रमज़ान 2025: भारत में 2 मार्च से शुरू होगा रोज़ा, जानिए खास बातें
नई दिल्ली: इस्लामिक कैलेंडर के सबसे पवित्र महीने रमज़ान का आगाज़ भारत में 1 मार्च 2025 की शाम को होने की संभावना है। पहला रोज़ा 2 मार्च (रविवार) से रखा जाएगा। इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के अनुसार, रमज़ान 29 या 30 दिनों का होता है और इसका समापन 30 या 31 मार्च को ईद-उल-फित्र के साथ होगा। हालांकि, सटीक तारीख चांद देखने पर निर्भर करेगी।
क्यों बदलती हैं रमज़ान की तारीखें?
रमज़ान का निर्धारण इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के अनुसार होता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर (सामान्य अंग्रेजी कैलेंडर) से करीब 10-12 दिन छोटा होता है। यही कारण है कि रमज़ान की शुरुआत हर साल पहले होती जाती है। इसका सही समय चांद के दिखने पर तय किया जाता है, जो अलग-अलग देशों में थोड़ा भिन्न हो सकता है।
रोज़े की दिनचर्या
रमज़ान के दौरान सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोज़ा रखा जाता है, जिसमें खाना-पीना, धूम्रपान और अन्य शारीरिक आवश्यकताओं से परहेज किया जाता है। दिनभर की गतिविधियाँ इस प्रकार होती हैं:
- सहरी (सुहूर): सुबह की नमाज़ (फज्र) से पहले किया जाने वाला भोजन।
- रोज़ा: सूर्योदय से सूर्यास्त तक संयम और इबादत।
- इफ्तार: सूर्यास्त के बाद रोज़ा खोलने का समय, जो आमतौर पर खजूर और पानी से शुरू होता है।
- तरावीह की नमाज़: रमज़ान के दौरान रात में मस्जिदों में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज़।
रमज़ान का धार्मिक और सामाजिक महत्व
- संयम और आत्मसंयम: रोज़ा रखने से धैर्य और आत्मनियंत्रण की सीख मिलती है।
- इबादत में बढ़ोतरी: कुरान की तिलावत और विशेष नमाज़ों का महत्व बढ़ जाता है।
- दान-पुण्य: ज़कात और सदक़ा (दान) देकर ज़रूरतमंदों की मदद की जाती है।
- सामाजिक एकता: परिवार और समुदाय के लोग इफ्तार पर एक साथ बैठते हैं, जिससे रिश्ते मजबूत होते हैं।
ईद-उल-फित्र – रमज़ान के बाद का बड़ा त्योहार
रमज़ान के बाद ईद-उल-फित्र का त्योहार मनाया जाता है, जो रोज़ों की समाप्ति और अल्लाह का शुक्र अदा करने का दिन होता है। इस दिन विशेष ईद की नमाज़ अदा की जाती है, उसके बाद दावतों और जरूरतमंदों की मदद के साथ त्योहार को खुशी और भाईचारे के साथ मनाया जाता है।