Home Bihar RJD का अगड़ा दांव सफल!: तेजस्वी के 5 भूमिहार प्रत्याशी में से 3 जीते, यही ट्रेंड रहा तो 2025 में बदल सकती है बिहार सरकार

RJD का अगड़ा दांव सफल!: तेजस्वी के 5 भूमिहार प्रत्याशी में से 3 जीते, यही ट्रेंड रहा तो 2025 में बदल सकती है बिहार सरकार

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RJD का अगड़ा दांव सफल!: तेजस्वी के 5 भूमिहार प्रत्याशी में से 3 जीते, यही ट्रेंड रहा तो 2025 में बदल सकती है बिहार सरकार

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पटना24 मिनट पहलेलेखक: वरुण राय

बिहार विधान परिषद चुनाव में तेजस्वी यादव का अगड़ा दांव काफी हद तक सफल रहा है। चुनाव के रिजल्ट बता रहे हैं कि उनका BJP के कोर वोटर और RJD की धुर विरोधी जाति मानी जाने वाली भूमिहार पर भरोसा करना सही साबित हुआ है। 5 में से 3 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। यानी स्ट्राइक रेट 60% रही। वहीं, पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) में उनके प्रत्याशी जीतते-जीतते रह गए।

RJD के टिकट पर भूमिहारों की जीत बिहार की अगामी राजनीति के लिए एक नया संकेत है, जो BJP की चिंता बढ़ा सकती है। खासकर BJP की सारण और मुंगेर में हार एक नई कहानी लिखने के लिए तैयार है।

पूरी खबर पढ़ने से पहले पोल में हिस्सा लेकन अपने अनुमान बता सकते हैं।

बिहार की राजनीति के धुरी हैं भूमिहार-यादव

माना जाता है कि बिहार की सत्ता और राजनीति की दो धुरी- भूमिहार और यादव हैं। दोनों पिछले तीन दशक से एक दूसरे के विरोधी रहे हैं। कहा तो यह भी जाता है कि लालू यादव को गद्दी से हटाने में भूमिहार समाज की अहम भूमिका है। यह अग्रेसिव जाति मानी जाती है। यही कारण है सत्ता से बेदखल होने के बाद लालू यादव भी कई बार सार्वजनिक मंच से इन्हें अपने साथ मिलाने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन उन्होंने पर्याप्त हिस्सेदारी नहीं दी। इस कारण भूमिहार समाज जुड़ नहीं पाया। हाल के दिनों में BJP पर भी समाज को उचित हिस्सेदारी नहीं देने का आरोप लग रहा है। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए इस समाज के लिए तेजस्वी ने पहली बार टिकट वितरण में अपना दिल खोला था और 5 प्रत्याशी उतारे थे। इसमें से 3 ने जीत दर्ज की। पूरे चुनाव प्रचार में वह यह भी समझाते रहे, ‘यादव समाज को सवर्ण प्रत्याशियों को भी वोट देना होगा। खासकर भूमिहार समाज को। तभी हम मुख्यमंत्री बन सकते हैं।’ उनके इस बयान से उनकी रणनीति साफ दिखती है।

मुंगेर और बेगूसराय की हार BJP के लिए चिंताजनक

भूमिहार बहुल मुंगेर का चुनावी रिजल्ट BJP के प्रति समाज के अंदर उपजे उथल-पुथल का संकेत दे रहा है। NDA के भूमिहार प्रत्याशी पर लोगों ने RJD और कांग्रेस के भूमिहार प्रत्याशी को ज्यादा तवज्जो दिया है। इससे एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या यह समाज अब अपने हित के बारे में अधिक सोचने लगा है? क्योंकि समाज की नई पीढ़ी के लिए अब तेजस्वी से वो दूराव नहीं दिख रहा है, जिसका आंकलन कर BJP लगातार उनकी हिस्सेदारी को कम कर रही है।

कहा जा रहा है कि अंतिम समय में सारण से सच्चिदानंद राय का टिकट काटने से समाज में BJP के प्रति और गलत मैसेज गया। जानकारों का कहना है कि अगर तेजस्वी अगले तीन साल तक इस समाज के अंदर अपने प्रति प्रेम जगा पाए तो 2025 में उनकी स्थिति काफी मजबूत हो सकती है।

NDA की स्ट्राइक रेट 34%

24 सीटों के लिए होने वाले विधान परिषद चुनाव में NDA ने 3 सीट मुंगेर, गोपालगंज और बेगूसराय से भूमिहार प्रत्याशियों को टिकट दिया था। इसमें से अब तक सिर्फ गोपालगंज में ही जीत मिली है। बेगूसराय में वोटों की गिनती जारी है। प्रथम वरीयता में कांग्रेस के राजीव कुमार आगे हैं। उनके जीतने की संभावना ज्यादा है। अगर BJP बेगूसराय हारी तो NDA की स्ट्राइक रेट 33% होगी, जो अब तक का बुरा प्रदर्शन है।

MLC चुनाव में जीते भूमिहार प्रत्याशी

  • गोपालगंज – राजीव कुमार (BJP)
  • पं. चंपारण – ई. सौरभ कुमार (RJD)
  • सारण – ई. सच्चिदानंद राय (BJP)
  • पटना – कार्तिकेय कुमार (RJD)
  • मुंगेर – अजय सिंह (RJD)

बोचहां उपचुनाव पर खास नजर

बोचहां सीट पर हो रहे उपचुनाव में भी BJP प्रत्याशी को परंपरागत वोटरों के भारी गुस्सा का सामना करना पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि हाल के दिनों में जिस तरह से भाजपा के परंपरागत वोटरों को दल से अलग करने की कोशिश की गई है, उसका असर बोचहां में दिख रहा है। इस समाज के वोटर बोचहां में भाजपा से काफी गुस्से में हैं। हालांकि भाजपा नेतृत्व इस गुस्से को भांप चुका है और मनाने की कोशिश जारी है।

तेजस्वी बना रहे A टू Z की टीम

तेजस्वी यादव भविष्य की सियासत को देखते हुए नई लीडरशिप खड़ी कर रहे हैं, जिसमें सिर्फ यादव और मुस्लिम ही नहीं बल्कि सवर्ण समुदाय के नेताओं को भी तरजीह दे रहे हैं। मनोज झा पार्टी में ब्राह्मण चेहरा हैं तो प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह और पूर्व सांसद रामा सिंह राजपूत चेहरा माने जाते हैं। ऐसे ही बेतिया से जीते सौरभ कुमार को भूमिहार नेता के तौर पर आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे ही दलित और गैर-यादव ओबीसी के युवा चेहरों को भी RJD में खास तरजीह दे रखी है।

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