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Share Market New Rule: शेयर बाजार रेग्युलेटर सेबी (SEBI) जल्द ही स्टॉक मार्केट में नया पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने वाली है. इस सिस्टम को T+0 नाम दिया गया है, यानी इसके तहत शेयर खरीदने-बेचने का हिसाब एक ही दिन में हो जाएगा. नए सिस्टम के तहत कुछ चुने हुए ब्रोकर्स के साथ शुरुआत में 25 शेयरों पर ट्रायल होगा. अभी शेयर को खरीदने-बेचने का हिसाब एक दिन बाद होता है. सेबी नया सिस्टम पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करने के बाद तीन और छह महीने पर इसकी समीक्षा करेगी. अभी इंडियन स्टॉक मार्केट में T+1 का सिस्टम लागू है.
विदेशी निवेशकों के लिए राहत भरा फैसला
सेबी की तरफ से बताया गया कि खासतौर पर उन अफवाहों से निपटने के लिए कुछ खास नियम बनाए जा रहे हैं जिनका असर कंपनी के शेयर की कीमत पर पड़ता है. सेबी ने अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIFs) के नियमों को भी आसान बनाने का फैसला किया है. सेबी की बोर्ड की मीटिंग में विदेशी निवेशकों (FPI) के लिए राहत भरा फैसला किया गया है. अब यदि किसी विदेशी निवेशक का 50% से ज्यादा निवेश किसी एक ही कंपनी या ग्रुप में है ओर वह कंपनी स्टॉक मार्केट में लिस्टेड है और उसका कोई खास प्रमोटर नहीं है तो ऐसे में सेबी उन निवेशकों से कुछ अतिरिक्त जानकारी मांगने के नियम को हटा रही है. यह छूट कुछ शर्तों के साथ मिलेगी.
30 दिन की बजाय 180 दिन का समय मिलेगा
अब यदि किसी विदेशी फंड को अपने निवेश के बारे में कोई जरूरी जानकारी देनी है, तो उसे अब 7 दिन की बजाय 30 दिन का समय मिलेगा. इसके अलावा यदि कोई विदेशी फंड भारत में रजिस्ट्रेशन रद्द कराना चाहता है, तो वो 30 दिन की बजाय 180 दिन में अपना पूरा निवेश बेच सकता है. यदि वो 180 दिन (छह महीने) में भी पूरा निवेश नहीं बेच पाता तो उसे 180 दिन का और समय दिया जाएगा. लेकिन यह अतिरिक्त समय इस शर्त पर दिया जाएगा कि वो बिक्री का 5% जुर्माना के तौर पर सेबी के इनवेस्ट प्रोटेक्शन एंड एजुकेशन फंड (IPEF) में जमा करेगा.
1% सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा करने की जरूरत नहीं
सेबी बोर्ड की तरफ से से कंपनियों के लिए शेयर जारी करने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है. अब कंपनियों को पब्लिक और राइट्स इश्यू के लिए 1% सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके अलावा, प्रमोटर ग्रुप की परिभाषा को बदला गया है. पहले वही कंपनियां प्रमोटर ग्रुप में आती थीं जिनकी आईपीओ के बाद 5% या इससे ज्यादा हिस्सेदारी होती थी. लेकिन अब गैर-प्रमोटर कंपनियां भी जिन्हें आईपीओ के बाद 5% या इससे ज्यादा हिस्सेदारी मिलती है वो भी प्रमोटर ग्रुप का हिस्सा मानी जाएंगी.
T+0 सेटलमेंट क्या है?
T+0 सेटलमेंट का सीधा सा मतलब है कि आपके शेयर खरीदने या बेचने का लेनदेन उसी दिन पूरा हो जाने से है. यानी इस सिस्टम में किसी तरह की देरी नहीं होती. आपने जिस दिन शेयर खरीदे, उसी दिन आपको पेमेंट कर देंगे और उसी दिन शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आ जाएंगे. इसी तरह, आपने जिस दिन शेयर बेचे, आपको उसी दिन पेमेंट मिल जाएगा. अब सेबी इसे 28 मार्च से लागू करने की तैयारी कर रहा है. सेबी चेयरमैन माधबी पुरी बुच ने कल ही इस बारे में जानकारी दी है. यह विकल्प भी होगा आप T+0 या T+1 में से किसी भी ऑप्शन को सेटलमेंट के लिए सिलेक्ट कर सकते हैं.
T+1 सेटलमेंट सिस्टम क्या है
यदि किसी व्यापारी ने सोमवार (ट्रेड की तारीख) को शेयर खरीदने या बेचने के लिए लेनदेन किया. ऐसे में T+1 सेटलमेंट सिस्टम में पेमेंट और शेयरों का मालिकाना हक मंगलवार को मिलेगा. लेकिन जिन बाजार में यदि T+2 का सेटलमेंट सिस्टम लागू है तो उनका पेमेंट और शेयरों की ओनरशिप बदलने का काम बुधवार (दो वर्किंग डे के बाद) होगा. आपको बता दें T+1 वाला सिस्टम 27 जनवरी, 2023 को लागू किया गया था. इससे पहले भारत में भी T+2 सेटलमेंट था. 1994 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की शुरुआत से पहले BSE में दो हफ्ते में एक बार सेटलमेंट का प्रोसेस होता था.
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