GBS | जीबी सिंड्रोम: पीएमसी ने सिंहगढ़ रोड पर महामारी संबंधी सर्वेक्षण के लिए 100 टीमें तैनात |

 

पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में अचानक हुई वृद्धि के बाद पुणे नगर निगम (PMC) ने महामारी संबंधी सर्वेक्षण और स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। इस सिंड्रोम के 59 मामले सिंहगढ़ रोड और आसपास के क्षेत्रों से सामने आए हैं, जिससे स्थानीय निवासियों और स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता बढ़ गई है। यह सर्वेक्षण मुख्य रूप से जलजनित संक्रमण की संभावना को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।


GBS क्या है?

गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है, जिसमें व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिकाओं पर हमला करती है।

  • लक्षण:
    • हाथ और पैरों में कमजोरी।
    • झुनझुनी या सुन्नपन।
    • गंभीर मामलों में श्वसन प्रणाली फेल होना और पूर्ण पक्षाघात।
  • कारण: यह अक्सर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद होता है। पानी या भोजन के माध्यम से होने वाला संक्रमण भी इसके ट्रिगर के रूप में सामने आ सकता है।

प्रमुख क्षेत्र और कारणों की जांच

  1. प्रभावित क्षेत्र:
    • सिंहगढ़ रोड, धायरी, किर्कटवाड़ी और अन्य आसपास के क्षेत्र।
  2. पानी का संदूषण:
    • शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि गंदा या दूषित पानी संभावित कारण हो सकता है, क्योंकि GBS के ज्यादातर मामले उन इलाकों से आए हैं, जहां पीने के पानी की स्थिति खराब है।
    • PMC ने इन क्षेत्रों से पानी के सैंपल लिए हैं और उन्हें जांच के लिए भेजा है।

PMC की कार्रवाई

  1. 100 टीमों की तैनाती:
    • PMC ने 100 सर्वेक्षण टीमों का गठन किया है, जो लगभग 2 लाख घरों का दौरा करेंगी।
    • यह टीमें घर-घर जाकर पानी की स्थिति की जांच करेंगी, नागरिकों से जानकारी लेंगी और संभावित संदूषित जल स्रोतों की पहचान करेंगी।
  2. रैपिड रिस्पांस टीम (RRT):
    • महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने GBS के मामलों की गहराई से जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ टीम का गठन किया है।
    • टीम में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) और बी.जे. मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ शामिल हैं।
  3. पानी के नमूने एकत्र करना:
    • संभावित दूषित जल स्रोतों से 43 सैंपल इकट्ठे किए गए और उन्हें लैब में परीक्षण के लिए भेजा गया।

राज्य स्वास्थ्य विभाग की पहल

महाराष्ट्र सरकार ने GBS मामलों पर तेजी से कार्रवाई के लिए व्यापक योजना बनाई है:

  • विशेष स्वास्थ्य शिविर: प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।
  • अस्पतालों में तैयारियां: PMC ने स्थानीय अस्पतालों को सतर्क कर दिया है और GBS से प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं।
  • आगे की रणनीति: NIV और अन्य विशेषज्ञ संस्थान GBS मामलों में जलजनित रोगों और संक्रमणों की भूमिका की जांच कर रहे हैं।

निवासियों के लिए सलाह

  1. पीने का पानी उबालकर या फिल्टर करके ही उपयोग करें।
  2. यदि किसी को निम्नलिखित लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
    • मांसपेशियों में कमजोरी।
    • झुनझुनी या सुन्नपन।
    • तेज बुखार या दस्त।
  3. क्षेत्र में साफ-सफाई और हाइजीन का ध्यान रखें।

GBS के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

GBS के मामलों में वृद्धि जलजनित संक्रमण या दूषित पानी का परिणाम हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिंचाई के पानी, सीवेज और बारिश के कारण जल स्रोतों का प्रदूषण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।


समाज पर प्रभाव

इस घटना ने पुणे में स्वास्थ्य सेवाओं को सतर्क कर दिया है। GBS के मामलों से निपटने के लिए:

  • विस्तृत सर्वेक्षण और जांच के माध्यम से प्राथमिक कारणों को पहचानने की कोशिश हो रही है।
  • नागरिकों में जागरूकता बढ़ाई जा रही है ताकि पानी और स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता बरती जाए।

PMC और राज्य स्वास्थ्य विभाग स्थिति को नियंत्रण में लाने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार कदम उठा रहे हैं।