Rekhachithram | रेखाचित्रम मूवी रिव्यू
निर्देशक: जोफिन टी चाको
कलाकार: असीफ अली, अनसवारा राजन और अन्य
शैली: इन्वेस्टिगेटिव थ्रिलर
भाषा: मलयालम
कहानी का सारांश
“रेखाचित्रम” एक इन्वेस्टिगेटिव थ्रिलर है, जो ग्रामीण पृष्ठभूमि में आधारित है। फिल्म 1980 के दशक की मलयालम सिनेमा की झलक दिखाते हुए सस्पेंस और नॉस्टैल्जिया का अनोखा मेल प्रस्तुत करती है।
कहानी सीआई विवेक गोपीनाथ (असीफ अली) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो निलंबन के बाद एक शांत गांव के थाने में ट्रांसफर होकर आते हैं। गांव में पहुंचते ही वह एक रहस्यमय आत्महत्या के मामले में उलझ जाते हैं, जो 40 साल पुराने हत्या के एक केस से जुड़ी हुई है।
फिल्म का अनोखा पहलू यह है कि यह मलयालम सिनेमा के एक क्लासिक, भरथन की 1985 की फिल्म “कथोडु कथोरम” से प्रेरणा लेकर एक वैकल्पिक इतिहास का ताना-बाना बुनती है।
मुख्य विशेषताएं
- सिनेमाई नॉस्टैल्जिया:
“रेखाचित्रम” केवल एक थ्रिलर नहीं है, बल्कि मलयालम सिनेमा के स्वर्ण युग को श्रद्धांजलि भी है। इसमें कई ऐसे संदर्भ हैं जो सिनेमा प्रेमियों को पुरानी यादों में ले जाते हैं। - असीफ अली का शानदार अभिनय:
सीआई विवेक गोपीनाथ के किरदार में असीफ अली ने अपने अभिनय से गहराई ला दी है। उनके दृढ़ और जटिल व्यक्तित्व ने कहानी को मजबूती दी है। - रोमांचक पटकथा:
फिल्म की पटकथा में कई मोड़ और रहस्य हैं, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखते हैं। खासकर, दूसरे भाग में फिल्म की रफ्तार और थ्रिल दर्शकों को झकझोर देता है। - अनोखी कहानी:
असल घटनाओं और पात्रों को वैकल्पिक इतिहास के रूप में पेश करके फिल्म दर्शकों के लिए नया अनुभव लाती है।
थीम और संदेश
- न्याय बनाम कला:
फिल्म सवाल उठाती है कि क्या कलात्मक सच्चाई और रचनात्मकता के नाम पर गलत को सही ठहराया जा सकता है। - ग्रामीण रहस्य:
गांव का पृष्ठभूमि एक अलग रोमांच पैदा करता है, जहां हर व्यक्ति अपने अंदर एक रहस्य छुपाए हुए है। - इंसानी भावनाएं:
फिल्म में अपराधबोध, बदला और मुक्ति जैसे गहरे मानवीय पहलुओं को उजागर किया गया है।
अभिनय और किरदार
- असीफ अली:
उन्होंने सीआई विवेक के किरदार को बखूबी निभाया है। उनके अभिनय में दृढ़ता और नाटकीयता दोनों का शानदार मिश्रण है। - अनसवारा राजन:
उन्होंने अपने किरदार में सादगी और गहराई जोड़ी है, जिससे कहानी में भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है।
निर्देशन और लेखन
निर्देशक जोफिन टी चाको ने सस्पेंस को बनाए रखते हुए नॉस्टैल्जिया को खूबसूरती से पेश किया है। फिल्म की पटकथा कई परतों वाली है, जिसमें हर सुराग अंत तक दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है। हालांकि, पहले भाग की गति कुछ धीमी है, जो दूसरे भाग में तेज हो जाती है।
फिल्म की ताकत
- अनूठी कहानी:
क्राइम थ्रिलर और सिनेमा इतिहास के संगम ने इसे अन्य फिल्मों से अलग बना दिया है। - मजबूत सिनेमाई माहौल:
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक ने सस्पेंस और रोमांच को और बढ़ा दिया है। - अंत तक बांधे रखना:
दूसरे भाग में कहानी तेजी से आगे बढ़ती है और दर्शकों को एक अप्रत्याशित निष्कर्ष तक ले जाती है।
कमजोरियां
- धीमी शुरुआत:
फिल्म की शुरुआत थोड़ी खिंची हुई लगती है, जिससे कुछ दर्शक बोर हो सकते हैं। - सीमित अपील:
1980 के दशक की मलयालम फिल्मों के संदर्भ उन दर्शकों को पूरी तरह समझ नहीं आएंगे, जो उस दौर से परिचित नहीं हैं।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
- सकारात्मक:
असीफ अली के प्रदर्शन और फिल्म की अनूठी कहानी को दर्शकों ने सराहा है। सिनेमा प्रेमियों को पुराने मलयालम सिनेमा के संदर्भों ने विशेष रूप से प्रभावित किया। - मिश्रित:
कुछ आलोचकों को लगा कि फिल्म की गति और कसावट बेहतर हो सकती थी।
निष्कर्ष
“रेखाचित्रम” एक अलग और ताज़ा इन्वेस्टिगेटिव थ्रिलर है, जो मलयालम सिनेमा के इतिहास को रोमांचक ढंग से प्रस्तुत करती है। यह फिल्म सस्पेंस, नॉस्टैल्जिया और गहराई का अनूठा संगम है। हालांकि यह सभी के लिए नहीं हो सकती, लेकिन जो मलयालम सिनेमा की जड़ों से जुड़े हैं, उनके लिए यह एक बेहतरीन अनुभव है।
रेटिंग:
4/5 – रोमांच और नॉस्टैल्जिया का शानदार मेल!