Home Bihar कैमूर में छठ व्रतियों ने उदयीमान सूर्य को दिया अर्घ्य: छठ महापर्व का हुआ समापन, घाटों पर गूंजे पारंपरिक गीत

कैमूर में छठ व्रतियों ने उदयीमान सूर्य को दिया अर्घ्य: छठ महापर्व का हुआ समापन, घाटों पर गूंजे पारंपरिक गीत

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कैमूर में छठ व्रतियों ने उदयीमान सूर्य को दिया अर्घ्य: छठ महापर्व का हुआ समापन, घाटों पर गूंजे पारंपरिक गीत

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कैमूर2 मिनट पहले

सूर्य उपासना का महापर्व छठ सोमवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न हो गया। पिछले दो साल कोरोना की वजह से छठ पर्व की रौनक फीकी पड़ गई थी। इस साल काफी धूमधाम से कैमूर में छठ पर्व को मनाया गया। शांति सुरक्षा के लिहाज से स्थानीय पुलिस प्रशासन ने चाक-चौबंद इंतजाम किया था। यही नहीं छठ पूजा घाट समितियों के द्वारा बहुतेरे छठ पूजा घाट को दूधिया रोशनी से सजाया गया था। छठ व्रतियों के बैठने के लिए भी बेहतर इंतजाम किया गया था।

सोमवार की सुबह सूर्योदय के बाद अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया ,व्रत रखने वाले लोगों ने अर्घ्य देने के बाद पारण कर अपना व्रत खोला,लोक आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन सुबह कैमूर के विभिन्न घाटों तालाबों जलाशय एवं अपने घरों में छठ करने वाले लाखों छठ व्रतियों ने उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा अर्चना की इसी के साथ 4 दिनों तक चले छठ पर्व का समापन हो गया,

छठ पर्व को लेकर सड़कों से लेकर मुहल्लों की गलियों तक में छठ के कर्णप्रिय मधुर पारंपरिक गीत गूंज रहे। छठ घाटों तक साफ-सफाई देखी गई वहीं खतरनाक घाटों की नगर परिषद के द्वारा वेरीकेटिंग की गई थी,एंव किसी भी घटना की आशंका को लेकर सभी घाटों पर पुलिस बल तैनात थे,दंगा नियंत्रण बल,बिहार पुलिस, एसडीआरएफ की रेस्क्यू टीम, सीआईटी की टीम के अलावे एंबुलेंस अग्निशमन सेवा की पूरी टीम व चिकित्सकों द्वारा शिविर लगाए गए थे।

सभी घाटों को नगर परिषद एव स्थानीय समितियों व समाजसेवी और युवाओं द्वारा साफ सफाई के साथ-साथ रंगीन राशियों से सजाया गया था।, भगवान भास्कर के उगते ही सूर्य भगवान के नारे से गुंजायमान होता रहा जो देखने में भी काफी दुर्लभ लग रहा था,भगवान भास्कर की आराधना के लिए खरना किया गया,खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया,पर्व के तीसरे दिन शाम का डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया,उसके बाद सुबह का उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही श्रद्धालुओं का छठ पर्व समाप्त हुआ इसके बाद व्रती अन्न जल ग्रहण किए।

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