Home Bihar पूर्णिया में 21 सालों से रोजे रख रहा हिंदू परिवार: अलविदा जुमे पर किया आखिरी इफ्तार, मजहबी दीवारें तोड़ बने गंगा-जमुनी तहजीब के मिसाल

पूर्णिया में 21 सालों से रोजे रख रहा हिंदू परिवार: अलविदा जुमे पर किया आखिरी इफ्तार, मजहबी दीवारें तोड़ बने गंगा-जमुनी तहजीब के मिसाल

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पूर्णिया में 21 सालों से रोजे रख रहा हिंदू परिवार: अलविदा जुमे पर किया आखिरी इफ्तार, मजहबी दीवारें तोड़ बने गंगा-जमुनी तहजीब के मिसाल

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पूर्णिया5 घंटे पहले

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बड़ों से लेकर बच्चों तक एक साथ करते हैं इफ्तार और सहरी

शुक्रवार को ईद से ठीक पहले अलविदा जुमा की नमाज अदा की गई। इस महीने में की गई इबादत का फल कई गुना अधिक मिलता है। यही वजह है कि रमजान में हर मुसलमान रोजा रख कर अल्लाह की इबादत करता है। मगर इन सब के बीच दैनिक भास्कर डिजिटल आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा है, जहां मुस्लिम नहीं बल्कि एक हिन्दू परिवार 21 सालों से रमजान के रोजे रखता आ रहा है।मधुबनी इलाके में रहने वाले सुशील किशोर और उनकी पत्नी अर्चना कुमारी ने अलविदा जुमा के आखिरी दिन बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इफ्तार किया।

बड़ों से लेकर बच्चों तक करते हैं इफ्तार और सहरी

हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम कर रहा यह यह परिवार बिहार के पूर्णिया जिले मधुबनी इलाके में रहता है। इनकी जितनी गहरी आस्था छठ व्रत में है, उतनी ही श्रद्धा माहे रमजान में। ये परिवार पूरे नियम से रोजे में रखता है। यहां परिवार के बड़ो से लेकर बच्चों तक सहरी और इफ्तार दोनों करते हैं। गरीब को खाना खिलाते हैं। पवित्र कुरान की तिलावत यानी पाठ तक करते हैं।

अलाउद्दीन अली अहमद शाहिद रहमतुल्लाह अलेह को गुरु मानने वाले इस परिवार की मानें तो शुरुआती दौर में समाज और मोहल्ले में इनका काफी विरोध हुआ। लोग इन्हें हीन दृष्टि से देखते और हिंदू विरोधी मानते। हालांकि इस परिवार की अपार आस्था के आगे मजहबी रोष को घुटने टेकने पड़े। जो समाज पहले विरोध के सुर अलाप रहा था। अब सौहार्दता से भरे इनकी सोच का मुरीद हो गया है।

21 सालों से रमजान के रोजे रखता आ रहा है पूरा परिवार

21 सालों से रमजान के रोजे रखता आ रहा है पूरा परिवार

21 सालों से रखते आ रहे हैं रोजा

गंगा-जमुनी तहजीब और वसुदैव कुटुम्बकम की मिसाल कायम करने वाले इस परिवार के पति-पत्नी बीते 21 सालों से रोजे रखते आ रहे हैं। इस परिवार के बच्चे भी इनका साथ देते आ रहे हैं। ये परिवार शाहपुर दरभंगा के अलाउद्दीन अली अहमद शहीद रहमतुल्लाह अलेह की दरगाह शरीफ से जुड़ा हुआ है। रोजेदार सुशील किशोर और उनकी पत्नी अर्चना का कहना है कि रोजे रखते हुए उन्हें 21 साल हो गए। इनका मानना है कि समूची दुनिया एक परिवार है। इंसानियत ही इंसान का पहला धर्म है। ये बताते हैं कि दुनिया से नफरत मिटाकर इंसानियत से भरी बस्ती तभी बसाई जा सकती है। जब सर्वधर्म सम्भाव के रास्ते चलकर मजहब की दीवारें तोड़ दी जाएं।

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