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6 साल में पहली बार, मोदी को G7 समिट में नहीं मिला निमंत्रण, कनाडा ने किया आयोजन

SYDNEY, AUSTRALIA - MAY 24: Indian Prime Minister Narendra Modi speaks at a joint news conference with Australian Prime Minister Anthony Albanese (R) at Admiralty House on May 24, 2023 in Sydney, Australia. Modi is visiting Australia on the heels of his and Albanese's participation in the G7 summit in Japan. (Photo by Saeed Khan-Pool/Getty Images)

नई दिल्ली, [तारीख] – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल G7 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि मेजबान देश कनाडा ने भारत को आमंत्रित नहीं किया है। यह पहली बार है जब पिछले 6 वर्षों में भारत को इस सम्मेलन में आमंत्रण नहीं मिला है। इससे भारत-कनाडा के बीच चल रहे तनाव के संकेत मिलते हैं।

कनाडा ने नहीं भेजा आधिकारिक निमंत्रण

इस साल का G7 समिट [तारीख] को कनाडा में होना है। कनाडाई अधिकारियों ने पुष्टि की कि भारत को इस बार आमंत्रित नहीं किया गया है। हालांकि, इसकी स्पष्ट वजह नहीं बताई गई है, लेकिन माना जा रहा है कि हरदीप सिंह निज्जर मामले को लेकर दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव का इस फैसले पर असर पड़ा होगा।

पिछले वर्षों में भारत की भागीदारी

भारत 2019 से G7 समिट में लगातार गेस्ट देश के तौर पर शामिल हो रहा था। PM मोदी ने फ्रांस (2019), जर्मनी (2022), जापान (2023) और इटली (2024) में हुए समिट में हिस्सा लिया था। इसलिए इस बार निमंत्रण न मिलना एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

भारत सरकार की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, भारत अब SCO और BRICS जैसे अन्य बहुपक्षीय फोरम पर ध्यान केंद्रित करेगा, जहां उसकी अहम भूमिका है।

भारत-कनाडा संबंधों में खटास

पिछले साल कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने खारिज कर दिया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था और कारोबारी वार्ताएं भी ठप हो गई थीं। विश्लेषकों का मानना है कि G7 में भारत को न बुलाने का फैसला इसी तनाव का नतीजा हो सकता है।

G7 में शामिल न होने के बाद अब भारत की नजर अन्य वैश्विक मंचों पर होगी। इसके अलावा, आने वाले समय में अन्य द्विपक्षीय वार्ताओं पर भी ध्यान दिया जाएगा। यह घटना वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका और पश्चिमी देशों के साथ उसके संबंधों के बदलते समीकरण को दर्शाती है।

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