Home Bihar दो दोस्त- एक आंदोलन- अब दोनों अध्यक्ष: जदयू के ललन- कांग्रेस के अखिलेश एक दिन बने अध्यक्ष, जानिए इनके मिलने-बिछड़ने की कहानी

दो दोस्त- एक आंदोलन- अब दोनों अध्यक्ष: जदयू के ललन- कांग्रेस के अखिलेश एक दिन बने अध्यक्ष, जानिए इनके मिलने-बिछड़ने की कहानी

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दो दोस्त- एक आंदोलन- अब दोनों अध्यक्ष: जदयू के ललन- कांग्रेस के अखिलेश एक दिन बने अध्यक्ष, जानिए इनके मिलने-बिछड़ने की कहानी

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पटना15 मिनट पहलेलेखक: बृजम पांडेय

यह कहानी दो ऐसे दोस्तों की है, जिन्होंने संघर्ष में एक साथ दो अलग-अलग लोगों से बगावत करके एक हो गए। बिहार की राजनीति में दोनों अपना बड़ा नाम बनाना चाहते थे, या यूं कहें अपने समाज के बड़े लीडर बनना चाहते थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष बने अखिलेश सिंह प्रसाद सिंह की और जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने ललन सिंह की।

इन दोनों की राजनीति अलग-अलग जगह से शुरू हुई थी। लेकिन, परिस्थिति ने दोनों को एक साथ मिलाया और फिर अलग अलग किया। लेकिन आज दोनों अपनी-अपनी पार्टी के शीर्ष पद पर बैठ गए और वो भी एक ही दिन। इत्तेफाक देखिए दोनों भूमिहार जाति से ही ताल्लुक रखते हैं।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ललन सिंह।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ललन सिंह।

कभी ललन सिंह ने नीतीश पर साधा था निशाना

2010 के मई के महीने में पूरे पटना में किसान महापंचायत का पोस्टर बैनर लगा हुआ था। यह कोई दल का नहीं था। यह कुछ नेताओं का एक संगठन था, जो यह बड़ी रैली पटना के गांधी मैदान में करने वाले थे। उस रैली का नेतृत्व कर रहे थे मुंगेर के सांसद ललन सिंह, आरजेडी के नेता अखिलेश प्रसाद सिंह, बांका के निर्दलीय सांसद दिग्विजय सिंह, बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह। सभी नेता इस रैली को धार देने में लगे थे।

इस रैली में पूरे राज्य से किसानों को बुलाया गया और किसान के मसलों पर चर्चा की गई। निशाने पर थी बिहार की वर्तमान नीतीश सरकार। किसान महापंचायत में नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर भाषण बाजी हुई। इसी रैली में ललन सिंह ने नीतीश कुमार के खिलाफ विवादित बयान देते हुए कहा था कि उनके पेट में कहां-कहां दांत है, उसका ऑपरेशन करके निकाल देंगे यह बयान तभी चर्चाओं में आए थे।

महापंचायत के बाद बंट गए सभी नेता
किसान महापंचायत के बाद सभी नेता बिखर गए। अपने आंदोलन पर कायम नहीं रहे। कुछ दिनों के बाद बांका के निर्दलीय विधायक दिग्विजय सिंह की मृत्यु हो गई। प्रभुनाथ सिंह पर कई केस चलने लगे। ललन सिंह और अखिलेश प्रसाद सिंह अलग-अलग हो गए।

अखिलेश प्रसाद सिंह ने अपनी राजनीति का धारा बदल दिया। क्योंकि वह आरजेडी से बगावत करके बाहर आए थे। लालू यादव से मनमुटाव था। तो, सीधे आरजेडी की घटक दल कांग्रेस के साथ समझौता नहीं कर सकते थे। उसमें शामिल नहीं हो सकते थे। तो, ऐसे में कुछ दिनों के बाद जब मामला पूरी तरह से शांत हो गया तो उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली।

ललन सिंह जदयू से निष्कासित हुए थे
इधर, ललन सिंह ने 2010 में ललन सिंह ने नीतीश कुमार का विरोध किया था। 2009 में ललन सिंह मुंगेर से जदयू के टिकट पर लोक सभा का चुनाव जीते थे। बगावत के बाद ललन सिंह जेडीयू से अलग हो गए। लेकिन, नीतीश कुमार की पार्टी ने उन्हें अपनी पार्टी से निष्कासित तो किया लेकिन, बर्खास्त नहीं किया।

ऐसे में ललन सिंह की लोकसभा सदस्यता बरकरार रही। 2014 तक ललन सिंह ने नीतीश कुमार के खिलाफ खूब बयान बाजी की। 2014 में जब लोकसभा का चुनाव हुआ तो मुंगेर से ललन सिंह चुनाव हार गए। वहां से लोजपा की वीणा सिंह चुनाव जीती।

इसलिए राहुल गांधी ने अखिलेश सिंह पर भरोसा किया

इधर, अखिलेश सिंह कांग्रेस में शामिल होकर राजनैतिक संघर्ष कर रहे थे। 2010 में विधानसभा का चुनाव हार गए। 2014 में मोतिहारी से लोकसभा का चुनाव हारे। वहीं, 2015 के विधानसभा चुनाव में तरारी से माले के सुदामा सिंह से चुनाव हार गए।

अपने राजनीतिक संघर्ष में अखिलेश सिंह धीरे धीरे कांग्रेस आलाकमान के करीब पहुंचते गए। जिसका सकारात्मक नतीजा तब निकला जब 2018 में राज्यसभा के एकमात्र सीट पर निर्विरोध अखिलेश प्रसाद सिंह चुनाव जीत गए।

इसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष भी बना दिया। लगातार अखिलेश प्रसाद सिंह कांग्रेस के लिए ईमानदार रहे और माना जाता है कि बहुत जल्द वह राहुल गांधी के करीब भी पहुंच गए। इसी का इनाम मिला कि उन्हें बिहार कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।

ललन सिंह भी पाला बदलकर नीतीश के खास बन गए

दूसरी तरफ, ललन सिंह अपनी चुनावी असफलता के बाद नीतीश कुमार के करीब आने लगे। एक बार फिर नीतीश कुमार ने उन्हें अपने साथ ले लिया। बात 2015 की है, ललन सिंह को नीतीश कुमार ने एमएलसी बनाकर राज्य में जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी भी दे दी। तब से लेकर अब तक ललन सिंह नीतीश कुमार के लिए ईमानदार बने रहे। बीच में 2019 लोकसभा चुनाव में ललन सिंह ने फिर वापस मुंगेर लोकसभा का चुनाव जीत लिया। अभी वह सांसद है।

हाल के दिनों में जब नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह की खटपट शुरू हुई। उस समय ललन सिंह ने नीतीश कुमार का भरपूर साथ दिया। इसका नतीजा यह था कि आरसीपी सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने के तुरंत बाद ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उन्होंने आरसीपी सिंह के आगे का कार्यकाल पूरा किया था। अब ललन सिंह फिर से दोबारा जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित हुए हैं।

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