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Indian Railway Rules: अगर आप रेलवे के टिकट काउंटर (Ticket Counter) से टिकट खरीदते हैं. लेकिन गलती से आप टिकट घर ही छोड़ आए. हालांकि, आपके पास रेलवे टिकट का फोटो है और मोबाइल पर रेलवे का मैसेज भी है. जिसमें आपके टिकट की पूरी जानकारी है. तो क्या रेलवे आपको यात्रा करने देगा या नहीं? रेलवे के इस नियम को जान लीजिए. आपको बता दें कि ममता बनर्जी ने रेल मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में रेलवे टिकट को रखने की जरूरत को खत्म कर दिया था. जान लीजिए पूरा नियम?
रेलवे का एसएमएस (Railway Ticket Sms) होता है वैलिड!
अगर आपके पास मोबाइल फोन पर सीट और बर्थ नंबर का मैसेज है. जिसमें टिकट भी कंफर्म है. इसे रेलवे वैलिड टिकट मानता है. लेकिन इसके साथ कुछ शर्त भी है. रेलवे के मुताबिक, एसएमएस उन्हीं यात्रियों के मामले में वैध होता है, जिन्होंने आईआरसीटीसी (IRCTC) से टिकट बुक कराया हो. जो काउंटर से टिकट खरीदते हैं, उस टिकट पर मैसेज वैलिड नहीं होता है.
आपके पास काउंटर टिकट ( Counter Ticket ) नहीं है क्या यात्रा कर सकते हैं?
अगर आपने काउंटर टिकट लिया है और टिकट आपके पास नहीं है, तो उस यात्री को कुछ शर्त पूरा करने पर यात्रा की अनुमति दी जा सकती है. सबसे पहले तो उस शख्स को टीटीई के सामने ये प्रूव करना होगा कि वही यात्री है, जिसके नाम से टिकट जनरेट हुआ है. हालांकि उसके बाद भी यात्री को ज्यादा खर्च करना होगा. उसे टिकट का दाम और जुर्माना भी देना पड़ेगा. आप ये भी जान लीजिए यदि टिकट एयर कंडीशन वाले क्लास का होगा तो जीएसटी अलग से भरना पड़ेगा.
ये नहीं है वैलिड टिकट
काउंटर से खरीदा गया टिकट को साथ रखना जरूरी होता है क्योंकि रेलवे फोटो या एसएमएस को वैलिड नहीं मानती हैं. इसके पीछे कि वजह यह है कि काउंटर टिकट जिसके पास होगा, वह इसे रेलवे की किसी खिड़की पर जा कर कैंसिल करा सकता है, कैंसिल कराने के बाद वह रेलवे से रिफंड भी ले सकता है या उसी टिकट से दूसरा कोई यात्रा भी कर सकता है. अगर रेलवे द्वारा अनुमति दे दी जाए तो रेलवे को जबरदस्त घाटा हो सकता है.
ई टिकट ( E Ticket ) के मामले में प्रिंट आउट की बाध्यता कब से हुई खत्म
अगर आपके पास ई टिकट (e ticket) है तो आप टीटीई को सिर्फ मैसेज दिखा देते हैं या टिकट का स्क्रीनशॉट दिखा देते हैं. कुछ सालों पहले रेलवे ई टिकट के लिए भी प्रिंट आउट की मांग करता था. यानी जिस यात्री के पास प्रिंट आउट नहीं होती थी. उस यात्री को बेटिकट माना जाता था. उस पर उसी तरीके से चालानी कार्रवाई होती थी, जिस तरह किसी बेटिकट से होती है. लेकिन जब ममता बनर्जी रेल मंत्री बनी थीं. उसके बाद इस बात पर ध्यान दिया गया. 2012 में ही ई टिकट लेने वालों के लिए टिकट का प्रिंट आउट ले कर चलने की बाध्यता खत्म कर दी गई.
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