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भारत में असली मुद्दों से भटकाव, लोकतंत्र पर मंडरा रहा खतरा

भारत में असली मुद्दों से भटकाव, लोकतंत्र पर मंडरा रहा खतरा?

नई दिल्ली: भारत में जहां बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और लोकतंत्र की स्थिति गंभीर बनी हुई है, वहीं राजनीतिक और सांप्रदायिक बहसें सुर्खियों में बनी रहती हैं। हाल ही में सर्बिया समेत कई देशों में नागरिक अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरे, लेकिन भारत में राजनीतिक विमर्श का केंद्र ऐतिहासिक व्यक्तित्वों, धार्मिक विवादों और सांप्रदायिक मुद्दों तक सीमित नजर आ रहा है।

ध्यान भटकाने की राजनीति जारी?

विशेषज्ञों का मानना है कि मीडिया और राजनीतिक बयानबाजी के जरिए असली मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं।

लोकतंत्र पर बढ़ता दबाव

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय लोकतंत्र को लेकर कई सवाल उठे हैं।

क्या जनता जागरूक हो रही है?

हालांकि सोशल मीडिया और स्वतंत्र मीडिया के जरिए कुछ तबकों में जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन बड़े स्तर पर जनता अभी भी मुख्यधारा की मीडिया के नैरेटिव से प्रभावित नजर आती है।

आगे की राह

विशेषज्ञों के अनुसार, अगर भारत में लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखना है, तो जनता को असली मुद्दों पर ध्यान देना होगा।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के बावजूद कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। जब तक जनता असली मुद्दों को प्राथमिकता नहीं देगी, तब तक लोकतांत्रिक मूल्यों पर संकट गहराता रहेगा।

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