Home Bihar ‘आनंद मोहन बेकसूर थे…हमने अदालत का सम्मान किया’: बाहुबली की पत्नी लवली आनंद बोलीं- राम जी की तरह खत्म हुआ वनवास

‘आनंद मोहन बेकसूर थे…हमने अदालत का सम्मान किया’: बाहुबली की पत्नी लवली आनंद बोलीं- राम जी की तरह खत्म हुआ वनवास

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‘आनंद मोहन बेकसूर थे…हमने अदालत का सम्मान किया’: बाहुबली की पत्नी लवली आनंद बोलीं- राम जी की तरह खत्म हुआ वनवास

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पटना41 मिनट पहले

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बाहुबली आनंद मोहन की आज सहरसा कोर्ट से रिहाई हो गई है। उनकी पत्नी लवली आनंद ने कहा कि आनंद मोहन बेकसूर थे। हमने अदालत के फैसले का सम्मान किया। राम जी की तरह ही उनका भी 14 साल का वनवास खत्म हुआ है।

हम ईश्वर, बिहार सरकार और अपने समर्थकों का आभार व्यक्त करते हैं। खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकते…जी कृष्णैया की हत्या का हमें भी दर्द है। अगर यह घटना आनंद मोहन के सामने होती तब वे कभी ऐसा नहीं होने देते। हम उनकी रक्षा करने की पूरी कोशिश करते।

जेल मैनुअल में बदलाव के बाद बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह गुरुवार सुबह 6.15 बजे सहरसा जेल से रिहा कर दिए गए। बताया जा रहा है कि भीड़ जमा होने की आशंका की वजह से यह रिहाई सुबह की गई। इसके लिए रात में ही सारी कागजी प्रक्रिया पूरी हो गई थी। DM जी कृष्णैया की हत्या के केस में पूर्व सांसद को उम्रकैद की सजा हुई थी। 16 साल बाद उनकी रिहाई हुई है।

26 अप्रैल को उन्होंने 15 दिन की पैरोल खत्म होने के बाद सरेंडर किया था। पैरोल सरेंडर होते ही जेल में रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। वहीं, बाहुबली आनंद की रिहाई को भव्य बनाने की तैयारी है। आज दिन में 15 से 20 किमी तक रोड शो की तैयारी है।

जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने भी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं।

जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने भी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं।

जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने भी उठाए सवाल

वहीं, जी कृष्णैया की पत्नी उमा सदमे में हैं। वह कहती हैं- ऐसा वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है। वह रिहाई को खुद के साथ अन्याय बताती हैं। पहले दोषी को फांसी की सजा हुई थी, फिर उसे उम्रकैद में बदल दिया गया। अब सरकार उसकी रिहाई करा रही है। ये बिल्कुल सही नहीं है।

सरकार को अपने फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए।- जी कृष्णैया की बेटी पदमा

सरकार को अपने फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए।- जी कृष्णैया की बेटी पदमा

नीतीश सरकार ने गलत उदाहरण पेश किया- पदमा

आनंद मोहन की रिहाई पर डीएम जी कृष्णैया की बेटी पदमा ने नाराजगी जताई है। हैदराबाद में उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को अपने इस फैसले पर दोबारा सोनचा चाहिए। सरकार ने एक गलत उदाहरण पेश किया है। ये सिर्फ एक परिवार के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि देश के साथ अन्याय है। उनकी बेटी ने रिहाई के खिलाफ अपील करने की भी बात कही है।

आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ हाईकोर्ट में PIL

आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ अमर ज्योति नामक एक युवक ने बुधवार को पटना हाईकोर्ट में PIL दायर किया है। कारागार अधिनियम 2012 को संशोधित कर सरकार ने जो अधिपत्र निकाला है। उसके खिलाफ याचिका दायर की गई है। अमर ज्योति (30) भोजपुर के पीरो का रहने वाले हैं। कोर्ट से सरकार की ओर से जारी उस अधिपत्र को निरस्त करने की अपील की है।

आनंद मोहन की रिहाई..IAS एसोसिएशन विरोध में उतरा

गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या में बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई से बिहार की ब्यूरोक्रेसी में खलबली है। IAS एसोसिएशन भी विरोध में उतर आया है। IAS एसोसिएशन ने सरकार से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है। उनका कहना है कि ऐसे फैसलों से अधिकारियों का मनोबल टूटेगा।

पैरोल खत्म होने के बाद आनंद मोहन ने सहरसा जेल में सरेंडर करने पहुंचे।

पैरोल खत्म होने के बाद आनंद मोहन ने सहरसा जेल में सरेंडर करने पहुंचे।

आनंद मोहन की जल्द रिहाई क्यों हुई?
आनंद को हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके तहत उन्हें 14 साल की सजा हुई थी। आनंद ने सजा पूरी कर ली थी, लेकिन मैनुअल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारी की हत्या के मामले में दोषी को मरने तक जेल में ही रहना पड़ता है। नीतीश सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया। इसका संकेत जनवरी में नीतीश कुमार ने एक पार्टी इवेंट में मंच से दिया था कि वो आनंद मोहन को बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं। 10 अप्रैल को राज्य सरकार ने इस मैनुअल में बदलाव कर दिया।

