Home Bihar नेपाली नगर के लोगों ने टेंट में मनाया त्योहार: औरतों ने कहा – हम जिंदा लाश बन कर रह गए हैं; प्रशासन ने ढहाया था घर

नेपाली नगर के लोगों ने टेंट में मनाया त्योहार: औरतों ने कहा – हम जिंदा लाश बन कर रह गए हैं; प्रशासन ने ढहाया था घर

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नेपाली नगर के लोगों ने टेंट में मनाया त्योहार: औरतों ने कहा – हम जिंदा लाश बन कर रह गए हैं; प्रशासन ने ढहाया था घर

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संजीव चौबे|पटना15 मिनट पहले

लोग रात भर जाग कर अपने सामान की सुरक्षा कर रहे हैं।

राजधानी पटना के नेपाली नगर के लोगों ने टूटी हुई खिड़कियां, गिरे हुए दीवाल, टूटी छत और बिखरे हुए सामानों के बीच त्योहार मनाया। दैनिक भास्कर की टीम नेपाली नगर पहुंची वहां के लोगों से जानने कि आखिर वो त्योहार कैसे मना रहे हैं। जानिए, वहां मौजूद महिलाओं ने जो दर्द बयां किया… उसी मुहल्ले की कंचन सिंह ने बताया कि उनका मकान भी बिना किसी नोटिस के तोड़ दिया गया। आज हम लोग रात भर जाग कर अपने सामान की सुरक्षा कर रहे हैं। बारिश होने पर काफी दिक्कत होती है। इस मुहल्ले में कई शादियां तय हैं। जो समर्थ हैं वो तो कहीं बाहर भी शादी करा सकते हैं। लेकिन जो गरीब हैं, उनकी शादियां टूट रही हैं, इस खंडहर में कोई बारात लेकर नही आना चाहता।

लोग इस कार्रवाई को सरकार की सोची समझी साजिश बता रहे हैं।

लोग इस कार्रवाई को सरकार की सोची समझी साजिश बता रहे हैं।

कंचन जी ने पटना के डीएम पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि डीएम ने जान बूझ कर चिह्नित कर के लोगों का नाम पूछ कर उनका घर तोड़ दिया। जो लोग उनके परिचित थे उनका घर में कोई खरोंच तक नहीं आया। चारों तरफ से घर को छोड़ कर बीच में हम लोगों के घर को टारगेट किया गया है। ये सरकार की सोची समझी साजिश है। सब लोग यहां तक मुख्यमंत्री तक दशहरा मना रहे हैं, लेकिन हम लोग जिंदा लाश बन कर रह गए हैं।

इसी मुहल्ले की एक महिला ने तो यहां तक कह दिया कि इज्जत चला गया। जब घर ही नहीं बचा तो इज्जत कहां बचा। रात दिन हम इसी आस में हैं कि सब कुछ ठीक हो जाए। गर्मी तो झेल लिए लेकिन ठंड में कैसे गुजारा होगा, इस टूटे-फूटे मकान में। ना हमारे लिए कोई पूजा है और ना ही कोई पर्व। सरकार ने धोखा दिया है, कोर्ट से उम्मीद है।

पटना हाईकोर्ट ने नेपाली नगर में जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।

पटना हाईकोर्ट ने नेपाली नगर में जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।

इसी मुहल्ले की गजमोती देवी बात करते-करते रोने लगी। उनका कहना है कि घर तोड़ दिया। घर टूटने के बाद बेटा घर छोड़ कर चला गया। बेटे ने कहा – अब यहां क्यों रहें? आज खाने को मुहताज हो गए हम। आस पास के लोग अगर खाने को दे देते हैं तो खा लेते हैं। कब तक लोगों से मांग कर जीवन यापन चलेगा। घर तोड़ने से बेहतर सरकार हमें ही मार देती तो आज ये नौबत नहीं आती।

क्या है मामला

पटना हाईकोर्ट ने राजीव नगर के नेपाली नगर इलाके में जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने राजेंद्र कुमार सिंह एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना के जिलाधिकारी एवं हाउसिंग बोर्ड प्रबंधन को उक्त अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को रोकने का आदेश दिया था।

वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी एवं अधिवक्ता एसबीके मंगलम ने मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष इस घटना को अतिआवश्यक मामला बताते हुए सुनवाई की गुहार की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई शाम चार बजे निर्धारित की थी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जो भी प्राथमिकी दर्ज की गई है, उसके आधार पर कोई अतिरिक्त गिरफ्तारी नहीं होगी। फिलहाल कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी।

नेपाली नगर इलाके में सरकार द्वारा की जा रही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कानून के विरुद्ध है। कोर्ट ने वर्षों से यहां मकान बनाकर रह रहे लोगों के घर टूट जाने पर आश्चर्य जताया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य सरकार और आवास बोर्ड ने बगैर नोटिस जारी किए ही गैरकानूनी तरीके से दर्जनों मकानों को तोड़ दिया है। सैकड़ों लोग रातोंरात बेघर हो गए। जिनके आवास तोड़े गए थे उसमे ज्यादा तर लोग गरीब है। उनके पास जीवन यापन का दूसरा कोई विकल्प नहीं है। उन्हें खाना और पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। यहां के लोग मर मर कर जीने को मजबूर हैं।

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