Home Bihar सख्ती जरूरी: गुमटी और दुकानों पर बोतल बंद डिब्बों में धड़ल्ले से बिक रहे पेट्रोल-डीजल, कार्रवाई नहीं की जा रही

सख्ती जरूरी: गुमटी और दुकानों पर बोतल बंद डिब्बों में धड़ल्ले से बिक रहे पेट्रोल-डीजल, कार्रवाई नहीं की जा रही

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सख्ती जरूरी: गुमटी और दुकानों पर बोतल बंद डिब्बों में धड़ल्ले से बिक रहे पेट्रोल-डीजल, कार्रवाई नहीं की जा रही

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मधुबनीएक घंटा पहले

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  • हमेशा बनी रहती है हादसे की आशंका, इसी बहाने मिलावट और मुनफाखोरी का खेल भी जारी

इंडो नेपाल सीमावर्ती प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों अवैध रूप से बोतलों में भरकर पेट्रोल डीजल के कालाबाजारी का खेल चरम पर है। मुख्य सड़क से लेकर ग्रामीण सड़कों में पान गुमटी, छोटी छोटी दुकानों पर नियमों को ताक पर रखकर बोतल बंद डिब्बे में धड़ल्ले से पेट्रोल डीजल की बिक्री होती है। हर चौक चौराहों पर गुमटियों में प्लास्टिक की बोतलों में पेट्रोल डीजल टंगे नजर आते हैं। जहाँ किसी तरह का कोई नियम कायदा का अनुपालन नहीं किया जाता है। दुकानदार इन खुल्ले में बिकने वाले पेट्रोल डीजल में मिट्टी तेल व अन्य केमिकल मिलाकर भी बेचते हैं। जिससे वाहनों के इंजन पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। प्रखंड में रोजाना हजारों लीटर पेट्रोल डीजल इस तरह से बिकते हैं।

जिसमें 1 लीटर के नाम पर 850 ग्राम पेट्रोल 125 रुपए से 170 रुपए तक प्रति लीटर के हिसाब से बेचा जा रहा है। जिससे उपभोक्ता मिलावटखोरी और मुनाफाखोरी दोनों का शिकार हो रहे हैं। अधिक मूल्यों पर इनकी कालाबाजारी के कारण कई बार ग्राहकों व दुकानदारों में नोक झोंक की स्थिति भी बन जाती है। गैरकानूनी तरीके से बोतलों में पेट्रोल डीजल बेचने वाले दुकानों व गुमटियों में इनके रखरखाव के लिए किसी तरह का कोई नियम का अनुपालन नहीं किया जाता है।

जबकि इन जगहों पर दिन भर सिगरेट बीड़ी पीकर फेंका जाता है। जबकि पेट्रोल, डीजल जैसे अति ज्वलनशील पदार्थों को खुले में रखकर बेचने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। छोटे मोटे हादसे तो अक्सर होते भी रहते हैं, बावजूद इस विषय पर पुलिस प्रशासन या संबंधित अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है। इस कालाबाजारी में पेट्रोल पंप संचालकों का भी कम योगदान नहीं है जो नियम विरुद्ध होते हुए भी डिब्बों में इन्हें पेट्रोल डीजल बेचकर इस व्यवसाय को प्रोत्साहित करते हैं। जबकि वाहनों के अलावा बोतल बंद डिब्बों में पेट्रोल डीजल जैसे बेहद संवेदनशील पदार्थ बेचने पर सख्त पाबंदी है। इस कारोबार के लगातार फलने फूलने के कारण सरकार को भी राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। लेकिन प्रशासन अपनी आंखों के सामने यह सब देखने के बावजूद भी मूकदर्शक बनी हुई है।

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