Home Bihar बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल देने वाले मासूमों की कहानी: दो सगे भाइयों ने जोखिम उठाया ताकि आप रह सके सुरक्षित, कहा- मां से मिली सीख

बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल देने वाले मासूमों की कहानी: दो सगे भाइयों ने जोखिम उठाया ताकि आप रह सके सुरक्षित, कहा- मां से मिली सीख

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बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल देने वाले मासूमों की कहानी: दो सगे भाइयों ने जोखिम उठाया ताकि आप रह सके सुरक्षित, कहा- मां से मिली सीख

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पटनाएक घंटा पहले

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दोनों बच्चों के साथ मां डॉ. वीना सिंह। - Dainik Bhaskar

दोनों बच्चों के साथ मां डॉ. वीना सिंह।

पटना के सत्यम और सम्यक जैसे बहादुर बच्चों के हौसलों ने कोरोना की लड़ाई को आसान किया है। ऐसे बहादुर बच्चों के हौसलों से तैयार हुई वैक्सीन अब करोड़ों बच्चों के लिए सुरक्षा कवच बनेगी। सत्यम और सम्यक ने देश के करोड़ों बच्चों की सुरक्षा के लिए ही जोखिम उठाया। वैक्सीन बनकर तैयार हुई तो इन बच्चों को ट्रायल में शामिल होने के लिए गर्व है। जानिए दो सगे भाइयों की कहानी जिनके योगदान से आज बच्चों की वैक्सीन बनकर तैयार हुई है।

मां के साथ बच्चे भी बन गए कोरोना योद्धा

पटना AIIMS के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग की HOD डॉ. वीना सिंह और उनके दोनों बच्चों काे कोरोना योद्धा के नाम से जाना जाता है। डॉ. वीना सिंह ने वैक्सीन के लिए खुद जोखिम उठाकर ट्रायल दिया और जब बच्चों के वैक्सीन की बारी आई तो ट्रायल के लिए दोनों बच्चों को आगे कर दिया। महिला डॉक्टर और उनके दोनों बच्चों का जज्बा ही उन्हें कोरोना योद्धा के रुप में अलग पहचान दिलाया है। वैक्सीनेशन डरने वालों को इस परिवार से सीख लेनी चाहिए जिन्होंने वैक्सीन के ट्रायल में जोखिम उठाया ताकि देश के करोड़ों लोगों को कोरोना से सुरक्षित किया जा सके।

जोखिम उठाया ताकि लोग सुरक्षित रहें

13 साल के सत्यम और 7 साल के सम्यक आज सामान्य बच्चों से कई गुणा फिट हैं। कोरोना का खतरा कम है क्योंकि वह पूरी तरह से वैक्सीनेट हैं। लेकिन वैक्सीन का ट्रायल देना बड़ा जोखिम था। नई चीज का ट्रायल आसान नहीं होता, इस कारण कोई अपने बच्चों को आगे नहीं आने दे रहा थार लेकिन 13 साल के सत्यम और 7 साल के सम्यक ने डर से बाहर निकलकर अपना जज्बा दिखाया। सत्यम बताते हैं कि वह अपनी मां को देखकर बच्चों के वैक्सीन ट्रायल के लिए तैयार हुए और बड़े भाई का जज्बा देख सम्यक ने भी वैक्सीन के ट्रायल की जिद कर ली। दो दो बच्चों का नई वैक्सीन पर ट्रायल दिलाना डॉ वीना के लिए भी बड़ी चुनौती थी, लेकिन देश के करोड़ों लोगों के हित में जिस तरह से खुद वैक्सीन के ट्रायल का हिस्सा बनी उसी तरह से बच्चों को भी आगे कर दिया।

बड़ों को लेना चाहिए बच्चों से सबक

13 साल के सत्यम बताते हैं कि वह मां से जिद करके ट्रायल में शामिल हुए थे, क्योंकि उन्हें मालूम था कि जितना जल्दी ट्रायल पूरा होगा उतनी ही जल्दी वैक्सीन आएगी। वह चाहते थे कि देश के हर बच्चे को कोरोना से आजादी दिलाई जा सके। सत्यम का कहना है कि ट्रायल में बस एक दिन थोड़ा दर्द रहा उसके बाद से वह खुद को काफी सुरक्षित मानते हैं। सत्यम का कहना है कि उन्हें गर्व होता है कि जिस वैक्सीन का उन्होंने ट्रायल दिया आज वह करोड़ों बच्चों की सुरक्षा कवच बनेगी। वैक्सीनेशन के लिए बहानेबाजी करने वालों को सत्यम से सबक लेना चाहिए।

बड़ों की वैक्सीन तो अब पूरी तरह से जोखिमों से मुक्त है, इसे लगवाने में लोग डर रहे हैं। दोनों भाइयों ने तो उस वक्त वैक्सीन का ट्रायल दिया जब बच्चों के वैक्सीन को लेकर शोध ही चल रहा था। सत्यम और सम्यक ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में कहा कि वैक्सीनेशन में लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

बड़ों की वैक्सीनेशन में लापरवाही यह बता रही है कि वह परिवार और समाज की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं। दोनों भाइयों ने हर गार्जियन और बच्चों से अपील की है कि वैक्सीन के प्रति उसी तरह का जज्बा दिखाएं जैसे सत्यम और सम्यक ने ट्रायल में दिखाया है। उन्हाेंने कोरोना की लड़ाई में हर किसी से उनके तरह कोरोना योद्धा बनने की अपील की है।

डॉक्टर का धर्म लोगों की सुरक्षा के लिए आगे आना है: डॉ. वीना

डॉ. वीना सिंह का कहना है कि डॉक्टर का धर्म है कि वह आम लोगों की सुरक्षा के लिए आगे आए। कोरोना की लहर को देख पूरे देश में हाहाकार मचा था। बस एक ही उम्मीद थी जिंदगी की, वह थी वैक्सीन। देश में वैक्सीन तैयार हुई और इसका ट्रायल शुरू हो गया। पटना एम्स भी ट्रायल में शामिल हुआ, लेकिन लोगों में जागरुकता की कमी के कारण ट्रायल के लिए लोग नहीं मिल रहे थे। देश में जल्दी वैक्सीन आए इसके लिए वह आगे आईं और खुद पर वैक्सीन का ट्रायल कराया।

डॉ. वीना का कहना है कि उन्हें गर्व है कि उनके साथ उनके दोनों बच्चों ने भी जिद कर कोरोना वैक्सीनेशन का ट्रायल दिया। मां को देखकर बच्चों में आया वैक्सीन ट्रायल का जोश उन्हें हर समय गौरवान्वित करता है। सत्यम और सम्यक के साथ डॉ वीना भी खुश हैं कि उन्होंने पटना एम्स में वैक्सीनेशन के लिए अलग अलग स्टेज में ट्रायल दिया और आज उनके योगदान से तैयार वैक्सीन लोगों की सुरक्षा कवच का काम कर रही है।

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