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की त्वचा के लाभ | Fish Skin treatments

मछली की त्वचा का उपयोग चिकित्सा विज्ञान में एक उभरती हुई तकनीक है, जिसमें इसके सूजनरोधी और जीवाणुरोधी गुणों का लाभ उठाया जा रहा है। विशेष रूप से, यह तकनीक जलने और मधुमेही पैर के अल्सर (डीएफयू) जैसे गंभीर घावों के उपचार में प्रभावी पाई गई है।

 

मछली की त्वचा के लाभ:

  1. सूजनरोधी गुण:
    मछली की त्वचा में प्राकृतिक कोलेजन और प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है, जो घावों की सूजन को कम करती है और उपचार की प्रक्रिया को तेज करती है।
  2. जीवाणुरोधी प्रभाव:
    इसके जीवाणुरोधी गुण संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं, जो गंभीर घावों के इलाज में एक बड़ी चुनौती होती है।
  3. त्वचा पुनर्निर्माण में सहायक:
    मछली की त्वचा का उपयोग करने से घाव भरने की प्रक्रिया तेज होती है और नए ऊतकों का निर्माण बेहतर तरीके से होता है।
  4. जैविक अनुकूलता:
    यह इंसानी त्वचा से काफी मिलती-जुलती है और इसे त्वचा पर लगाने से शरीर इसे आसानी से स्वीकार कर लेता है।

Xenograft विकल्प के रूप में उपयोग:

“Xenograft” का मतलब है किसी अन्य प्रजाति की त्वचा या ऊतक को इंसान के शरीर पर लगाने का तरीका। मछली की त्वचा का उपयोग इस तकनीक में एक नया और प्रभावी विकल्प बनकर उभरा है।

  • यह सर्जरी और पारंपरिक घाव उपचार की तुलना में कम जटिल और किफायती है।
  • यह विशेष रूप से उन मामलों में उपयोगी है जहां इंसानी त्वचा का ग्राफ्ट उपलब्ध नहीं होता।

चिकित्सा में उपयोग:

  1. जलने के घाव:
    मछली की त्वचा जलने के घावों के लिए एक प्रभावी ड्रेसिंग सामग्री है। यह घाव को हाइड्रेटेड रखती है और नए ऊतकों के विकास को बढ़ावा देती है।
  2. मधुमेही अल्सर:
    मधुमेही पैर के अल्सर के उपचार में यह तकनीक बेहद फायदेमंद साबित हो रही है, क्योंकि यह संक्रमण को रोकने और घाव भरने में सहायता करती है।

प्रमुख शोध और विकास:

  • इस तकनीक का सबसे ज्यादा उपयोग तिलपिया मछली की त्वचा में पाया गया है, जो कोलेजन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
  • ब्राजील और चीन जैसे देशों में मछली की त्वचा का उपयोग चिकित्सा में तेजी से बढ़ रहा है।