शांतनु नायडू बने टाटा मोटर्स के जनरल मैनेजर, रतन टाटा के करीबी सहयोगी की नई उपलब्धि
प्रारंभिक जीवन और टाटा मोटर्स से जुड़ाव
शांतनु नायडू का जन्म 1993 में पुणे, महाराष्ट्र में हुआ। उनके पिता व्यंकटेश नायडू टाटा मोटर्स में इंजीनियर थे, और शांतनु को याद है कि कैसे वे रोज़ उनके प्लांट से घर लौटने का इंतज़ार करते थे। अपने नए पद को लेकर उन्होंने एक भावुक लिंक्डइन पोस्ट में लिखा कि यह उनके लिए एक “फुल-सर्कल मोमेंट” है।
शिक्षा और करियर की शुरुआत
शांतनु ने सवित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और बाद में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से MBA किया। करियर की शुरुआत उन्होंने 2009 में टाटा टेक्नोलॉजीज में इंटर्नशिप से की और 2014 में टाटा मोटर्स से जुड़े।
रतन टाटा से मुलाकात और रिश्ता
टाटा मोटर्स में काम करते हुए शांतनु ने Motopaws नामक पहल शुरू की, जो सड़कों पर आवारा कुत्तों की सुरक्षा के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर लगाने पर केंद्रित थी। यह पहल रतन टाटा को बहुत पसंद आई, और दोनों की मुलाकात हुई। इस मुलाकात ने शांतनु के करियर की दिशा बदल दी, और वे रतन टाटा के निजी सहायक व सोशल मीडिया एडवाइज़र बन गए।
गुडफेलोज और सामाजिक उद्यमिता
शांतनु ने Goodfellows नामक स्टार्टअप भी शुरू किया, जो बुजुर्गों को साथी प्रदान करता है, जिससे वे अकेलापन महसूस न करें। यह पहल भी काफी सराही गई और समाज में सकारात्मक प्रभाव डाला।
लेखन और टाटा मोटर्स में नई भूमिका
शांतनु ने “I Came Upon a Lighthouse” नामक किताब भी लिखी, जिसमें उन्होंने रतन टाटा के साथ अपने अनुभव साझा किए। अब टाटा मोटर्स में हेड ऑफ स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स के रूप में उनकी नियुक्ति हुई है, जहां वे कंपनी की नई रणनीतियों का नेतृत्व करेंगे।
उनका यह सफर दर्शाता है कि कैसे जुनून, लगन और सामाजिक संवेदनशीलता के साथ एक बेहतरीन करियर बनाया जा सकता है|