल करने का प्रयास करना चाहिए. मूल देय तिथि के बाद आईटीआर दाखिल करने तक हर महीने 1 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाया जाता है.
(इनपुट- भाषा से भी)
LIVE TV
[ad_2]
Source link