Home Bihar कुख्यात नक्सली शिव शंकर उर्फ त्यागी की PMCH में मौत: दोनों किडनी हो चुकी थी फेल, 2015 में हुई गिरफ्तारी के बाद से जेल में कट रही थी जिंदगी

कुख्यात नक्सली शिव शंकर उर्फ त्यागी की PMCH में मौत: दोनों किडनी हो चुकी थी फेल, 2015 में हुई गिरफ्तारी के बाद से जेल में कट रही थी जिंदगी

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कुख्यात नक्सली शिव शंकर उर्फ त्यागी की PMCH में मौत: दोनों किडनी हो चुकी थी फेल, 2015 में हुई गिरफ्तारी के बाद से जेल में कट रही थी जिंदगी

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पटना7 मिनट पहले

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हॉस्पिटल में पड़ी नक्सली की लाश। - Dainik Bhaskar

हॉस्पिटल में पड़ी नक्सली की लाश।

कुख्यात नक्सली शिव शंकर उर्फ शिवाजी उर्फ धोबी उर्फ त्यागी जी की मौत हो गई है। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) ने जहानाबाद जेल ब्रेक कांड की साजिश रची थी। 15 नवंबर 2005 की रात हुए उस जेल ब्रेक कांड को इसी कुख्यात नक्सली ने लीड किया था। 70 साल का यह नक्सली लंबे वक्त से बीमार चल रहा था। पहले से शुगर की बीमारी थी। बाद में एक-एक करके दोनों किडनी फेल हो गई थी। 2 दिन पहले ही पटना में बेउर जेल से इलाज के लिए PMCH ले जाया गया था। वहीं इलाज के दौरान गुरुवार को इस कुख्यात नक्सली ने अपनी अंतिम सांस ली।

7 साल से जेल में कट रही थी जिंदगी इस कुख्यात की जिंदगी पिछले 7 साल से जेल में कट रही थी। साल 2015 में इसे जहानाबाद जिले में घोषी थाना की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उस वक्त इसे शुगर की बीमारी थी। तब वो जहानाबाद से पटना आ रहा था। किसी डॉक्टर से इलाज कराने की तैयारी में था। इसके मूवमेंट की जानकारी उस वक्त जहानाबाद के पुलिस को लग चुकी थी। तब रास्ते में घेराबंदी कर इसे पकड़ा गया था। शुरुआत के कुछ दिनों में इसे जहानाबाद के जेल में रखा गया था। मगर, इसके नक्सली इतिहास और जहानाबाद जेल ब्रेक कांड को ध्यान में रखते हुए इसे पटना के बेउर जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। तब से यहीं रह रहा था।

बहुत कम उम्र में ही नक्सली संगठन को कर लिया था ज्वाइन औरंगाबाद जिले में रफीगंज के गोह थाना के तहत पछरिया गांव है। नक्सली शिवाजी इसी गांव का रहने वाला था। औरंगाबाद से जुडे़ लोग बताते हैं कि शिव शंकर ने बहुत कम उम्र यानि बचपन में ही प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) को ज्वाइन कर लिया था। शिक्षा बहुत अधिक नहीं थी। कम पढ़े-लिखे होने के बाद भी बहुत कम समय में संगठन के अंदर अपनी अलग पहचान बना ली थी। गोली चलाने, बम बनाने और उसे ब्लास्ट करने में माहिर बन चुका था। नक्सलियों के गुरिल्ला दस्ता का ये लीडर बन चुका था।

पुलिस वालों के आंखों में झोंक दी थी लाल मिर्च पुलिस को चकमा कैसे देना है? यह बात इस कुख्यात नक्सली को बहुत बढ़िया से पता था। जहानाबाद जेल ब्रेक कांड के बाद एक बार इस नक्सली को पुलिस ने पकड़ लिया था। पेशी के लिए कोर्ट ले जाया जा रहा था। तब इसने शातिराना खेल खेला। लाल मिर्च का पाउडर कहीं से हाथ लग गया था। उस पाउडर को पुलिस वालों के आंखों में झोंक दिया था। इसके बाद अपने साथियों के साथ शिवाजी फरार हो गया था। इसके बाद पटना जिले के मसौढ़ी के एक गांव में शिवाजी और उसके साथियों को पुलिस ने घेर लिया था। एक स्कूल में ये लोग छीपे थे। तब रात भर दोनों तरफ से गोलीबारी हुई थी। इस मुठभेड़ में पुलिस का एक सब इंस्पेक्टर मारा गया था। इसके बाद भी पुलिस शिवाजी को पकड़ नहीं पाई थी। वो गोलीबारी के बीच वहां से फरार हो चुका था।

परेशान सरकार ने 30 लाख का रखा था ईनाम बीतते वक्त के साथ भाकपा (माओवादी) में नक्सली शिवाजी उर्फ शिव शंकर का कद काफी बढ़ चुका था। प्रतिबंधित नक्सली संगठन ने पूरे पूर्वी बिहार का इंचार्ज बना दिया था। जिसमें भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा समेत कई जिले आते हैं। इस नक्सली के पहल पर ही जहानाबाद जेल ब्रेक कांड से ठीक पहले कुख्यात नक्सली अजय कानू के संगठन पीपुल्सवार को भाकपा (माओवादी) में मर्ज करा दिया था। उस वक्त अजय कानू जहानाबाद जेल में कैद था। इसे और अपने कई साथियों को जेल से छुड़ाने के लिए ही जहानाबाद के जेल को गोलियों और बमों के बल पर ब्रेक किया गया था। कुख्यात नक्सली शिवाजी की वजह से बिहार सरकार परेशान हो चुकी थी। इसी वजह से सरकार ने इसके उपर 30 लाख रुपए का ईनाम रखा था। इस नक्सली के पटना, जहानाबाद, औरंगाबाद सहित कई जिलों के थानों में आपराधिक केस दर्ज है।

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