2025 में वैश्विक मंदी: विवरण और संभावनाएं
2025 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आर्थिक विकास के अनुमान मिश्रित हैं, और मंदी की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। यहां 2025 की वैश्विक आर्थिक स्थिति और संभावित मंदी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
वर्तमान आर्थिक परिदृश्य
- संयुक्त राष्ट्र ने 2025 के लिए वैश्विक जीडीपी वृद्धि दर लगभग 2.8% रहने का अनुमान लगाया है, जो ऐतिहासिक औसत से कम है।
- भारत, चीन, इंडोनेशिया और अमेरिका जैसी अर्थव्यवस्थाएं इस वृद्धि को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं।
- यूरोपीय संघ और जापान जैसे विकसित देशों में वृद्ध जनसंख्या, मुद्रास्फीति और ऊर्जा संकट के कारण धीमी वृद्धि देखी जा रही है।
- उभरते हुए बाजारों में मजबूत निर्माण क्षेत्र, बढ़ता डिजिटलीकरण और घरेलू उपभोग से मदद मिल रही है, लेकिन ये वैश्विक झटकों के प्रति संवेदनशील हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख जोखिम
1. भू-राजनीतिक तनाव
- रूस-यूक्रेन संघर्ष ने यूरोप और मध्य एशिया में ऊर्जा और वस्तु बाजारों को प्रभावित किया है।
- मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद वैश्विक व्यापार मार्गों और ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं।
- अमेरिका और चीन के बीच प्रौद्योगिकी और व्यापार को लेकर बढ़ती friction वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को अस्थिर कर सकती है।
2. वित्तीय बाजारों की अनिश्चितता
- ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव: केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ऊंची उधारी लागत निवेश और उपभोग को प्रभावित कर रही है।
- ऋण संकट: विशेष रूप से विकासशील देशों में बढ़ते ऋण का बोझ डिफॉल्ट के जोखिम को बढ़ा रहा है।
- बाजार अस्थिरता: नीतिगत अनिश्चितताओं और कॉर्पोरेट आय को लेकर निवेशकों की चिंताओं से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ा है।
3. ऊर्जा और जलवायु चुनौतियां
- तेल और गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को प्रभावित कर रहा है।
- जलवायु परिवर्तन आर्थिक अस्थिरता बढ़ा रहा है, जिससे प्राकृतिक आपदाओं और मौसम की चरम घटनाओं से पुनर्निर्माण और अनुकूलन की लागत बढ़ रही है।
4. वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाएं
- अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार विवादों ने आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान पैदा किया है।
- कई देश आपूर्ति श्रृंखलाओं के जोखिम को कम करने के लिए क्षेत्रीय व्यापार और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं।
सकारात्मक पहलू
- प्रौद्योगिकी नवाचार: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नवीकरणीय ऊर्जा और स्वचालन में प्रगति उत्पादकता बढ़ा रही है।
- लचीले क्षेत्र: स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ रहा है।
- नीतिगत सुधार: सरकारें बुनियादी ढांचे पर खर्च, हरित निवेश और आर्थिक विविधीकरण की दिशा में काम कर रही हैं।
2025 में ध्यान देने योग्य बातें
- केंद्रीय बैंक की नीतियां: ब्याज दरों और मौद्रिक नीतियों की दिशा।
- चीन की आर्थिक रिकवरी: कोविड-19 प्रतिबंधों से बाहर निकलने के बाद चीन का प्रदर्शन वैश्विक व्यापार और विकास को प्रभावित करेगा।
- ऋण प्रबंधन: अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों (जैसे IMF) द्वारा विकासशील देशों के लिए ऋण पुनर्गठन की पहल।
- भू-राजनीतिक समाधान: रूस-यूक्रेन संघर्ष और अमेरिका-चीन व्यापार विवादों में कूटनीतिक सफलता।