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बिहार में कौवों की रहस्यमय मौत: प्रशासन सतर्क, वैज्ञानिक जांच जारी

बिहार में हाल के दिनों में कौवों की रहस्यमय मौतों का सिलसिला जारी है, जिसके कारण लोगों में घबराहट और दहशत का माहौल बन गया है। राज्य के विभिन्न हिस्सों से दर्जनों कौवों के मृत पाए जाने की खबरें आ रही हैं। स्थानीय लोग इस घटनाक्रम को लेकर चिंतित हैं और इसे किसी अनदेखी बीमारी या विषाक्तता के रूप में देख रहे हैं।

घटनाओं की श्रृंखला और पहले से बढ़ती चिंताएँ

पिछले कुछ दिनों से बिहार के विभिन्न जिलों जैसे पटन, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, बक्सर, वैशाली और सारण से मृत कौवों के शव मिलने की खबरें आई हैं। इन घटनाओं के बाद स्थानीय लोग गंभीर रूप से चिंतित हैं क्योंकि यह पहली बार नहीं है कि इतने बड़े पैमाने पर कौवों की मृत अवस्था में मिलने की घटनाएँ हुई हैं। पहले भी इसी प्रकार की घटनाएँ कुछ वर्षों में देखने को मिली थीं, लेकिन अब यह घटना बड़ी संख्या में सामने आ रही है।

कौवों की मौत का कारण: क्या है इसके पीछे?

प्रशासन और पशु चिकित्सकों की टीम ने कौवों की मौत की जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कौवों के शवों को लेकर पोस्टमॉर्टम और लैब परीक्षण किए जा रहे हैं। इन परीक्षणों का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या इन मौतों का कारण कोई संक्रामक बीमारी (जैसे H5N1 एवियन फ्लू) है, या फिर यह विषाक्त पदार्थों (जैसे खेतों में इस्तेमाल होने वाली कीटनाशक रसायन) के संपर्क में आने के कारण हो रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह विषाक्तता या संक्रमण का मामला है तो यह ना केवल कौवों बल्कि अन्य पक्षियों और मनुष्यों के लिए भी खतरे का संकेत हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग और वाइल्डलाइफ विभाग इस मामले की गंभीरता को समझते हुए इसे प्राथमिकता दे रहे हैं।

कौवों की मौत की वजहों पर कयास

प्रशासन ने यह भी कहा है कि अगर यह घटना किसी संक्रामक बीमारी या वायरस के कारण हुई है तो इससे मानवों और पशुओं में संक्रमण का खतरा हो सकता है। इसके अलावा, एक अन्य संभावना खेतों में फैलने वाली कीटनाशक गैसें या विषाक्त पदार्थ भी हो सकती हैं। खासकर मौसम परिवर्तन के साथ ऐसे मामलों की संभावना बढ़ जाती है।

  • H5N1 (एवियन फ्लू): यह एक विषाणुजनित रोग है जो पक्षियों में तेजी से फैल सकता है और इंसानों तक भी पहुंच सकता है, जिससे गंभीर संक्रमण हो सकता है। हालांकि, अधिकारियों ने इसे लेकर अभी तक कोई पुष्टि नहीं की है।
  • विषाक्तता: कुछ जानकारों का मानना है कि खेती-बाड़ी के दौरान खेतों में इस्तेमाल होने वाली कीटनाशक और फफूंदी नाशक के अवशेष कौवों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। यह एक लंबा समय लेकर भी इस प्रकार की घटनाओं को उत्पन्न कर सकता है।

प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम

  1. सैंपल एकत्रित करना: प्रशासन ने मृत कौवों के सैंपल एकत्र किए हैं और उन्हें बायोमेडिकल प्रयोगशालाओं में भेजा गया है। सैंपल की जांच के परिणामों के आधार पर ही मौत के असल कारण का पता चल पाएगा।
  2. सार्वजनिक चेतावनी: प्रशासन ने स्थानीय निवासियों को सावधान रहने की सलाह दी है, खासकर मृत पक्षियों को हाथ से न छूने की चेतावनी दी गई है। लोग मृत पक्षियों के शवों को सीधे संपर्क में न लाने के लिए कहे जा रहे हैं और इससे संबंधित किसी भी बीमारी के लक्षण दिखने पर अस्पताल जाने की सलाह दी गई है।
  3. स्वास्थ्य विभाग और पशु चिकित्सा टीम का गठन: स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल एक विशेष चिकित्सा टीम का गठन किया है, जो इन घटनाओं की जांच करेगा और संभावित खतरों को नियंत्रित करने के उपायों पर काम करेगा। इसके अलावा, अधिकारियों ने नागरिक प्रशासन और वाइल्डलाइफ टीमों को भी स्थिति पर निगरानी रखने के लिए सक्रिय किया है।
  4. वायरस संक्रमण से बचाव: स्वास्थ्य विभाग ने पक्षियों के स्वास्थ्य को लेकर महामारी के शुरुआती संकेतों को नज़रअंदाज़ नहीं किया है। संदिग्ध मामलों में प्रयोगशाला परीक्षणों के लिए नमूने भेजे जा रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सके और इसके फैलने से बचा जा सके।
  5. खेतों में निगरानी: राज्य के कृषि विभाग ने खेतों में भी निगरानी बढ़ा दी है, विशेषकर उन इलाकों में जहां कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वातावरण में कोई खतरनाक रसायन तो नहीं फैला हुआ।

क्या यह महामारी का संकेत है?

अब तक, प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि इस घटनाक्रम से महामारी के फैलने के कोई ठोस संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन सभी संभावनाओं की जांच की जा रही है। हालांकि, राज्य में स्थिति को गंभीरता से लिया जा रहा है और स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों को लागू किया जा रहा है। प्रशासन ने लोगों को स्वस्थ रहने और इस बारे में किसी भी अलर्ट के लिए सतर्क रहने की सलाह दी है।

क्या लोग डरें?

हालांकि यह घटनाएँ चिंताजनक हैं, प्रशासन का कहना है कि फिलहाल कोई भी महामारी फैलने का खतरा नहीं है। लोगों को केवल कुछ सावधानियाँ बरतने की आवश्यकता है जैसे मृत कौवों को न छूना, हाथ धोना और व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करना।

अभी स्थिति पर प्रशासन की निगाहें बनी हुई हैं और सैंपल परीक्षण के बाद ही कोई ठोस जानकारी साझा की जाएगी। लोग सामूहिक जागरूकता से इस संकट का सामना कर सकते हैं और यदि कोई नया खतरा सामने आता है तो उस पर प्रभावी तरीके से कार्रवाई की जाएगी।