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पटना41 मिनट पहले
इस्तेमाल किए गए बैटरी के लीड के सार्वजनिक रूप से जलाने से नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं के होने वाले बच्चों पर इसका काफी असर पड़ता है। महावीर कैंसर संस्थान के पायलट शोध के क्रम में इससे कई चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। इसके बाद महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग ने अमेरिका के एक ट्रस्ट के साथ मिलकर इस पर शोध प्रारंभ किया है। महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग प्रभारी और प्रदूषण बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक कुमार घोष का यह मानना है कि इस्तेमाल किए गए पुराने बैटरी के लीड को सार्वजनिक रूप से जलाने से इससे लीड गैस निकल रहा है। यह लीड गैस खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए घातक साबित हो रहा है।
प्रोफेसर घोष का यह मानना है कि गाड़ी में इस्तेमाल किए गए बैटरी के अलावा घरों में इनवर्टर सहित कई जगहों पर जो बैटरी इस्तेमाल कर रद्दी हो जाते हैं उसका लीड निकालकर सार्वजनिक रूप से जलाया जाता है जो काफी घातक और खतरनाक है। इससे निकलने वाले गैस का कुपरिणाम नौनिहालों के अलावा गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चों पर पड़ता है। इस लीड गैस से जन्म लेने वाले बच्चे मानसिक रूप से कमजोर होने के साथ-साथ अपंग और उनके ग्रोथ में काफी कमी होती है।
महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग ने अभी कुछ माह पूर्व एक पायलट शोध के क्रम में कई चौंकाने वाले परिणाम आने के बाद अमेरिका की वाइटल स्ट्रैटेजिस संस्था के साथ मिलकर इस पर शोध प्रारंभ किया है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक रूप से पुराने बैटरी को नष्ट करना प्रदूषण नियम के विरुद्ध है। इस क्रूर मेथड को वे सरकार की तरफ ध्यान आकृष्ट कराएंगे।
शोध विभाग के डॉ अरुण कुमार ने बताया कि प्रथम फेस में 8 जिलों जिसमें मुजफ्फरपुर,पश्चिम चंपारण, पूर्णिया, गया, नवादा, भागलपुर, पटना, गया और वैशाली जिलों से 800 नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं का सैंपल लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि परिणाम आने के बाद इसके रिपोर्ट को वे सरकार को सौंपेंगे और इस क्रूर मेथड पर सरकार को ध्यान आकृष्ट करा कर इसे सार्वजनिक रूप से जलाने पर किसी तरह रोक लगाने की मांग करेंगे।
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