Source : Nasa

नासा अब अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर दो आगामी स्पेसवॉक्स

नासा अब अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर दो आगामी स्पेसवॉक्स (अंतरिक्ष से बाहर काम) की योजना बना रहा है, जिनके लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की जाएगी। यह स्पेसवॉक्स ISS की कार्यप्रणाली को बनाए रखने और वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से किए जाएंगे।


स्पेसवॉक्स का विस्तृत विवरण:

  1. स्पेसवॉक्स के उद्देश्य:
    • मेंटेनेंस कार्य: इन स्पेसवॉक्स का मुख्य उद्देश्य ISS के कुछ महत्वपूर्ण घटकों को बदलना या मरम्मत करना है, जैसे कि सोलर पैनल, रोबोटिक हाथ, या बाहरी सेंसर। इसके अलावा, जीवन-समर्थन प्रणालियों, संचार उपकरणों और अन्य महत्वपूर्ण प्रणालियों को ठीक करने के लिए भी काम किया जाएगा।
    • नई तकनीक और उपकरणों की स्थापना: नासा के अंतरिक्ष यात्री नई वैज्ञानिक उपकरणों और तकनीकी सिस्टम को स्थापित करेंगे, जो ISS पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उपयोगी होंगे।
  2. स्पेसवॉक्स में भाग लेने वाले अंतरिक्ष यात्री:
    • इन स्पेसवॉक्स में नासा के अंतरिक्ष यात्रियों के अलावा, जापान, यूरोप और कनाडा के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे। प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री को विशेष कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जो किसी विशेष तकनीकी या वैज्ञानिक कार्य को करने के लिए आवश्यक होते हैं।
    • अंतरिक्ष यात्री की भूमिका: स्पेसवॉक्स में दो अंतरिक्ष यात्री काम करते हैं। एक अंतरिक्ष यात्री मुख्य कार्य करता है (जैसे उपकरणों को बदलना), जबकि दूसरा सहायता करता है या बैकअप के रूप में कार्य करता है। हर अंतरिक्ष यात्री को स्पेससूट पहनना होता है, जो जीवन-समर्थन, गतिशीलता और संचार के उपकरण प्रदान करता है।
  3. स्पेसवॉक्स के दौरान आने वाली चुनौतियाँ:
    • माइक्रोग्रैविटी वातावरण: अंतरिक्ष में काम करना एक माइक्रोग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से मुक्त) वातावरण में होता है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को स्टेशन से जुड़े रहने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग करना पड़ता है।
    • चरम तापमान: स्पेसवॉक्स के दौरान अंतरिक्ष यात्री अत्यधिक तापमान का सामना करते हैं, जो सूरज की रोशनी में +250°F (120°C) से लेकर पृथ्वी के छायादार हिस्से में -250°F (-157°C) तक हो सकते हैं। इन चरम परिस्थितियों से बचने के लिए स्पेससूट में थर्मल कंट्रोल सिस्टम होते हैं।
    • समय और जटिलता: प्रत्येक स्पेसवॉक्स सामान्यतः 6 से 8 घंटे तक चलता है, हालांकि कभी-कभी यह समय अधिक भी हो सकता है, खासकर जब कार्य जटिल होते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को अपनी ऑक्सीजन आपूर्ति और अन्य उपकरणों की निगरानी करनी होती है।
  4. प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन:
    • तिथि और समय: नासा स्पेसवॉक्स से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा, जिसमें मिशन विशेषज्ञ आगामी स्पेसवॉक्स के उद्देश्य, कार्य योजना और समयसीमा के बारे में जानकारी देंगे।
    • सार्वजनिक सहभागिता: इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया और आम जनता को सवाल पूछने का अवसर मिलेगा। यह एक पारदर्शी प्रक्रिया को बढ़ावा देता है और लोगों को अंतरिक्ष अन्वेषण से जोड़ता है।
    • सुरक्षा प्रोटोकॉल: नासा अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक सभी उपायों की जानकारी भी देगा, जैसे उनकी तैयारी, प्रशिक्षण और आपातकालीन योजनाएँ।

स्पेसवॉक्स के महत्व पर प्रकाश:

  1. ISS का रखरखाव और उन्नति:
    • ISS एक महत्वपूर्ण अनुसंधान प्लेटफॉर्म है, जहां सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ISS की कार्यप्रणाली बनाए रखने के लिए नियमित रखरखाव और अपग्रेड की आवश्यकता होती है। ये स्पेसवॉक्स न केवल इसके सिस्टम को दुरुस्त रखते हैं, बल्कि नए वैज्ञानिक उपकरणों को स्थापित करने में भी मदद करते हैं।
  2. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का परीक्षण:
    • स्पेसवॉक्स अंतरिक्ष में काम करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को परखने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करते हैं। इन तकनीकों का उपयोग न केवल ISS पर किया जाता है, बल्कि भविष्य की चंद्रमा और मंगल मिशनों के लिए भी ये अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे।
    • उदाहरण के लिए, भविष्य में चंद्रमा या मंगल पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को भी इसी प्रकार की मरम्मत और रखरखाव कार्यों का सामना करना पड़ेगा।
  3. सार्वजनिक सहभागिता और प्रेरणा:
    • नासा द्वारा स्पेसवॉक्स और प्रेस कॉन्फ्रेंस का लाइव कवरेज लोगों को अंतरिक्ष अन्वेषण से जोड़ने का एक तरीका है। ये घटनाएँ विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में रुचि बढ़ाती हैं और अगली पीढ़ी को प्रेरित करती हैं।
    • साथ ही, अंतरराष्ट्रीय सहयोग के उदाहरण के रूप में, यह दिखाता है कि विभिन्न देशों के अंतरिक्ष एजेंसियाँ मिलकर काम करती हैं, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण में प्रगति होती है।
  4. भविष्य की अन्वेषण योजनाओं का समर्थन:
    • इन स्पेसवॉक्स के कार्य केवल ISS तक सीमित नहीं हैं। वे भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी में भी मदद करते हैं। चंद्रमा पर आधार स्थापित करने और मंगल पर यात्रा करने के लिए आवश्यक अनुभव प्राप्त करना इन स्पेसवॉक्स के माध्यम से संभव हो रहा है।

स्पेसवॉक्स में उपयोग होने वाली तकनीकी नवाचार:

  • स्पेससूट के विकास: नासा लगातार अपने एक्सट्राव्हिकुलर मोबिलिटी यूनिट्स (EMUs) को अपडेट कर रहा है, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विशेष स्पेससूट होते हैं। ये स्पेससूट जीवन-समर्थन, संचार और थर्मल कंट्रोल के साथ-साथ अन्य सुरक्षा सुविधाओं से लैस होते हैं।
  • रोबोटिक सहायता: स्पेसवॉक्स के दौरान, अंतरिक्ष यात्री भारी उपकरणों को उठाने के लिए रोबोटिक हाथ और अन्य उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे कार्य अधिक सुरक्षित और प्रभावी होता है।
  • हेलमेट तकनीकी नवाचार: नए हेलमेट-निर्मित कैमरे नासा को अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा देखी गई चीजों को लाइव देखने का अवसर देते हैं, जिससे स्पेसवॉक्स के दौरान एक वास्तविक अनुभव मिलता है।