Home Bihar बक्सर में पुलिस की पिटाई से किसानों में भय: किसानों में भय , बिल्ली भी कूदती है तो महिलाएं और बच्चे डर कर उठ जाते हैं

बक्सर में पुलिस की पिटाई से किसानों में भय: किसानों में भय , बिल्ली भी कूदती है तो महिलाएं और बच्चे डर कर उठ जाते हैं

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बक्सर में पुलिस की पिटाई से किसानों में भय: किसानों में भय , बिल्ली भी कूदती है तो महिलाएं और बच्चे डर कर उठ जाते हैं

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बक्सर24 मिनट पहले

बक्सर के किसानों में 10 जनवरी की रात पुलिस की पिटाई और 11 जनवरी को उपद्रव के बाद थर्मल पॉवर परिसर में हुए आगजनी को लेकर अभी भी भय व्याप्त है। कुछ किसान हिम्मत जुटा गांव में ही बने हुए है। तो वही अधिकतर किसान अपने पत्नी, बाल बच्चों को गांव से दूर अन्य रिश्तेदारों के यहाँ भेज चुके है। पूरे दिन धरने पर एकत्रित होकर बैठे रहते है। दिन में नेता और मीडिया का आना जाना रहता है। जो किसानों में उत्साह भरने का काम करते है। रात जाग कर बिताते हैं। किसानों का आरोप यह भी है कि 10 जनवरी की रात पुलिस के साथ कम्पनी के सीईओ मनोज कुमार और अंचल सीओ ब्रीजबिहारी कुमार भी मौजूद थे।

बिल्ली भी कूदती है तो लोग उठ कर बैठ जाते हैं
बनारापुर गांव के किसान मो. मेराज खान बताते है कि गांव में यह भय अभी भी बना हुआ है कि रात में पुलिस छत के रास्ते घुस महिलाओं और बच्चों को कहीं पीटने ना लगे। हमारे घर के महिलाओं और बच्चो में इतना भय है कि रात में बिल्ली भी कूदती है तो घर के बच्चे और महिलाएं उठ कर बैठ जाती है कि कही रात में पुलिस तो नही आ गई।

पुलिस ने हमें पिटा तो आ रहे है मंत्री विधायक

किसान मुन्ना तिवारी द्वारा बताया गया कि इतने दिन से धरने पर बैठे थे। कोई मंत्री विधायक पूछने तक नही आया। पुलिस की बर्बरता के बाद बहुत नेता मंत्री और समाज सेवी हमारे बीच आ रहें हैं। अभी तक कोई सकारात्मक पहल किसी के द्वारा नही किया गया है। हमलोग अपनी लड़ाई स्वंम लड़ रहे है। हमारा धरना जारी रहेगा इसके लिए चाहे प्रशासन हम पर गोली हीं क्यो न मार दें।

धरने पर बैठे किसान

धरने पर बैठे किसान

रात को पहरा देते है किसान

किसान अशोक तिवारी ने बताया कि हम लोग सुरक्षित महसूस नही कर रहे हैं। पूरे गांव के लोग रातभर जागने का काम कर रहे हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं इस गांव में जिन्होंने अपने परिवार को अपने रिस्तेदारों के यहां भेज दिया है। वे लोग वैसे परिवार से हैं जो केश और पुलिस के लफड़े में नही फंसना चाहते हैं। लेकिन जानबूझकर उन्हें फंसा दिया गया है। अब वो डर के मारे अपने परिवार को छोड़ दिये है।

क्यो बैठे है तीन महीने से धरने पर

480 करोड़ रुपये कम्पनी ने भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार और रेलवे को दिया है। राज्य सरकार को किसानों को मुआवजा देना है। लेकिन किसानों ने दर निर्धारण में घालमेल का आरोप लगा मुआवजा लेने से इंकार कर दिया है। किसान सुनील कुमार द्वारा बताया गया कि जब अपनी भूमि के उचित मुआवजे की मांग को लेकर जिला के अधिकारियों के साथ सभी बैठक विफल रहे, तो 17 अक्टूबर को हम सभी प्रभावित किसान अनिश्चित कालीन धरने पर अपनी मांगों को लेकर बैठ गए। जिसे जिला प्रशासन द्वारा कई बार लाठी के जोर पर खत्म करने का प्रयास किया गया। लेकिन हमारी मांगो को लेकर धरना आज भी जारी है। 30 नंवबर से धरान को उग्र करने का प्रयास पुलिस प्रशासन द्वारा किया गया।

दो बार किसानों पर रात में बरसाई गई लाठी, 14 लोगों को पुलीस ने गिरफ्तार कर 24 घण्टे में छोड़ा

सुनील कुमार द्वारा बताया गया कि तीन महीने से ऊपर से जारी इस धरान में पुलिस द्वारा किसानों पर दो बार लाठी भांजी गई। 30 नंवबर को कुल 9 किसानों को गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान रात धरान स्थल पर भारी पुलिस बल के साथ थानाध्यक्ष अमित कुमार पहुंचे। किसानों के धरना स्थल पर मौजूद टेंट को तोड़ दिया गया। टेंट में लगे तिरंगा को फाड़ दिया गया। किसानों को मारते पीटते खदेड़ते हुए 4 किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया। जिसका CCTV फुटेज भी उपलब्ध है। जिसकी शिकायत भी की गई। लेकिन उल्टे किसानों पर FIR किया गया। पुलिस कर्मियों पर कोई एक्शन नही लिया गया।9 जनवरी को दो किसानों को गिरफ्तार किया गया। वहीं 10 जनवरी की रात हमारे घर मे घुंसी और बेटी, पत्नी माँ और बच्चों को जमकर पिटाई की। हमारे घर के 3 लड़को को उठा कर थाने लेकर चली गई।

खौफ में गांव के लोग

खौफ में गांव के लोग

सरकार किसानों से बात करें

सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जिसकी मॉनिटरिंग पीएमओ और विद्युत मंत्रालय द्वारा की जा रही है। प्लांट निर्माण में करीब 12 हजार करोड़ रुपये खर्च होने है। जिसमें करीब 800 करोड़ रुपये का काम एसटीपीएल एलएंडटी को दिया है। कंपनी के सीईओ मनोज कुमार कहते हैं कि प्लांट बनकर लगभग तैयार है जून 2023 में प्लांट का एक यूनिट शुरू करना था। इस तरह 2024 में जून तक दूसरा यूनिट भी तैयार हो जाता। अभी प्लांट को 1980 मेगावाट बनाने की चर्चा चल रही है। जिसमें 250 एकड़ और भी जमीनों का अधिक्षण किया जा सकता है। यदि राज्य व केंद्र किसानों के साथ बैठकर मसलें का हल निकालें तो यह बिहार के लिए ही नहीं देश के लिए नजीर बनेगा।

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