आनंद मोहन समेत 27 दोषियों की रिहाई के आदेश सोमवार को जारी कर दिए गए। आनंद मोहन पर 3 और केस चल रहे हैं। इनमें उन्हें पहले से बेल मिल चुकी है।

  • नियम था: 26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था। नियम के मुताबिक ऐसे मामले में सजा पाए कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह सारी उम्र जेल में ही रहेगा।
  • बदलाव किया: 10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल से ‘काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया गया। इसी से आनंद मोहन या उनके जैसे अन्य कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ।
आनंद मोहन अपने बेटे की सगाई के लिए 15 दिन के पैरोल पर थे।

आनंद मोहन अपने बेटे की सगाई के लिए 15 दिन के पैरोल पर थे।

बाहुबली आनंद मोहन सिंह से जुड़ी भास्कर की ये स्पेशल स्टोरीज भी पढ़ें…

DM की कॉलर पकड़कर घसीटा और गोली मार दी:चश्मदीद ड्राइवर दीपक ने कहा- साहब की बात नहीं मानी होती तो आज वह जिंदा होते

5 दिसंबर 1994 की शाम…डीएम गोपालगंज जी कृष्णैया की एंबेसडर कार BHQ777 की स्टेयरिंग दीपक के हाथ में थी। गाड़ी 60 की रफ्तार में NH 28 पर आगे बढ़ रही थी। मुजफ्फरपुर के खबरा गांव के पास अचानक 5 हजार की भीड़ ने गाड़ी को घेर लिया। तब तक सुरक्षा कर्मियों की टीम भीड़ में फंस चुकी थी। दीपक ने बैक गियर लगाई और गाड़ी को तेजी से पीछे की तरफ भगाने लगा। दीपक बार-बार साहब को रोक रहा था, लेकिन अचानक जी कृष्णैया गुस्सा हो गए और गाड़ी को रुकवा दिया। दीपक का पैर जैसे ही ब्रेक पर पड़ा, भीड़ ने सब कुछ खत्म कर दिया। घटना के चश्मदीद दीपक को हमेशा मलाल रहा…साहब की बात नहीं मानी होती तो आज वह जिंदा होते। जानिए पूरी कहानी कैसे IAS जी कृष्णैया को गाड़ी से कॉलर पकड़कर घसीटा गया और फिर मौत के घाट उतारा गया…

2 डीएम…एक की हत्या नेता ने कराई…दूसरी संत ने:कृष्णैया से 11 साल पहले गोपालगंज DM के बम से उड़ाए थे चीथड़े; संत को मिली थी दर्दनाक मौत

बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या में बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई का मामला चर्चा में है। डीएम जी कृष्णैया का 1994 में मर्डर हुआ था, लेकिन यह पहला मामला नहीं था, जब किसी डीएम की हत्या की गई हो। इस हत्या से 11 साल पहले गोपालगंज के ही डीएम महेश्वर प्रसाद नारायण शर्मा को उन्हीं के चैंबर के पास बम से उड़ा दिया गया था। डीएम जी कृष्णैया की हत्या में बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन दोषी थे तो डीएम महेश्वर प्रसाद की हत्या में संत ज्ञानेश्वर का नाम आया था। यह हत्या गोपालगंज में आश्रम ध्वस्त करने के विरोध में की गई थी। फिर यही संत यूपी के उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में पूर्व विधायक इंद्रभद्र सिंह को आश्रम उजाड़ने पर बम से मरवा दिया। फिर उसकी दर्दनाक तरीके से 7 भक्तों के साथ मार दिया गया था। पढ़िए डीएम की हत्या, फिर संत के अंत की कहानी…

आनंद मोहन की रिहाई..IAS एसोसिएशन विरोध में उतरा:बिहार के पूर्व IPS बोले-इससे सरकारी अफसरों में असंतोष बढ़ेगा; सदमे में पूर्व DM की पत्नी

गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या में बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई से बिहार की ब्यूरोक्रेसी में खलबली है। IAS एसोसिएशन भी विरोध में उतर आया है। बिहार के पूर्व IPS ने मुहिम छेड़ दी है। वह पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सरकार के फैसले पर जनहित के लिए रोक लगाने की मांग करेंगे। वहीं, जी कृष्णैया की पत्नी उमा सदमे में हैं। वह कहती हैं- ऐसा वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है। वह रिहाई को खुद के साथ अन्याय बताती हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…

महागठबंधन के लिए बाहुबली आनंद मोहन जरूरी क्यों:राजपूत लीडर्स की कमी को दूर करेंगे, जानिए क्या है उनकी रिहाई के सियासी मायने

बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई का ऐलान हो गया है। 15 साल से ज्यादा जेल में गुजारने के बाद वे अब बाहर आएंगे। बस औपचारिकता भर बाकी रह गई है। आनंद मोहन जेल से बाहर आ सकें, इसके लिए सरकार ने 23 साल पुराने नियम में बदलाव किए हैं। ऐसे में चर्चा इस बात की भी है कि बिहार की सियासत से जाति है कि जाती नहीं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इनकी रिहाई पर सवाल होने लगे हैं कि आखिर महागठबंधन सरकार के लिए आनंद मोहन इतने क्यों जरूरी हैं? पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

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