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पटनाएक घंटा पहले
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5 जनवरी, 1934 को आए भूकंप के बाद से बंद निर्मली-सुपौल रेलखंड पर अब फिर से ट्रेन दौड़ेगी। इस रेल कनेक्टिविटी से कोसी और मिथिलांचल एक हो जाएंगे। इससे दरभंगा प्रमंडल के 1.27 और कोसी के 1.21 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे। साथ ही अब निर्मली और सुपौल के बीच की 272 KM की दूरी 44 KM में सिमट जाएगी। सहरसा के लोगों को दरभंगा आने-जाने के लिए भाया खगड़िया-समस्तीपुर होते हुए 177 KM की दूरी तय करनी पड़ती थी। ट्रेन सेवा शुरू होने पर यह घटकर 125 KM हो जाएगी। GM ललित चन्द्र त्रिवेदी ने इसका जायजा लिया। CRS के निरीक्षण के बाद हरी झंडी मिलते ही इस रेलखंड पर यात्रियों के लिए ट्रेनों का परिचालन शुरू किया जाएगा।
सहरसा-दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड पर कनेक्टिविटी का मैप।
GM ने कहा कि निर्मली-सरायगढ़ रेलखंड पर परिचालन शुरू होने के बाद निर्मली और सुपौल (वाया दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया- मानसी-सहरसा) के बीच की 272 KM की दूरी घटकर मात्र 44 KM रह जाएगी। यह इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा। समस्तीपुर मंडल के आसनपुर, कुपहा, निर्मली, झंझारपुर रेलखंड पर ट्रायल किया गया।
निर्मली से सरायगढ़ के बीच अभी सिर्फ एक हॉल्ट
निर्मली से सरायगढ़ के बीच पहले कोई स्टेशन और हॉल्ट नहीं था। कोसी महासेतु से आधा किलोमीटर की दूरी पर उत्तर पश्चिम की तरफ आसनपुर कुपहा हॉल्ट बनाया गया है। इसके बाद सीधे निर्मली स्टेशन है। इसके बीच मजारी, कुपहा, आसनपुर, महुआ, हड़िया, कलिमुंगड़ा सहित कई गांव पड़ते हैं।
1887 में बंगाल नॉर्थ-वेस्ट रेलवे ने बनवाई थी रेललाइन
1887 में बंगाल नॉर्थ-वेस्ट रेलवे ने निर्मली और सरायगढ़ (भपटियाही) के बीच एक मीटर गेज रेललाइन बनवाया था। तब कोसी नदी इन दोनों स्टेशनों के बीच नहीं बहा करती थी। तिलयु्गा नदी इन स्टेशनों के बीच बहती थी, जिसके ऊपर 250 फीट लंबा एक पुल था। निर्मली जहां दरभंगा-सकरी-झंझारपुर मीटर गेज लाइन पर स्थित एक टर्मिनल स्टेशन था। वहीं, सरायगढ़, सहरसा और फारबिसगंज मीटर गेज रेलखंड पर स्थित था। 5 जनवरी 1934 में आए भूकंप में यह पुल टूट गया और कोसी नदी निर्मली एवं सरायगढ़ के बीच आ गई। इसके बाद से यहां रेल परिचालन बंद है।
महिलाओं के जिम्मे थी स्पेशल ट्रेन
निर्मली-सुपौल रेलखंड पर ट्रायल के दौरान पूरी व्यवस्था महिलाओं के जिम्मे थी। ट्रन ड्राइवर से लेकर गार्ड तक सभी महिलाएं ही थीं। शनिवार को बैंड-बाजे के साथ स्पेशल ट्रेन का ट्रायल किया गया। कोसी महासेतु के बनने के बाद इस इलाके के लिए यह बड़ी उपलब्धि है।
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