Home Bihar बरसात में मरने के अलावा यहां कोई चारा नहीं: आरा के खवासपुर में इलाज की सुविधा नहीं, शहर 20 KM दूर, बरसात में पीपा पुल खुल जाने से गांव में ही दम तोड़ देते हैं लोग

बरसात में मरने के अलावा यहां कोई चारा नहीं: आरा के खवासपुर में इलाज की सुविधा नहीं, शहर 20 KM दूर, बरसात में पीपा पुल खुल जाने से गांव में ही दम तोड़ देते हैं लोग

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बरसात में मरने के अलावा यहां कोई चारा नहीं: आरा के खवासपुर में इलाज की सुविधा नहीं, शहर 20 KM दूर, बरसात में पीपा पुल खुल जाने से गांव में ही दम तोड़ देते हैं लोग

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आरा5 मिनट पहले

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आरा शहर के खवासपुर गांव में नहीं है इलाज की कोई सुविधा। - Dainik Bhaskar

आरा शहर के खवासपुर गांव में नहीं है इलाज की कोई सुविधा।

आरा शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है-खवासपुर। 17 टोला के इस गांव में 30 हजार लोग हैं। यहां अस्पताल है, लेकिन सुविधा नहीं होने की वजह से इलाज नहीं हो पाता है। गांव से शहर आने के लिए पीपा पुल पार करना पड़ता है। रात में अगर किसी व्यक्ति की तबियत बिगड़ती है तो उनलोगों को गांव में प्राथमिक उपचार नहीं मिलता है। उनको इसी पुल को पार कर 20 KM दूर शहर की ओर दौड़ना पड़ता है। गांव के लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के समय में होती है, क्योंकि बरसात के दिनों में पीपा पुल खोल दिया जाता है। अब गांव के लोग उस समय इलाज के बिना गांव में ही तड़प कर दम तोड़ देते हैं।

भोजपुर जिले में कई ऐसे गांव हैं, जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं आते या वहां डॉक्टर ही नहीं हैं, जिसकी वजह से गांवों की स्थिति बदतर है। भले की सरकारी आंकड़े कुछ भी हों, परन्तु जमीनी हकीकत कुछ और ही है। गांव के लोगों को छोटी से छोटी बीमारी के इलाज के लिए शहर जाना पड़ता है, जिसकी वजह से समय के अभाव से कई बार लोगों की जान भी चली जाती है या फिर उन्हें निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ता है, जिससे उनकी जेब खाली हो जाती है।

कोरोना महामारी में भी नहीं टूटी नींद
अब इस माहामारी में भी सरकार द्वारा कोई भी स्वास्थ्य सुविधा गांवों के अस्पतालों में देखने को नहीं मिल रहा है, जबकि सरकार हर साल स्वास्थ्य बजट के लिए बड़ा हिस्सा रखती है। बिहार के भोजपुर जिले में गावों के अस्पतालों की स्थिति देखकर आप दंग रह जाएंगे। यहां ना तो दवाइयां है और ना ही इजाल करने की सुविधाएं। कोरोना काल में गांव के किसी अस्पताल में ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है। किसी अस्पताल में डॉक्टर है भी तो वो अस्पतालों में सुविधा नहीं होने की वजह से मरीजों का इलाज नहीं कर पाते हैं।

सुनिए क्या कहते हैं गांव के लोग
गांव के चंद्रपाल सिंह बताते हैं कि यहां सरकारी सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से ही गांव के लोगों की जान चली जाती है। अगर इलाज करवाना हो तो गांव के किसी डॉक्टर ( झोला छाप ) से इलाज कराना पड़ता है। उन्होंने बताया कि अगर किसी व्यक्ति की तबियत खराब होती है तो गाड़ी करके जाएंगे। अगर समय पर पहुंच गए तो ठीक है नहीं तो भगवान मालिक है। गांव में अस्पताल बना हुआ है, लेकिन डॉक्टर ही नहीं रहते हैं।

गांव में अस्पताल तो हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं बैठते।

गांव में अस्पताल तो हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं बैठते।

वहीं ग्रामीण चिकित्सक ने बताया कि यहां सबसे ज्यादा मरीज सर्दी-खांसी और बुखार के आ रहे हैं, जिनका हम इलाज करते हैं और मरीज ठीक होकर चले जाते हैं। अगर किसी मरीज की हालत गंभीर हो तो हमारे पास ऑक्सीजन नहीं है, जिसकी वजह से हमें वैसे मरीज को रेफर करना पड़ जाता है। ज्यादातर लोग आरा जाने की बजाय उत्तर प्रदेश चले जाते हैं, क्योंकि आरा 20 किलोमीटर से अधिक है और यूपी 15 किलोमीटर पड़ता है।

(आरा से शिवानी के इनपुट के साथ)

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