Home Bihar कर्म से भी भाग्यचंद: पटना निवासी बुजुर्ग दंपति ने ले रखा था देहदान का प्रण, पत्नी ने पति को खड़े होकर खुद बनाया ‘दधीचि’

कर्म से भी भाग्यचंद: पटना निवासी बुजुर्ग दंपति ने ले रखा था देहदान का प्रण, पत्नी ने पति को खड़े होकर खुद बनाया ‘दधीचि’

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कर्म से भी भाग्यचंद: पटना निवासी बुजुर्ग दंपति ने ले रखा था देहदान का प्रण, पत्नी ने पति को खड़े होकर खुद बनाया ‘दधीचि’

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2 घंटे पहले

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पटना के भाग्यचन्द जैन जी( (फाइल फोटो)

  • 2013 से अब तक 5 लोगों ने किया है अपना शरीर दान
  • 600 लोगों ने IGIMS को किया है नेत्रदान, दो ब्रेन डेड के केस वालों का हुआ है अंगदान

प्राण निकल जाने के बाद शरीर का कोई मोल नहीं रह जाता। अंतिम संस्कार के बाद यह उसी तत्व में मिल जाता है, जिससे यह बना है। लेकिन, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने बेजान शरीर से दूसरों को जान देने का संकल्प जीते जी ले लेते हैं। ऐसे ही एक दधिची पटना के 69 वर्षीय भाग्यचन्द जैन जी थे। आज उनका निधन सुबह 7 बजे हो गया है, लेकिन उनका देह दूसरों को नई जिंदगी देने के काम आएगा। डॉक्टर इससे स्टडी कर जो ज्ञान और अनुभव हासिल करेंगे, वह दूसरों की जिंदगी बचाने के काम आएगा। दधीचि देहदान समिति के माध्यम से भाग्यचंद जैन का मृत शरीर IGIMS को दान किया गया है। भाग्यचन्द जैन जी के परिवार की सहमति से देहदान की प्रक्रिया पूरी की गई है। उनकी पत्नी मंजू जैन ने बताया कि उन्होंने भी पति के साथ देहदान का संकल्प पत्र भरा था।

IGIMS में की गई भाग्यचंद जैन के देहदान की प्रक्रिया पूरी।

IGIMS में की गई भाग्यचंद जैन के देहदान की प्रक्रिया पूरी।

अब तक 5 लोग समिति के माध्यम से कर चुके देहदान
दधीचि देहदान समिति बिहार के माध्यम से वर्ष 2013 से अब तक 5 लोग देहदान कर चुके हैं। दधीचि देहदान समिति और IGIMS के सहयोग से 600 से अधिक लोग अब तक अपना नेत्रदान कर चुके हैं, जिससे कइयों को नेत्रज्योति मिल चुकी है। इसी तरह अब तक ब्रेन डेड के दो मामलों में समिति के सहयोग से IGIMS को अंगदान किया गया है, जिससे कई लोगों को नई जिंदगी दी जा चुकी है।

देहदान ही बनाता है ‘धरती का भगवान’
मेडिकल कॉलेजों में ‘धरती का भगवान’ यानी डॉक्टर बनने वाला हर छात्र मानव शरीर को अंदर से देखकर ही प्रैक्टिकल सीखता हैं। प्रैक्टिकल करने के लिए कई सीनियर सर्जन्स भी आते हैं। मेडिकल ऑपरेशन में जब भी कोई नई तकनीक आती है, तो उसे सीखने और प्रैक्टिकल कर देखने के लिए कडैवेरिक वर्कशॉप (मानव शरीर पर प्रयोग) के लिए भी बॉडी का उपयोग किया जाता है। मानव शरीर न मिलने की स्थिति में कई डॉक्टर जटिल ऑपरेशन करने से पहले जानवरों के मृत शरीर पर भी प्रैक्टिकल करते हैं।

ऐसे कर सकते हैं देहदान, नेत्रदान या अंगदान
दधीचि देहदान समिति के माध्यम से देहदान करने वाला कोई भी इच्छुक व्यक्ति अपने जीवन में संकल्प पत्र भर सकता है। इसके ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से फॉर्म भरकर जमा कर सकते हैं। देहदान के लिए परिवार के दो व्यक्तियों की सहमति और उनके हस्ताक्षर जरूरी हैं। वसीयत के बाद भी अगर परिवार का कोई सदस्य इनकार कर दे तो देहदान नहीं हो सकता। दधीचि देहदान समिति के मोबाइल नंबर 8084053399 पर शरीर दान, नेत्रदान या अंगदान के लिए संपर्क किया जा सकता है।

देहदान करने वालों के परिजनों को एक लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र भी
IGIM में देहदान प्रक्रिया के दौरान दधीचि देहदान समिति से जुड़े डॉ विभूति, मुकेश हिसारिया, शैलेश महाजन, अरुण सत्यमूर्ति, सूरज कुमार आदि मौजूद थे। उन्होंने बताया कि देहदान करने वालों के परिजनों को समिति की ओर से एक लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र भी दिये जाते हैं।

देह, अंग या नेत्रदान का क्या होता है
आमतौर पर शरीर के किसी भी हिस्से को डोनेट किया जा सकता है। पूरा शरीर भी मरने के बाद दान किया जा सकता है। मेडिकल कॉलेजों के एनाटॉमी विभाग में ऐसे शरीर को रखा जाता है, जहां मेडिकल स्टूडेंट उसके जरिये स्टडी करते हैं। अंगदान से दूसरों को नया जीवन दिया जाता है। किडनी, लीवर का कुछ पार्ट और कॉर्निया की ज्यादा मांग होती है। एक कॉर्निया से कई लोगों की आंखों को ज्योति दी जा सकती है। ब्रेन डेड होने पर शरीर के सारे अंग दान किए जा सकते हैं। शरीर के मृत होने पर 3 घंटे में आंख के कॉर्निया का दान हो सकता है। औसतन तीन घंटे के अंदर ही बॉडी डोनेशन किया जा सकता है।

रीति-रिवाज निभाने का भी अवसर
मृत्यु के बाद सभी धर्मों में अपने रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करने की परंपरा है। इसे देखते हुए देश के कई मेडिकल कॉलेजों के एनोटॉमी विभाग में देहदान से पहले अंतिम संस्कार की परिजनों की इच्छा भी पूरी की जाती है। धर्मगुरु एनोटॉमी विभाग में ही प्रतीकात्मक रूप से परंपराओं का निर्वहन कराते हैं।

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