एलन मस्क बोले – DOGE में 120 घंटे का वर्कवीक! नारायण मूर्ति के 70 घंटे के सुझाव पर तंज 

एलन मस्क ने हाल ही में DOGE (Department of Government Efficiency) में 120 घंटे का वर्कवीक होने की बात कहकर चर्चा बटोरी। यह बयान इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के उस सुझाव पर तंज माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने भारतीय युवाओं को हर हफ्ते 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। मूर्ति के बयान पर पहले से ही बहस छिड़ी हुई थी, लेकिन मस्क ने इसे एक नए मज़ाकिया और तीखे मोड़ पर ले लिया।


पूरा मामला क्या है?

  • कुछ समय पहले नारायण मूर्ति ने कहा था कि भारतीय युवाओं को देश की प्रगति के लिए 70 घंटे प्रति सप्ताह काम करना चाहिए। इस बयान पर वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर बहस छिड़ गई थी।
  • एलन मस्क, जो “हार्डकोर वर्क एथिक्स” के लिए मशहूर हैं, ने अब इसे और आगे बढ़ाते हुए कहा कि DOGE में लोग 120 घंटे प्रति सप्ताह काम करते हैं!
  • हालांकि, यह साफ नहीं है कि मस्क ने इसे व्यंग्य में कहा या वह सच में इतनी मेहनत की वकालत कर रहे हैं

DOGE क्या है?

  • DOGE (Department of Government Efficiency) असल में कोई सरकारी विभाग नहीं है, बल्कि यह एक मजाकिया शब्द है, जिसका इस्तेमाल मस्क ने अपनी चहेती क्रिप्टोकरेंसी Dogecoin (DOGE) के संदर्भ में किया।
  • मस्क के इस बयान का सीधा मतलब है कि वह अत्यधिक वर्क कल्चर पर कटाक्ष कर रहे हैं

एलन मस्क और “हार्डकोर वर्क कल्चर”

मस्क पहले भी लंबे वर्कवीक और गहन मेहनत के समर्थक रहे हैं:

  • Tesla और SpaceX में उन्होंने कर्मचारियों को 80-100 घंटे काम करने के लिए प्रोत्साहित किया था।
  • उन्होंने कहा था कि वीकेंड में काम करना एक “सुपरपावर” है और यही महान उपलब्धियों की कुंजी है।
  • Twitter (अब X) खरीदने के बाद, उन्होंने 50% से अधिक स्टाफ को निकाल दिया और बाकी बचे कर्मचारियों से दिन-रात काम करवाया

लोगों की प्रतिक्रियाएँ

  • कुछ लोगों ने मस्क के इस बयान को “सफलता के लिए मेहनत जरूरी” मानते हुए सराहा।
  • वहीं, कई लोगों ने उन्हें “टेरिबल बॉस” (खराब बॉस) कहकर आलोचना की और कहा कि इतनी ज्यादा मेहनत से बर्नआउट और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं
  • सोशल मीडिया पर 120 घंटे के वर्कवीक को लेकर मीम्स की बाढ़ आ गई, जिसमें मस्क की कार्यशैली का मजाक उड़ाया गया

बड़ी बहस – मेहनत बनाम संतुलन

  • मस्क और मूर्ति के बयान से दुनिया भर में वर्क-लाइफ बैलेंस और “हसल कल्चर” (बहुत ज्यादा मेहनत करने की प्रवृत्ति) को लेकर नई बहस छिड़ गई है।
  • कुछ लोग मानते हैं कि सफलता के लिए ज्यादा मेहनत जरूरी है, जबकि अन्य लोगों का कहना है कि अत्यधिक काम करने से प्रोडक्टिविटी घट जाती है और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है

 एलन मस्क का “DOGE 120-घंटे का वर्कवीक” वाला बयान शायद मजाकिया टिप्पणी था, लेकिन यह उनके कट्टर वर्क कल्चर को दर्शाता है। यह बयान नारायण मूर्ति की 70-घंटे की सलाह से भी ज्यादा चरम लगता है और दुनिया भर में वर्क-कल्चर पर बहस को नया रूप दे सकता है