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सुपौल41 मिनट पहले
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सुपौल सदर अस्पताल का आइसोलेशन वार्ड।
सुपौल में भी ओमिक्रान ने अपनी दस्तक दे दी है। लेकिन सदर अस्पताल का आइसोलेशन वार्ड जंग खा रहा है। यहां के वार्ड की गंदगी देख आप अंदाजा लगा सकते है कि सरकार के निर्देश के बावजूद स्वास्थ्य महकमा कितना तैयार है। वार्ड की ऐसी स्थिति है कि मानों इस ओर बीते कई महीनों से किसी ने देखा तक नहीं है। पहले लहर में भेजी गई वेंटिलेटर मशीन डाक्टर और टेक्निकल स्टाफ के अभाव में आज भी जंग खा रही है।
इस बाबत जब अस्पताल प्रबंधक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी ऑक्सीजन पाइप लाइन का काम चल रहा है। इसलिए थोड़ा गंदगी है, जैसे ही पाइप लाइन का काम हो जाता है वैसे सारी व्यवस्था को सुदृढ कर लिया जाएगा।
सदर अस्पताल का आइसोलेशन वार्ड।
जब अस्पताल प्रबंधक से सदर अस्पताल में पहले से रखे वेंटिलेटर के बारे में पूछा गया तो कहा कि टेक्नीशियन की कमी के कारण वेंटिलेटर चालू नहीं हो सका। स्टेट को लिखा गया है जैसे ही टेक्नीशियन उपलब्ध होगा वैंटिलेटर भी काम करना शुरू हो जाएगा।
वहीं, जब कोरोना के तीसरे लहर से निपटने की तैयारी को लेकर सुपौल के सिविल सर्जन इंद्रजीत प्रसाद से पूछा गया तो उन्होंने अपनी पीठ खुद थपथपाते हुए कहा कि पूरे जिले के कोविड सेंटर को रेड्डी कर लिया गया है। कोविड मरीज को वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। साथ ही लोगों को मास्क पहनने वैक्सीन लेने एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
सदर अस्पताल स्थित कोविड की स्थिति देखकर सिविल सर्जन के सभी दावों का पोल खुल गया। सिविल सर्जन जिले में जिस तरह पूरी तैयारी का खोखला बयान दे रहे। उससे यही लगता है कि फिर से तीसरे लहर में सुपौल के लोगों को अन्य जिले एवं प्राइवेट अस्पताल के भरोसे रहना पड़ेगा। अगर समय रहते सरकार की नजर सुपौल की तरफ नहीं पड़ी तो कोरोना के तीसरे लहर में बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता।
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